शनिवार, 19 जुलाई 2014

राम नाम की लूट है - लूट सके तो लूट

ऐसा क्यों हो रहा है कि अपने बयान से मुलायम सिंह यादव बार बार विवादों के शिकार हो जाते हैं यहाँ पर दो बातें बहुत ही प्रमुखता दीखती हैं जिनमें जिम्मेदार अधिकारियों की कमी प्रमुख है, नेता जी के राज्य में जिस तरह से गुंडों और अपराधियों को राज्य का संरक्षण प्राप्त है वे सरकार के प्रति वफादार नहीं हैं जबकि बसपा ऐसे अपराधियों को इसी शर्त पर अपनी सरकार या पार्टी में रखती है की वो पार्टी और सरकार के प्रति वफादार रहेंगे जबकि आज की स्थिति अलग है सरकार के नामपर सभी दलों के अपराधी सपाई बन  दोहन कर रहे हैं, अत्याचार कर रहे हैं उन अधिकारियों की सुनी ही नहीं जा रही है जो इस सरकार के प्रति वफादार और ईमानदार हैं, कमोबेश यही हाल सरकार में बैठे मंत्रियों का है, पार्टी कार्यकर्ताओं का है.  अभी नए जिलाध्यक्षों का चयन हुआ है  जिनमें अधिकाँश ऐसे हैं जिनकी न तो कोई व्यक्तिगत छवि है और न ही कोई वैचारिक पहचान, जाती के नाम पर यह सरकार बदनाम होती जबकि जिस जातीय बदनामी का इसपर आरोप लगता है उसमें नेताजी के परिवार को छोड़ दिया जाय तो इस सरकार से हर वह यादव दुखी है जो ज़रा सा भी स्वजातीय सोच का है, बेईमानों की अगर जाती से ही पहचान होती तो उसमें कम से कम यादव का नाम न आता.
जबकि इतनी समर्पित और जुझारू और न्याय प्रिय जाती को जिस तरह से समाज, जातियां, मीडिया, अधिकारियों और नेताओं ने घेर रखा है उससे बचाना / बचना सपा की मौजूदा स्थिति की शक्ल (सांगठनिक स्वरुप) से नहीं दीखता । क्योंकि जिस राजनैतिक प्रतिबद्धता की आज जरुरत है उसके लिए प्रतिबद्धता और वैचारिक सोच की भी जरुरत है. राजनेताओं और मंत्रियों का आकलन कौन करेगा, लोकसभा चुनाओं को लेकर जिस तरह सरकार से कसरत करवाई गयी सब व्यर्थ ही तो गयी है। जबकि ये स्पष्ट ही था कि नेताजी या उनकी पार्टी प्रदेश के लिए कोई ऐसा काम नहीं कर रही है जिससे प्रदेश के लोग उन्हें देश चलाने के योग्य समझते। 
युवा मुख्यमंत्री और कांग्रेस के युवराज जिस तरह से 'चापलूसों' से घिरे हैं वो अब इस देश को या इस देश की राजनैतिक सत्ता के लिए फिट नहीं हो सकते क्योंकि न तो इनकी नीतियों में कोई नीति है ही देश की खुशहाली का सपना और न ही इनके पास वैचारिक प्रतिबद्धता के लोगों की आवश्यकता है और ये घाटियां और देशद्रोही ताकतों के कब्जे में हैं जो इन्हे खुली वैचारिक प्रतिबद्धताओं से जोड़ती हों। जिनके पास वैचारिक विकासशील और कर्मठ कुशल प्रशासकों की टीम हो, जहाँ इस तरह के नियामक नहीं होंगे वहां लूट और खसोट का ही साम्राज्य तो बनेगा अतः यह गीत गाने के अलावा और कोई रास्ता नहीं है ;
राम नाम की लूट है - लूट सके तो लूट 
यही कारण है की नेताजी की समग्र समाजवादी सोच का मज़ाक उड़ाया जा रहा है।    
      
रेप संबंधी बयान पर फिर विवाद में फंसे मुलायम
लखनऊ, एजेंसी

रेप संबंधी अपने बयान से मुलायम सिंह यादव फिर विवाद में फंस गए हैं। मुलायम ने कहा कि उत्तर प्रदेश की आबादी को देखते हुए यहां बलात्कार की घटना कम होती है।

सपा प्रमुख यादव के बयान की कड़ी निन्दा करते हुए भाजपा ने कहा कि वह अपने बेटे और राज्य के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के बचाव में मुलायम कुतर्क दे रहे हैं।

भाजपा प्रदेश प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा कि पूरे देश के आंकड़ों पर नजर डालें तो उत्तर प्रदेश में बलात्कार, दहेज हत्या और अन्य अपराध अन्य राज्यों के मुकाबले काफी अधिक हो रहे हैं।

उन्होंने सवाल किया, आबादी का ये पैमाना केवल अपराध तक क्यों  बाकी मामलों में भी ये पैमाना होना चाहिए। बाकी क्षेत्रों में प्रदेश तरक्की करे, विकास करे और विभिन्न क्षेत्रों में अच्छा प्रदर्शन करे, इसे लेकर भी आबादी के हिसाब से पैमाना तय होना चाहिए।

पाठक ने कहा कि दरअसल मुलायम अखिलेश के बचाव में उतरे हैं और कुतर्क कर रहे हैं। बेहतर होता कि वह मुख्यमंत्री को सलाह देते कि जाति, व्यक्ति और मजहब से उठकर सरकार कार्य करती तो अपराध के आंकड़े कम होते और सरकार की छवि भी बच जाती।

उल्लेखनीय है कि लखनऊ के मोहनलालगंज क्षेत्र में एक महिला के साथ कथित गैंगरेप और हत्या को लेकर किये गये सवाल के जवाब में मुलायम ने कहा है कि उत्तर प्रदेश की आबादी काफी अधिक है। यहां 21 करोड़ की जनसंख्या है। यदि इस देश में सबसे कम बलात्कार कहीं होते हैं तो उत्तर प्रदेश में।
मोहनलालगंज जैसी घटनाएं रोकेगी प्रदेश सरकार: शिवपाल
विशेष संवाददाता, राज्य मुख्यालय

लोक निर्माण एवं सिंचाई मंत्री शिवपाल सिंह यादव ने कहा है कि मोहनलालगंज जैसी घटनाएं प्रदेश सरकार रोकेगी। उन्होंने घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि प्रदेश सरकार पीडिता के बच्चों की हर तरह से मदद करेगी।
यादव समाजवादी नेता स्वर्गीय शारदानंद अंचल की 67वीं जयंती समारोह के बाद पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि सपा सरकार बहुत संवेदनशील है और वह ऐसी घटनाएं रोकने के प्रति कृतसंकल्प है। उनकी सरकार के दौरान जितनी भी ऐसी घटनाएं हुई हैं, सभी को वर्कआउट किया गया है और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की गई है।
उन्होंने सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव के उस बयान से सहमति जताई जिसमें उन्होंने कहा है कि यूपी जितना बड़ा प्रदेश है, उसमें अन्य प्रदेशों के मुकाबले रेप की घटनाएं बहुत कम हैं। उन्होंने कहा कि सरकार की मंशा है कि प्रदेश में रेप की कोई घटना न होने पाए। बिजली संकट के सवाल पर उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार यूपी को उसके कोटे की पूरी बिजली दे तो बिजली संकट दूर हो जाएगा। बिजली के क्षेत्र में भी प्रदेश सरकार काम कर रही है।

बलात्कार-हत्याकांड: आनन-फानन में कर दिया गया शव का अंतिम संस्कार
लखनऊ, एजेंसी

राजधानी लखनऊ के मोहनलालगंज में पिछले दिनों हुई सामूहिक बलात्कार के बाद नशंस हत्या की शिकार महिला का शव सुरक्षित रखे जाने के जांच अधिकारी के बयान के चंद घंटे बाद कल देर रात उसका आनन-फानन में अंतिम संस्कार कर दिया गया।
मामले की जांच की अगुवाई कर रही अपर पुलिस महानिदेशक सुतापा सान्याल ने शव को सुरक्षित रखे जाने सम्बन्धी बयान दिया था जिसके कुछ ही घंटे बाद देर रात उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया।
पुलिस प्रवक्ता ने शव का अंतिम संस्कार किए जाने की पुष्टि करते हुए बताया कि परिजन ने देर रात यह रस्म पूरी कर दी। यह पूछे जाने पर कि जब अपर पुलिस महानिदेशक ने शव को सुरक्षित रखने की बात कही थी तो परिजन ने किसकी इजाजत से अंतिम संस्कार किया, प्रवक्ता कुछ नहीं बता सके।
अपर पुलिस महानिदेशक सुतापा ने घटनास्थल का निरीक्षण करने के बाद शाम को कहा था कि मृतका के शरीर को जांच के लिये सुरक्षित रखा जाएगा।
जांच का ब्यौरा देने से इंकार करते हुए सुतापा ने कहा था कि अपराध में एक से अधिक व्यक्तियों के शामिल होने की आशंका लगती है। उन्होंने कहा था कि भारतीय दंड संहिता की धारा 302 और 201 के तहत मामला दर्ज किया गया है और पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद धारा 376 और जोड गयी है। मतका के शरीर पर गहरे घाव सहित कुल 12 जख्म हैं।
गौरतलब है कि मोहनलालगंज के बालसिंह खेडा गांव में परसों सुबह एक प्राथमिक विद्यालय के निकट एक महिला का निर्वस्त्र शव बरामद किया गया था। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में उससे बलात्कार की पुष्टि की गयी थी।
जिस इलाके से शव बरामद किया गया, उसी के करीब जबरौली गांव में कल अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बिल क्विंटन आये थे और उनकी यात्रा के मद्देनजर न सिर्फ सुरक्षा के कडे इंतजाम किये गये थे बल्कि पुलिस के आला अफसर भी एक दिन पहले से वहां मौजूद थे।

सपा के सत्ता में आते ही कानून व्यवस्था बिगड़ जाती
विशेष संवाददाता राज्य मुख्यालय । 
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष निर्मल खत्री ने कहा है कि समाजवादी पार्टी की सरकार जब-जब प्रदेश में सत्ता में आती है, तब-तब कानून व्यवस्था की स्थिति खराब और बद से बदतर हो जाती है। उन्होंने सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव के इस बयान पर कि प्रदेश की आबादी को देखते हुए उत्तर प्रदेश में अपराध कम हैं, पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए शनिवार को यहां कहा कि यादव का यह बयान जनता की सुरक्षा एवं संरक्षा के प्रति विशेषकर महिला अपराधों के प्रति उनकी संवेदनशून्यता को दर्शाता है।
समाजवादी पार्टी की सरकार में ऐसी वारदातें इसलिए होती हैं क्योंकि गलत कार्य करने वालों को सत्ता का संरक्षण दिया जाता है। जो अधिकारी गलत कामों का विरोध करते हैं, उन्हें प्रताडि़त किया जाता है और उन पर अनावश्यक दबाव डाला जाता है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा है कि बदायूं, मोहनलालगंज जैसी जघन्य घटनाएं सरकार की संवेदनशून्यता के चलते घटित हुईं। यही नहीं अवैध खनन में लिप्त अपराधियों को भी संरक्षण दिया गया। अधिकारियों व पुलिस अधिकारियों पर सपा के कार्यकर्ताओं द्वारा हमले किये गये, जिसके चलते कानून व्यवस्था खराब हुई।
उन्होंने कहा कि दो वर्ष के शासनकाल में आम जनता में सपा के खिलाफ माहौल व्याप्त है अगर अभी चुनाव हो जाये और सपा दस सीटें भी बचा पायी तो बड़ी बात होगी।

गुरुवार, 5 जून 2014

अब सरकार इसमें क्या करे ?

यूपी से पलायन की तैयारी कर रहा है पीड़ित परिवार
बदायूं, वरिष्ठ संवाददाता
First Published:05-06-14 11:28 PM
Last Updated:05-06-14 11:28 PM
यूपी के बहुचर्चित बदायूं कांड में पीड़ित परिवार अब राज्य से ही पलायन की तैयारी कर रहा है। परिवार की दो बेटियों से गैंगरेप और फिर शव पेड़ पर लटकाए जाने से भयभीत परिजनों को खुद की सुरक्षा का भी डर सता रहा है। पीड़िता के घरवालों ने गुरुवार को आरोप लगाते हुए कहा कि उन्हें शासन-प्रशासन से मदद की कोई उम्मीद नहीं है।

गैंगरेप और हत्याकांड से आतंकित परिजनों का कहना है कि पुलिस सुरक्षा के बावजूद उन्हें लगातार जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं। पीड़ित पक्ष का कहना है कि अब उन्हें गांव क्या यूपी में ही नहीं रहना है। वे कहीं दूर चले जाएंगे। फिलहाल वे दिल्ली जाने की तैयारी में हैं, जहां से वे न्याय की लड़ाई जारी रखेंगे।

मारी गई बच्चियों के परिजनों का कहना है कि देश-दुनिया में सुर्खियां बटोरने वाले इस प्रकरण को लेकर अब नेताओं और अफसरों की आवाजाही बंद हो रही है। गांव से पुलिस फोर्स भी कम हो रही है। ऐसे में हमारी चिंता बढ़ रही है। दबंग उनके साथ कभी भी कुछ कर सकते हैं। वे मजदूरी के लिए बाहर जाते हैं ऐसे में उन्हें मारा जा सकता है।
पीड़ित परिवार ने पुलिस पर मामले को कमजोर करने का आरोप लगाया है। उनका कहना है हत्यारों को उनके अंजाम तक पहुंचाने के लिए वे लड़ाई लड़ते रहेंगे। मगर ऐसा तभी संभव हो सकता है जब वे किसी सुरक्षित स्थान पर रहेंगे।
(हिंदुस्तान से साभार)

बदायूं बलात्कार: 'बहुत कुछ करना चाहती थी बेटी'

 शनिवार, 31 मई, 2014 को 10:03 IST तक के समाचार
उत्तर प्रदेश के जिस गांव में 14 और 16 वर्ष की दो लड़कियों की सामूहिक बलात्कार के बाद हत्या कर दी गई है, वहां हर तरफ़ बेचारगी और ग़ुस्सा नज़र आता है.
बदायूं ज़िले के कटरा सादतगंज नाम के इस गांव में पहुंचना भी आसान नहीं है. सड़कों की हालत ख़स्ता है तो बिजली के शायद ही कभी दर्शन होते हों. यहां शौचालय की सुविधा कुछ ही घरों में है.
बुधवार की शाम दो चचेरी बहनें शौच के लिए ही पास के खेत में गई थीं. लेकिन उसके बाद वो कभी नहीं लौटीं. अगली सुबह पेड़ से उन दोनों के शव लटके मिले. उनका सामूहिक बलात्कार किया गया था.
परिजनों का कहना है कि जब वो अपनी लड़कियों के गुम होने की रिपोर्ट लिखाने पहुंचे तो पुलिस वाले उन पर हंसे. परिजनों के यह कहने पर पुलिस वालों ने मज़ाक़ उड़ाया कि उन्होंने अपने पड़ोसियों से सुना है कि दोनों बहनों के साथ कुछ पुरूष थे.
परिजनों का कहना है कि इस पूरी घटना के पीछे जाति आधारित भेदभाव एक बड़ी वजह है जबकि पुलिस इससे इनकार करती है.

मां: मेरी बेटी महत्वाकांक्षी थी

इस घटना में मारी गई 14 वर्षीय लड़की की मां ने मुझे उसके स्कूल की कॉपियां दिखाईं, जिन पर हिंदी में सुंदर-सुंदर वाक्य लिखे थे.
उन्होंने बताया कि उनकी बेटी ज़िंदगी में शादी करने के अलावा कुछ और भी करना चाहती थी. वो काम करना चाहती थी, नौकरी करना चाहती थी.
लड़की की मां ने बताया, “वो गांव के लड़कों की तरह कॉलेज तक पढ़ना चाहती थी.”
उन्होंने अपनी बेटी को कह दिया था कि उसे आगे पढ़ने दिया जाएगा क्योंकि वो परिवार में सबसे छोटी बेटी थी.
उन्होंने बताया कि उनकी पीढ़ी की महिलाएं काम नहीं करती हैं लेकिन उन्होंने अपने बच्चों को पढ़ाने की पूरी कोशिश की है.
वो शांत थीं लेकिन ग़ुस्से से भरी हुईं भी. वहीं इस घटना की दूसरी शिकार 16 वर्षीय लड़की मां बात की करने की स्थिति में नहीं थीं.

शौचालय न होने का ख़तरा

बहुत से ग्रामीणों ने बताया कि शौच के लिए खेतों में जाना असली समस्या है.
महिलाओं के लिए तो ये समस्या और भी बड़ी है. उन्हें या तो सुबह तड़के या फिर शाम को अंधेरा होने पर ही बाहर जाना पड़ता है, क्योंकि दिन के उजाले में खुले में शौच करना शर्मिंदगी वाली बात है.
लड़की की मां ने बताया, “पुरूषों के लिए ये आसान है लेकिन हमारे लिए मुश्किल होता है, ख़ास तौर से हमारी माहवारी के दिनों में.”
उन्होंने बताया कि जिस खेत में शौच के लिए उनका परिवार जाता है, वहां जाने में पंद्रह मिनट का समय लगता है.
वो कहती हैं, “मैं हमेशा अपनी लड़कियों की सुरक्षा को ध्यान में रखती हूं. मैं अपनी और परिवार की अन्य लड़कियों के साथ वहां तक जाती हूं. लेकिन उस दिन मैं जानवरों की देखभाल में अपने पति की मदद कर रही थी, इसलिए मैंने उन्हें साथ जाने दिया. मैंने उनसे जल्दी लौट आने को कहा था.”

'इसे रोका जा सकता था'

एक पड़ोसी ने कहा कि उन्होंने कुछ लोगों को लड़कियों को तंग करते हुए देखा था और इसकी जानकारी उन्होंने लड़कियों के माता पिता को दी जिसके बाद वो पुलिस के पास पहुंचे.
परिजनों का कहना है कि वहां उन्हें दुत्कार मिली.
पड़ोसी रमेश ने मुझे बताया कि उन्हें इस सब पर कोई हैरानी नहीं है. वो कहते हैं, “भले ही पुलिस ने कुछ कांस्टेबलों को निलंबित कर दिया हो, लेकिन उनकी जगह जो आएंगे, वो भी ऐसे ही होंगे. वे भी भेदभाव करेंगे.”
वो कहते हैं, “हमारी जाति के लोग ग़रीब हैं और अनपढ़ हैं और वो सत्ता और प्रभाव वाले पदों तक नहीं पहुंच पाते हैं.”

'पुलिस ने मेरा मज़ाक़ उड़ाया'

लड़की के पिता ग़रीब खेतिहर मज़दूर हैं.
उनका कहना है कि जब वो गांव में बनी पुलिस चौकी में गए तो पड़ोसी ने जिन लोगों को लड़कियों का कथित उत्पीड़न करते हुए देखा था, उनमें से एक वहीं मौजूद था.
"जो पहली बात मुझसे पूछी गई वो थी मेरी जाति, जब मैंने जाति बताई तो वो मुझे गालियां देने लगे."
पीड़ित के पिता
पिता का दावा है कि पुलिस ने उनके छोटी जाति से होने का मज़ाक़ उड़ाया. “जो पहली बात मुझसे पूछी गई वो थी मेरी जाति, जब मैंने जाति बताई तो वो मुझे गालियां देने लगे.”
हालांकि पीड़ित और अभियुक्त दोनों ही अन्य पिछड़े वर्ग से आते हैं लेकिन पीड़ित की जाति को निचली जाति समझा जाता है.
लड़की के पिता का कहना है कि पुलिस अफ़सर और उनके साथ मौजूद वो व्यक्ति हंस रहे थे और उन्होंने कहा कि वो घर चले जाएं और लड़कियां दो घंटे में वापस आ जाएंगी.
वो वापस चले गए और इंतज़ार करने लगे. अगली सुबह पुलिस ने उन्हें बताया कि लड़कियां गांव के एक खेत में मिली हैं.

'हमारी ज़रूरतें अहम नहीं'

इस गांव के लोग ख़ुद को बेबस महसूस कर रहे हैं. चुनावों में नेता उनके वोट मांगने आए थे, लेकिन उनकी ज़रूरतों का ख़्याल किसी को नहीं है.
मारी गई लड़कियों के परिवार की मित्र रत्ना का कहना है कि वो दौरा करने वाले अधिकारियों से लगातार शौचालयों के बारे में पूछती हैं, “लेकिन उनके लिए ये महत्वपूर्ण नहीं है.”
उनका कहना है कि जब किसी के पेट में कोई गड़बड़ हो जाती है तो खेत तक जाना घोर मुसीबत बन जाती है.
ग़रीबी के कारण ये लोग अपने घरों में शौचालय नहीं बनवा सकते हैं.

'किसी तरह का भेदभाव नहीं है'

इस गांव में कोई थाना नहीं है, बस एक पुलिस चौकी है. मुख्य पुलिस स्टेशन गांव से 45 किलोमीटर दूर हैं जहां वरिष्ठ अधिकारी अतुल सक्सेना किसी तरह का भेदभाव होने से इनकार करते हैं.
उनका कहना है जिस पल उन्हें परिवार वालों की तरफ़ से शिकायत मिली, उन्होंने पुलिसकर्मियों को निलंबित किया और तुरंत क़दम उठाया.
उन्होंने कहा, “इससे पता चलता है कि हम कुछ छिपाने की कोशिश नहीं कर रहे हैं.”
उन्होंने कहा कि जाति कुछ भी हो, लेकिन अपराधी क़ानून की नज़र में अपराधी है और पुलिस को मामले की ठीक से छानबीन करन के लिए कुछ समय चाहिए.
(बी बी सी से साभार)
देवरिया में हत्या कर पेड़ से लटका दिए नवदम्पत्ति के शव
देवरिया। कार्यालय संवाददाता
First Published:05-06-14 10:04 PM
Last Updated:06-06-14 01:14 AM
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रामपुर कारखाना थाना क्षेत्र के एक नवदम्पत्ति की बेरहमी से हत्या कर पिपरा गांव के बाहर बागीचे में उनके शव एक पेड़ से लटका दिए गए। गुरुवार की सुबह ग्रामीणों ने शव देखे तो शोर मचाया। पुलिस पता लगा रही है कि दोनों की हत्या क्यों और कैसे हुई। इस बीच दोनों के घर वालों ने एक दूसरे पर हत्या का आरोप लगाया है। एसपी डॉ. एस चनप्पा ने दल-बल के साथ मौके पर पहुंच कर घटना का जायजा लिया। मौत का कारण जानने के लिए शव पोस्टमार्टम के लिए भेज दिए गए। घटना से क्षेत्र में सनसनी फैल गई है।

शवों की शिनाख्त रामपुर कारखाना थाना क्षेत्र के सिधुवा गांव निवासी नागेन्द्र (25) और उसकी पत्नी ममता के रूप में हुई। नागेन्द्र की पहचान उसकी जेब से मिले वोटर आईडी से हुई। दोनों शव सफेद रंग की नायलॉन की नई रस्सी से लटकाए गए थे। उनकी पीठ एक-दूसरे से सटी थी। नागेन्द्र के मुंह में पुराना गमछा ठूंसा गया था तो ममता के मुंह में रुमाल। दोनों के पैर जमीन से करीब छह फीट ऊपर थे। हालात बता रहे हैं कि हत्या कर शव लटका दिए गए।

पुलिस के अनुसार नागेन्द्र, ममता के साथ मंगलवार को अपने घर से निकला था। वह रात नागेन्द्र ने ससुराल में गुजारी। बुधवार की सुबह दोनों मुम्बई का टिकट लेने के लिए देवरिया जाने की बात कह कर वहां से निकले। गुरुवार की सुबह तरकुलवा थाने के पिपरा गांव के बाग में दोनों के शव एक पेड़ से लटकते मिले। दोनों पिपरा गांव कैसे पहुंचे यह भी एक पहेली है।

नागेन्द्र कर्नाटक में श्ॉटरिंग का काम करता था। ममता से उसका सम्पर्क मोबाइल फोन से कुछ समय पहले हुआ। फरेंदहा गांव की ममता (22) से मोबाइल से बातचीत के दौरान दोनों में प्रेम हो गया। अन्तत: उन्होंने शादी का फैसला किया। नागेन्द्र ने घर वालों को अपने फैसले की जानकारी दी। सजातीय होने के कारण दोनों परिवारों को कोई दिक्कत नहीं महसूस हुई और पिछली दो मई को रस्मोरिवाज के साथ शादी हो गई। कुछ दिन बाद नागेन्द्र कर्नाटक चला गया।

यहां ममता की अपनी सास मालती देवी से किसी बात पर खटपट हो गई। मालती ने नागेन्द्र को फोन से सूचना दी कि वह आकर अपनी पत्नी को समझाए कि ठीक से रहे। मां की शिकायत पर वह दो जून को कर्नाटक से आ गया। मंगलवार को ममता के मायके वालों से बात की तो वहां से कहा गया कि ममता पर भूत-प्रेत का साया होगा, वह उसे लेकर फरेंदहा आ जाए। ओझा-सोखा से दिखा कर ठीक करा दिया जाएगा। प्रेत का साया उतरवाने की बात कह कर वह पत्नी को लेकर मंगलवार को अपनी ससुराल फरेंदहा चला गया।

ससुराल में रात में नागेन्द्र के सम्मान में मीट बना। पूरे परिवार ने खुशी-खुशी खाना खाया। बुधवार की सुबह नागेन्द्र व ममता वहां से यह कह कर निकले कि अब दोनों कर्नाटक चले जाएंगे, क्योंकि ममता की अपनी सास से खटपट बन्द होने का नाम नहीं ले रही है। दोनों ने बताया कि वह टिकट लेने देवरिया जा रहे हैं। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार  दोपहर में दोनों गोरयाघाट पहुंचे। वहां नदी में स्नान किए। शाम चार बजे पथरदेवा में रिक्शे से घूमते दिखे। गुरुवार की सुबह पिपरा गांव के बाहर पेड़ की एक ही डाल पर दोनों के शव लटके मिले।


पुलिस की सूचना पर जब नागेन्द्र के परिवारीजन मौके पर पहुंचे तो उन्होंने दोनों शवों को पहचान लिया। नागेन्द्र की मां मालती देवी का आरोप है कि ममता स्वच्छन्द स्वभाव की थी। अक्सर बिना बताए घर से निकल जाती थी। पूछने पर झगड़ा करती थी। उसने नागेन्द्र की ससुराल वालों पर दोनों की हत्या का आरोप लगाया।

 उधर ममता की मां केवला देवी का आरोप है कि उसके दामाद व बेटी को नागेन्द्र के परिवारीजनों ने मार डाला। उसका तर्क है कि शुरू से नागेन्द्र के परिवारीजनों को यह रिश्ता पसन्द नहीं था। लड़के के दबाव में शादी तो कर दी लेकिन वह उन्हें बर्दाश्त नहीं कर पा रहे थे।

कोट-
दोनों परिवारों को थाने बुलाकर बयान लिया जा रहा है। नागेन्द्र के माता-पिता तो आ गए थे मगर ममता के घर में केवल उसकी बूढ़ी मां है। उसके घर पुलिस भेज कर उसका भी बयान लिया गया है। दोनों पक्षों के बयान की सच्चाई परखी जा रही है। बयान व पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिला कर जो भी सच्चाई सामने आएगी उस आधार पर केस दर्ज कर कार्रवाई की जाएगी।
-डॉ. एस चनप्पा, एसपी

घटनाक्रम एक नजर में
-दो मई को नागेन्द्र व ममता की शादी हुई
-तीन मई को ममता नागेन्द्र के घर आ गई
-आठ मई को नागेन्द्र कर्नाटक कमाने चला गया
-31 मई को नागेन्द्र के पास उसकी मां का फोन गया कि तत्काल घर आकर बहू को समझाओ। उसका स्वभाव ठीक नहीं है।
- दो जून को नागेन्द्र घर पहुंचा, उसी दिन ममता की मां से फोन पर बात की
- तीन जून को नागेन्द्र ममता को लेकर ससुराल फरेंदहा पहुंचा
-चार जून को सुबह वहां से देवरिया जाने की बात कह दोनों साथ निकले
-दोपहर में दोनों गोरयाघाट के पास नदी में स्नान करते देखे गए
-शाम चार बजे रिक्शे से पथरदेवा में घूमते दिखे, इसके बाद से उन्हें किसी ने नहीं देखा
-पांच जून को सुबह पांच बजे तरकुलवा थाना क्षेत्र के पिपरा गांव में पेड़ से लटकी दोनों की लाश मिली
-सात बजे पुलिस पहुंची, शव की शिनाख्त होने के बाद साढ़े सात बजे शव पेड़ से उतारे गए, सुबह आठ बजे शवों का पंचनामा कर शव पोस्टमार्टम के लिए भेज दिए गए
-साढ़े नौ बजे एसपी डॉ. एस चनप्पा और ढाई बजे डीआईजी संजीव कुमार ने घटनास्थल का निरीक्षण किया

(अब सरकार इसमें क्या करे ?)


जानिए क्यों रही यूपी पुलिस कमजोर
आनंद सिन्हा / राज्य मुख्यालय
First Published:05-06-14 09:48 PM
Last Updated:05-06-14 09:48 PM
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बदायूं दुराचार कांड पर भले ही हायतौबा मची है लेकिन हकीकत यह भी है कि हालात यूं ही अचानक खराब नहीं हुए। गए दो साल में पुलिस की न हनक बन सकी और न धमक कायम हुई। वजह डीजीपी मुख्यालय का बतौर नियंत्रक लगातार फेल होना रहा।

मौजूदा और पिछली बसपा सरकार में अपराध स्थिति की तुलना करें तो अपराधिक घटनाओं की गणित के हिसाब से हालात बहुत ज्यादा फर्क नहीं हैं। आंकड़े थोड़ा-बहुत कम ज्यादा हैं, लेकिन इतना जरूर है कि पुलिस की हनक चाहे छुटभैये अपराधी हो या माफिया या आम नागरिक सबके दिलों-दिमाग में कायम रही। कई पूर्व अधिकारी कहते हैं, इसकी वजह डीजीपी मुख्यालय का बतौर नियंत्रक कमजोर होना है।

शासन या यूं कहें प्रमुख सचिव गृह की ओर से डीएम व एसपी को तमाम निर्देश दिए जाते हैं, लेकिन उनको अमली जामा पहनाने का काम डीजीपी मुख्यालय करता है। मौजूदा सरकार में चाहे डीजीपी एसी शर्मा रहे हों, देवराज नागर या रिज़वान अहमद। किसी भी अधिकारी की अपराध नियंत्रण या यूं कहें अपराधियों के खिलाफ काम करने की छवि नहीं थी।

कमोबेश सभी जिलों में तो तैनात रहे लेकिन बड़े अपराधियों को नकेल कसने की कार्यकुशलता या फिर आपरेशन छेड़ने की उनकी क्षमता पूरे सेवाकाल में सामने नहीं आई। अब भी हालात कुछ बदले नहीं हैं। देवराज नागर को छोड़कर अन्य दोनों के कार्यकाल में भ्रष्टाचार की चर्चाएं रहीं सो अलग।
इसके इतर बसपा सरकार में डीजीपी रहे विक्रम सिंह, कर्मवीर सिंह और ब्रजलाल की छवि हमेशा अपराधियों, माफिया गिरोहों से लोहा लेने वाले अधिकारियों की रही। पूर्व आईजी श्रीधर पाठक कहते हैं-‘शायद यही वजह रही कि डीजीपी मुख्यालय से दिए जाने वाले निर्देशों की पुलिस अधीक्षकों पर लगाम कसने के साथ ही अपराधी गिरोहों में भी दहशत रही। इसका फायदा पुलिस की हनक कायम करने में मिलता रहा। अंजाम बेहतर कानून-व्यवस्था की छवि के रूप में आया, भले ही अपराधि आंकड़ों में ज्यादा अंतर न रहा हो।

इनसेट-------------------------------------
वर्ष-2011 बसपा सरकार में हुए दुराचार----2043----
महिलाओं-बच्चियों के अपहरण-----7535
----छेड़छाड़-------3455
वर्ष 2012 सपा सरकार में हुए दुराचार------1963
----महिलाओं-बच्चियों के अपरहण -----7910
----छेड़छाड़-------3247
(आंकड़े नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो-नई दिल्ली )

बुधवार, 4 जून 2014

बोलने भी नहीं देंगे !


जाटव साहब !
आप बोलने भी नहीं देंगे !
जो कुछ हो रहा है उसे वे 'मज़ाक' बनाकर रख दिए है "दबंगों" के साथ रहने में यही खतरा रहता है सरकार नियति नहीं नीति से चलती है, नीति ही जब दबे कुचलों के उत्थान की नहीं होगी, तो उन्हें क्या फरक पड़ता है जो इन्हे रथ की डोर का भ्रम कराते रहते हैं "उन्ही के चक्कर में बहन जी ० पर आ गयी और ये अपने परिवार में ही सिमट गए !"
अब इन्हे कौन बताये की मोदी पिछड़ों के नाम पर दलितों के नामपर 'गुरूजी' के लिए इतना बहुमत सौंप दिए है अब 5 साल 'फ़नफ़नाईये' पं. िनरिपेन्द्र मिसिर जी' सब इंतज़ाम कर देंगे ! 
जो अच्छे दिन आये हैं तो कुछ अच्छे काम भी हो जाएँ !
आखिर यही तो बहादुरी है जो अब तक दलित और पिछड़े दिखाते आये हैं।

ये खबरें क्या कहती हैं ?


लखनऊ. बदायूं गैंग रेप में दो पुलिस कर्मियों का नाम सामने आने के बाद पुलिस प्रशासन की साख पर बट्टा लगा है। इनकी करतूत ने पूरे देश को शर्मिंदा कर दिया है। हर तरफ एक ही आवाज उठ रही है, 'बदायूं की बेटियों हम शर्मिंदा हैं, क्योंकि तुम्हारे कातिल अभी जिंदा हैं।'
पुलिस के हर अक्षर के मायने हैं। इसका पालन करना हर पुलिसकर्मी का धर्म है, लेकिन हकीकत कुछ और ही है। खाकी पहनते ही सत्ता से जुड़े पुलिसवाले यही मानते हैं कि उन्हें अपराध करने का लाइसेंस मिल गया है। लूट, हत्या, रेप जैसे संगीन जर्म में अब इनकी संलिप्तता आम हो गई है। 
 
खाकी ने किया शर्मसार
 
बदायूं में दो बहनों की रेप के बाद दबंगों ने उनकी हत्या कर दी और पुलिस तमाशबीन बनी रही। बुलंदशहर के पहासू थाने में शुक्रवार को पुलिस के उत्पीड़न से आहत एक व्यक्ति ने थाना परिसर के टॉयलेट फांसी लगा ली। 
 इसके अलावा बस्ती जिले में किशोरी को दबंगों ने मिट्टी का तेल डालकर जला दिया। इन घटनाओं से साफ है कि अब अपराधियों में पुलिस का खौफ नहीं रहा। लोगों का पुलिस पर भरोसा दिन पर दिन खत्म होता जा रहा है।
 
क्या है POLICE का मतलब
 
पुलिस की स्पेलिंग में पांच अक्षर हैं।  इसका मतलब इस प्रकार से है-
P- पोलाइट (विनम्र)
O- ओबिडियंट (आज्ञाकारी)
L- लॉयल (नैतिक)
I- इंटेलीजेंट (बुद्धिमान)
C- करेजियस (साहसी)
E- एफिसिएंट (क्षमतावान)
हालांकि, यूपी पुलिस में इनमें से एक भी गुण नजर नहीं आते।

आगे पढ़िए क्या है हकीकत...
क्या कर रही है पुलिस
 
खाकी पहनकर दबंगों के साथ घूमने में ये पुलिसकर्मी अपना शान समझते हैं। सत्ता के करीब रहकर मनचाही तैनाती के फार्मूले बनाने में भी ये माहिर हैं। अपनी ड्यूटी निभाने से ज्यादा वे जुगाड़ के समीकरण को तवज्जो देते हैं। खाकी पहनकर दूसरे गोरखधंधों में भी इनकी खासा दखल है। 
हत्यारों को पनाह देने के साथ ही इनकी वर्दी पर खुद के कारनामों की भी कई छींटे हैं। बीते महीने अपराधियों से सांठगांठ के चलते गोरखपुर की एसओजी तक को भंग कर दिया गया। 
 
लखनऊ में कब-कब खाकी हुई दागदार
 
2006 में क्राइम ब्रांच ने आशियाना इलाके में एक व्यापारी से लाखों का सोना लूट लिया था। इसी साल गोमतीनगर से प्रॉपर्टी डीलर लोकनाथ के अपहरण के बाद हत्या के मामले में एक पुलिस अधिकारी की संलिप्तता सामने आई। मार्च 2007 में हजरतगंज के जनपथ मार्केट में सिपाही मो. अब्बास ने महिलाओं से छेड़खानी की। 
इस मामले में उन्हें बर्खास्त किया गया। इसी साल 28 अप्रैल को नाका के सिपाही सुभाषचंद्र ने आलमबाग में बरेली के दरोगा की पत्नी से छेड़खानी की। इसी साल भू-माफिया लल्लू यादव से करीबियों के चलते तालकटोरा थाना प्रभारी को सस्पेंड किया गया।
एडीजी (कानून-व्यवस्था) मुकुल गोयल का कहना है कि पुलिसकर्मियों को बेहतर कार्य के लिए समय-समय पर ट्रेनिंग दी जाती है। अपराधियों से निपटने के लिए उन्हें दिशा- निर्दश भी जारी किए जाते हैं। साथ ही पुलिस लाइन में कैंप लगाकर उनकी समस्याओं को सुलझाया भी जाता है। 
बावजूद इसके यदि किसी भी पुलिसकर्मी की कानून-व्यवस्था खराब करने में संलिप्तता पाई जाती है, तो उसे किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा। दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

लखनऊ. यूपी में रेप की घटनाएं बदस्तूर जारी हैं। बदायूं गैंगरेप कांड के बाद जहां लोग सहमे हुए हैं, वहीं इंटरनेशनल फोरम पर इस घटना की निंदा की जा चुकी है। राज्य में बिजली और पानी को लेकर हाहाकार मचा हुआ है। बिगड़ती कानून-व्यवस्था पर सीएम को राज्‍यपाल ने तलब किया तो गृहमंत्री ने भी क्लास लगाई। यूपी के गवर्नर बीएल जोशी से पीएम नरेंद्र मोदी ने भी मुलाकात की। इतना ही नहीं, केंद्र सरकार के साथ हाईकोर्ट ने भी सरकार के सामने इन मुद्दों से जुड़े सवालों की लंबी फेहरि‍स्त रख दी। 
 
यूपी की जनता सड़कों पर उतर आई। अपनी सरकार से जवाब मांगने लगी। अभी करारी हार के गम से सपा सरकार उबर भी नहीं पाई थी, ऐसे में चौतरफा हमलों से उनकी बौखलाहट और बढ़ गई। आनन-फानन में सीएम ने आला अफसरों को हटाकर ऑल-इज-वेल का मैसेज देना चाहा। मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव गृह और वित्त की बलि ली गई। 
 
महकमे में हड़कंप मच गया। घबराई सरकार सड़कों पर उतर आई। माननीयों (राजनेता) को देख मानिंद (अफसर) भी हरकत में आ गए। सीएम से लेकर डीएम तक जमीन पर दिखने लगे। इसका नतीजा भी सामने आया। नए नियम बने और पुराने नियम में फिट नहीं बैठने वाले और लापरवाही बरतने वाले अफसर सस्पेंड कर दिए गए।
 
मुख्य सचिव आलोक रंजन की तरह चार्ज संभालते ही प्रमुख सचिव गृह दीपक सिंघल भी हरकत में आ गए। उन्होंने कहा कि‍ अब पुलिस अधिकारि‍यों के साथ मिलकर गृह विभाग के अफसर भी प्रदेश का दौरा करेंगे। वे कानून-व्यवस्था संबंधी समस्याओं के लिए जनता से मुलाकात करेंगे।
 
जघन्य अपराध होने पर एसपी और एडिशनल एसपी को मौके पर जाना होगा और जो नहीं जाएगा, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। जघन्य अपराधों की रोकथाम के लिए जिलास्तर और मुख्यालय स्तर पर दो कमेटियां बनाई गई हैं। साथ ही बड़े मामले के लिए तीन महिला सदस्‍यों की कमेटी बनाई गई है।
 
लखनऊ के डीएम राजशेखर ने भी बुधवार को शहर के बलरामपुर अस्‍पताल का औचक निरीक्षण कि‍या। उन्होंने डॉक्टरों का अटेंडेंस रजिस्टर चेक किया। इस दौरान गैरहाजिर डॉक्टरों के मामले में अस्पताल प्रशासन से जवाब-तलब किया। वहां मरीजों से बात की और रजि‍स्‍ट्रेशन रजिस्टर चेक किया।
 
इसके बाद डीएम सुपर स्पेशिएलिटी विंग के आउटडोर में गए। कई मरीजों से हालचाल पूछा। उन्‍होंने उनसे पूछा कि‍ यहां दवाई मिलती है या नहीं। इसके बाद वे दूसरे वार्ड में जाकर मरीजों से उनकी हालचाल और परेशानियों के बारे में भी जानकारी ली।
 

यूपी में फिर रेप: सपा नेता बोले- संबंध जगजाहिर हो जाता है तो उसे बलात्‍कार का नाम दे देते हैं

bhaskar.com|Jun 04, 2014, 18:52PM IST
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यूपी में फिर रेप: सपा नेता बोले- संबंध जगजाहिर हो जाता है तो उसे बलात्‍कार का नाम दे देते हैं
नई दिल्ली. यूपी में बलात्‍कार के और मामले सामने आए हैं। सीतापुर में बदायूं जैसा ही एक मामला सामने आया है तो संभल में बुधवार को नाबालिग युवती के साथ तमंचे की नोक पर रेप का सनसनीखेज मामला सामने आया है। लगातार सामने आ रही ऐसी घटनाओं के बीच सपा नेता रामगोपाल यादव ने बुधवार को अजीबोगरीब बयान दिया। उन्‍होंने कहा, 'कई जगह लड़के-लड़की का संबंध जगजाहिर हो जाता है तो इसे बलात्‍कार का नाम दे दिया जाता है। बहुत सारी जगहों पर लड़का शादी करने को तैयार होता है, लेकिन ऑनर किलिंग हो जाती है। सबसे अफसोसनाक और गंभीर बात यह है कि इस तरह की घटनाएं रुक नहीं रही हैं। ऐसी वारदात दूसरी जगहों पर भी होती हैं, लेकिन वे सुर्खियों में नहीं आतीं।'
 
मीडिया पर हमला
यादव ने मीडिया पर उत्‍तर प्रदेश की ऐसी घटनाओं को 'जान-बूझ कर प्रचारित करने' का आरोप लगाया। उन्‍होंने यह भी कहा कि जब तक समाज समग्र रूप से एकजुट होकर काम नहीं करेगा, तब तक ऐसी घटनाओं पर पूरी तरह लगाम नहीं लगाया जा सकता। उन्‍होंने कहा कि आजकल ऐसा भी सुनने में आता है कि बाप ने बेटी का बलात्‍कार कर दिया। ऐसा मानसिक दिवालिएपन का नतीजा है, और कुछ नहीं।
 
केंद्र सरकार हुई सख्त
मंगलवार को उत्‍तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव ने भी कहा था कि ऐसा बार-बार देखा जा चुका है कि मीडिया यूपी की ऐसी घटनाओं को खूब छापता-दिखाता है, जबकि ऐसी घटनाएं बाकी राज्‍यों में भी होती हैं। सीएम के इस नजरिए पर केंद्र सरकार ने बुधवार को सख्‍त रुख दिखाया। गृह राज्‍य मंत्री किरण रिजिजु ने अखिलेश को नसीहत दी कि ऐसी घटनाओं को गिनती के आधार पर कम कया ज्‍यादा नहीं आंका जा सकता। उन्‍होंने कहा, 'सो हमें उम्‍मीद है कि उत्‍तर प्रदेश सरकार इस तरह के अपराधों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगी।' संसद भवन के बाहर पत्रकारों से बातचीत में किरण ने इस सवाल के जरिए यूपी सरकार को एक्‍शन लेने का संकेत दिया कि आखिर ऐसी घटनाएं क्‍यों नहीं रोकी जा सकती?' उन्‍होंने कहा कि यूपी में जो हालात हैं उससे राज्‍य सरकर को सख्‍ती से निपटना ही होगा। 
 
मुलायम भी देते रहे हैं विवादित बयान 
बलात्‍कार की बढ़ती घटनाओं को लेकर समाजवादी पार्टी के नेताओं द्वारा अजीबोगरीब बयान देने का सिलसिला नया नहीं है। चुनाव प्रचार के दौरान सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने भी कहा था, 'लड़के हैं, लड़कियों से गलतियां हो जाती हैं। तो क्‍या इसके लिए उन्‍हें फांसी दे दी जाए?'

उत्तर प्रदेश में एक नाबालिग  युवती का बंदूक की नोक पर कथित तौर पर रेप करने का मामला सामने आया है। घटना संभल जिले के नखासा क्षेत्र की है।
पुलिस के मुताबिक,  नखासा क्षेत्र के फिरोजपुर गांव में बुधवार को 15 साल की एक लड़की अपने खेत के पास गोबर के उपले बना रही थी, तभी गांव के ही कासिम नाम के शख्स ने उसे बंदूक से डराकर रेप किया। पुलिस ने मामले में आरोपी के खिलाफ मुकदमा दर्ज करके जांच शुरू कर दी है।
 
सीतापुर में भी बदायूं जैसी घटना 
वहीं, यूपी के ही सीतापुर में भी बदायूं जैसी सी ही घटना सामने आई है। यहां एक नाबालिग लड़की की हत्या कर शव को पेड़ से लटका दिया गया। नाबालिग के पिता ने आरोप लगाया है कि गांव का ही एक लड़का उनकी बेटी के साथ शादी का दबाव बना रहा था, लेकिन जब उन्‍होंने इससे इनकार कर दिया तो उसने उनकी बेटी की हत्‍या कर दी। आरोपी पीडि़ता का फुफेरा भाई बताया जा रहा है। 
पिता ने आरोप लगाया है कि आरोपी ने अपने दोस्‍तों के साथ मिलकर नाबालिग से गैंगरेप भी किया। मामले की जानकारी मिलते ही मौके पर पहुंची पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। मामले में छह लोगों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया गया है। परिजनों का आरोप है कि पुलिस ने हत्‍या का मामला तो दर्ज कर लिया, लेकिन गैंगरेप का मामला नहीं दर्ज किया।

अखिलेश बोले- बाकी जगहों के रेप नहीं दिखा रहा है मीडिया

dainikbhaskar.com|Jun 04, 2014, 12:24PM IST
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अखिलेश बोले- बाकी जगहों के रेप नहीं दिखा रहा है मीडिया
लखनऊ. बदायूं गैंगरेप के बाद चौतरफा आलोचना झेल रही यूपी सरकार सबक लेने के बजाय दूसरे प्रदेशों की घटनाओं का हवाला दे रही है। प्रदेश में बिगड़ती कानून-व्यवस्था पर जब उनसे सवाल पूछा गया, वह मीडिया पर ही भड़क गए और पक्षपात का आरोप लगाया। मुख्यमंत्री ने राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक के बाद कहा, ‘बदायूं की घटना या प्रदेश में कोई घटना अगर हुई है तो हमने कड़ी कार्रवाई की है। बदायूं में हम जो-जो कदम उठा सकते थे, हमने उठाए। सीबीआई की जांच होगी। प्रदेश में कहीं भी कोई घटना हुई तो उसमें कार्रवाई की गई है। मैंने कई बार कहा कि घटना का प्रचार होता है। ऐसी घटनाएं सिर्फ उत्तर प्रदेश में नहीं होती।’ उन्होंने कहा, ‘बेंगलूर में घटना हुई, क्या वह चैनलों पर दिखी... मध्य प्रदेश में लगातार घटना हो रही है। वहां के बड़े मंत्री के परिवार की सदस्य की चेन उनके घर के पास ही खींच ली गई । राजस्थान की हालत आपके सामने है। सिर्फ उत्तर प्रदेश ही जानबूझकर दिखाई दे रहा है।’ 
 
जनता और भाजपा पर फोड़ा ठीकरा 
बिजली संकट पर बोलते हुए अखिलेश ने कहा कि यूपी की जनता ने जो जनादेश दिया है, उसका ही नतीजा है कि सूबे को 16 घंटे भी बिजली नहीं दी जा पा रही है। सीएम ने भाजपा सरकार पर भी निशाना साधते हुए कहा कि ये बहुत चालू लोग हैं। अखिलेश ने कहा, 'केंद्र सरकार कम से कम यूपी को उसके कोटे की बिजली तो दे दे। जब तक केंद्र ऐसा नहीं करता, हम बिजली कहां से दें। उन्होंने कहा, 'केंद्र एक साल के लिए हमें कोयला उधार ही दे दे, हम उसे 2016 में लौटा देंगे। तब तक यहां कई बिजली परियोजनाएं शुरू हो जाएंगी।'
 
अखिलेश ने कैबिनेट मीटिंग के दौरान कई अहम और बड़े फैसले लिए। प्रदेश में नई तबादला नीति को भी मंजूरी दे दी ,जो मंगलवार से ही लागू हो गई है। अब मंत्री और एचओडी 10 फीसदी तबादले कर सकेंगे।

जानकारी के मुताबिक, महंगाई कम करने के लिए भी ‌कुछ रिजर्व फंड बनाने की योजना को मंजूरी मिली है। खबर यह भी आ रही है कि हो सकता है कि यूपी सरकार लैपटॉप वितरण योजना को ठंडे बस्ते में डाल दे। हालांकि, अभी तक इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हो सकी है।
 

अखिलेश बोले- बाकी जगहों के रेप नहीं दिखा रहा है मीडिया

dainikbhaskar.com|Jun 04, 2014, 12:24PM IST
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अखिलेश बोले- बाकी जगहों के रेप नहीं दिखा रहा है मीडिया
वर्तमान राजनीति की जो हालत है, उसमें कई ऐसे नेता है जिन्‍हें असफल की श्रेणी में रखा जा सकता है। एक तरफ राहुल गांधी हैं, जिनके नेतृत्‍व में पार्टी को ऐतिहासिक हार का सामना करना पड़ा। इस श्रेणी में लेफ्ट पार्टियों के नेता भी हैं, जिनके सामने हालिया नतीजों के बाद पार्टी के अस्तित्‍व को बनाए रखने की चुनौती है। पूर्व पीएम मनमोहन भी हैं जो चाहे-अनचाहे यूपीए के भ्रष्‍टाचार के खामोश चेहरे बन गए। इनके अलावा, किसी और नेता को इस जमात में शामिल करना हो तो वह निश्चित तौर पर यूपी के मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव होंगे। जानकार मानते हैं कि अखिलेश सरकार की छवि यूपीए-2 से भी खराब हो चली है और नाकाम राजनेताओं की लिस्‍ट में वह मनमोहन सिंह से भी ऊपर आ चुके हैं।

अखिलेश और मनमोहन में कई समानता 
यूपी में अखिलेश यादव और पूर्व की मनमोहन सिंह सरकार के बीच कई तरह की समानताएं हैं। मनमोहन सिंह की तरह ही अखिलेश भी विदेश में पढ़े हैं। दोनों, अपने यहां सबसे उच्‍च पद पर आसीन होने के बावजूद असली पावर सेंटर नहीं हैं। मनमोहन सिंह के जमाने में 7आरसीआर पर 10 जनपथ के हावी होने की बातें सामने आती रही हैं। ठीक, वैसे ही अखिलेश यादव की सरकार में उनके चाचाओं और कुछ दूसरे सीनियर नेताओं की दखल की खबरें भी काफी आम हैं। इसके अलावा, दोनों ही महत्‍वूर्ण मुद्दों पर तुरंत फैसले लेने में नाकाम दिखते हैं।

और कारण भी हैं यूपी सरकार की नाकामी के 
यूपी के मुख्‍यमंत्री एक बार फिर गलत वजह से मीडिया में विलेन बने हुए हैं। उनके चचेरे भाई धमेंद्र यादव के संसदीय क्षेत्र में दो दलित लड़कियों के साथ गैंगरेप और बाद में फांसी दिए जाने के मामले में उनकी और ज्‍यादा किरकिरी हो रही है। अखिलेश ने शपथ लेते वक्‍त कहा था कि कानून-व्यवस्‍था ही प्रदेश सरकार की प्राथमिकता होगी। आज के हालात में उनका यह दावा खोखला नजर आता है। देखा जाए तो कानून-व्यवस्‍था ही अखिलेश सरकार की सबसे बड़ी कमजोरी साबित हुई है। उनके राज में सिर्फ 2012 में ही सौ से ज्यादा दंगे हुए।

टूट गई उम्‍मीदें 
अखिलेश का युवा होना भी शुरुआत में लोगों के मन में कुछ भरोसा जगा गया। लोगों को लगा कि अब यूपी में गुंडाराज वाला माहौल बदलेगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। अभी तो फिलहाल दो ही साल हुए हैं, लेकिन अगर ऐसा ही रहा तो उनका कार्यकाल खत्‍म होने तक उनके पास दिखाने के लिए कोई खास उपलब्धि नहीं होगी। 

यूपी में बिगड़ती कानून व्यवस्था पर गृहमंत्री ने राज्यपाल से की मुलाकात

dainikbhaskar.com|Jun 04, 2014, 01:24AM IST
यूपी में बिगड़ती कानून व्यवस्था पर गृहमंत्री ने राज्यपाल से की मुलाकात
लखनऊ. प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति लगातार बद से बदतर होती जा रही है। ऐसे में सोमवार को राज्यपाल बीएल जोशी ने सीएम अखिलेश को तलब कर जवाब मांगा था। मंगलवार को देश के गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने यूपी के राज्यपाल को दिल्ली बुलाकर उनसे मुलाकात की और राज्य में बदतर होती कानून व्यवस्था पर चर्चा की। बताते चलें कि केंद्र सरकार ने कानून व्यवस्था के मुद्दे पर राज्यपाल बीएल जोशी से रिपोर्ट तलब की थी। 
 
दरअसल, बदायूं कांड के बाद लगातार बलात्कार की घटनाएं यूपी में हो रही हैं और प्रदेश सरकार इनको रोकने की बजाय इन घटनाओं को दिखाने का ठीकरा मीडिया पर फोड़ रहा है। अखिलेश यादव सार्वजानिक रूप से बदायूं केस का गुस्सा मीडिया पर निकाल रहे हैं। ऐसे में यूपी के राज्यपाल बीएल जोशी की गृहमंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात के कई मायने निकाले जा रहे हैं। 
 
माना जा रहा है कि राज्य की कानून व्यवस्था के साथ प्रदेश की राजनीति में चल रही उठापटक की जानकारी राजनाथ सिंह ने राज्यपाल से ली है। 
 
गौरतलब है कि बदायूं गैंगरेप कांड को लेकर भाजपा लगातार प्रदेश सरकार पर दबाव बना रही है। इसको लेकर भाजपा कार्यकर्ताओं ने जहां मुख्यमंत्री कार्यालय का घेराव किया, वहीं पूरे प्रदेश में बलात्कार की घटनाओं को लेकर प्रदर्शन किया था।

नोट ; मैं प्रवक्ता के नाते नहीं बल्कि स्पष्ट तौर पर 'निरपेक्ष नागरिक' के नाते यह कह सकता हूँ की उत्तर प्रदेश के मुखिया के पास दृष्टि()नहीं है जिससे उनके राज्य की अभिबृद्धि हो दुश्मन दमित (शांत हों) और अवाम 'खुश गवार' हो !
हज़ारों उदहारण हैं जिनसे स्पष्ट दीखता है की सत्ता के इर्द गिर्द "सता के दुश्मनों का बसेरा है" अमर सिंह की विदाई के लिए 'लड़ते हुए' बहुतेरे शहीद हुए थे जो आज भी लगभग सत्तासीनों की नज़र में अविश्वसनीय हो गए हैं !