May 21, 12:57 am
लखनऊ। सूबे में नई सरकार के गठन के बाद घोटालों की श्रृंखला खुलने लगी है। अब परिवहन निगम में भी घोटाले की परत खुल रही है। 200 सीएनजी बसों के निर्माण में गुणवत्ता घटिया होने के मामले को आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन ने जांच के रडार पर ले लिया है। परिवहन निगम में लक्जरी कारों की खरीद से लेकर अतिथि गृहों में भारी खर्च से बेमतलब की हुई सजावट सहित कई मामलों की पड़ताल शुरू हो गई है।
आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन ने परिवहन निगम में हुई अनियमितताओं को लेकर जांच के दस बिंदु निर्धारित किए हैं। सबसे पहला बिंदु बाहरी माध्यमों से सीएनजी बसों का निर्माण कराने का ही है। बाहरी माध्यम से बसों की सीटें बनवाए जाने को भी जांच के दायरे में लाया गया है। एसी बसों के किराए में पीक सीजन के दौरान 20 फीसद छूट देने के मौखिक आदेश के कारण व निहितार्थ, दोनों खंगाले जा रहे हैं। यात्री सुविधा धन के दुरुपयोग की शिकायतों की जांच हो रही है। जांच एजेंसी की दिलचस्पी इस बात में भी है कि बस अड्डों का निर्माण परिवहन विभाग ने खुद करने की बजाय जल निगम के बाहरी पेटी ठेकेदारों से क्यों कराया।
आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन ने कैसरबाग बस अड्डे को तोड़कर दोबारा बनाए जाने को भी जांच के दायरे में ले लिया है। इसकी पड़ताल की जा रही है कि 50 लाख रुपये से अधिक की अत्याधुनिक कारों की खरीद किस विधि से की गई। इसके अलावा टायर रीट्रीडिंग मैटीरियल के लिए सहारनपुर के एक व्यक्ति को अलग-अलग कई नामों से खरीद का आदेश जारी करने, बीते तीन वर्षों में निगम में खरीदे गए एअर कंडीशनर व कारों का उपयोग व उनका भौतिक सत्यापन सुनिश्चित करने तथा परिवहन निगम के अतिथि गृहों की साज-सज्जा पर अनावश्यक किए गए खर्च को भी जांच के दायरे में शामिल किया गया है।
तलब की जानकारी
आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन ने परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक से विभिन्न कार्यों से जुड़े रहे अधिकारियों की जानकारी तलब की है। प्रबंधन से पूछा है कि सभी बिंदुओं से संबंधित कार्य निगम के किस विभाग से कराये गए। इन कार्यों से जुड़े अधिकारियों के नाम और पदनाम भी मांगे गए हैं। इन विभागों के पर्यवेक्षण अधिकारियों के भी नाम और पदनाम तलब किए गए हैं। इन कार्यों के समय निगम में अपर प्रबंध निदेशक के पद पर कार्यरत रहे एक अधिकारी की हर बार तैनाती का पूर्ण विवरण मांगा गया है। साथ ही जांच को समय पर पूरा करने के लिए निगम से एक ऐसा नोडल अधिकारी नियुक्त करने को कहा गया है, जिसे तथ्यों की जानकारी हो। इस बाबत निगम के प्रबंध निदेशक आलोक कुमार से संपर्क किया गया, लेकिन उनसे बात नहीं हो सकी।
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