मंगलवार, 22 मई 2012

यह उत्तर प्रदेश है यहाँ कब तक उलट पलट चलता रहेगा ।

(अमर उजाला से साभार)

अखिलेश का फैसला, मायावती के 26 ड्रीम प्रोजेक्ट रद्द

लखनऊ/अमर उजाला ब्यूरो
Story Update : Saturday, May 12, 2012    12:23 AM
Akhilesh government decision Mayaraj 26 Plans end
अखिलेश सरकार ने कैबिनेट की बैठक में मायाराज में शुरू की गई 26 योजनाओं को समाप्त करने, 30 से 40 साल के लोगों को एक हजार रुपये प्रतिमाह बेरोजगारी भत्ता देने और आयुर्वेद एवं यूनानी विभाग में संविदा पर नियुक्त डॉक्टरों की वेतन वृद्धि, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के मानदेय में बढ़ोतरी के फैसले पर मुहर लगा दी।

इसके अलावा शासकीय निर्माण कार्यों में एससी-एसटी वर्ग का कोटा खत्म करने और ईंट-भट्टा लगाने के लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से अनुमति अनिवार्य करने जैसे महत्वपूर्ण फैसले भी कैबिनेट की बैठक में किए गए हैं।

मायाराज की घोषणाएं समाप्त करने के फैसले से साफ है कि सपा सरकार अपनी पार्टी के एजेंडे के हिसाब से ही प्रदेश के कामकाज को आगे बढ़ाना चाहती है। सरकार ने जिन 26 योजनाओं और कार्यक्रमों को समाप्त करने का ऐलान किया है उनमें कांशीराम शहरी गरीब आवास योजना समेत कुछ अन्य आवासीय योजनाएं और लखनऊ में अंबेडकर प्रतीक स्थल का सौंदर्यीकरण और रखरखाव भी शामिल है। ये योजनाएं और कार्यक्रम मायावती के कार्यकाल में काफी प्राथमकिता वाली मानी जाती थीं।

सरकार की ओर से कहा गया है कि 13 विभागों की 26 योजनाओं और कार्यक्रमों को समाप्त करने से चालू वित्त वर्ष में कुल 4861.72 करोड़ रुपये की बचत होगी। इनका उपयोग नए प्राथमिकता वाले काम में किया जाएगा। जिन योजनाओं व कार्यक्रमों को खत्म किया गया है उनके विभाग अपने अधूरे कामों को पूरा करेंगे तथा सभी देनदारियों के बाद आदेश जारी करेंगे।

सरकार की ओर से जारी विज्ञप्ति में साफ किया गया है कि पिछले दिनों प्रदेश के त्वरित विकास के लिए संसाधन जुटाने के लिए कई योजनाओं की समीक्षा की गई, इसमें 26 योजनाओं को खत्म करने पर सहमति बनी।

योजनाएं जिन पर लगा विराम
--मान्यवर श्री कांशीराम शहरी गरीब आवास योजना
--लखनऊ में मान्यवर श्री कांशीराम ग्रीन इको गार्डेन का निर्र्माण
--लखनऊ में परिवर्तन चौक, अंबेडकर प्रतीक स्थल का सौंदर्यीकरण व रखरखाव
--महामाया गरीब बालिका आशीर्वाद योजना
--महामाया आवास योजना
--महामाया सर्वजन आवास योजना
--सावित्री बाई फुले बालिका शिक्षा मदद योजना (प्राविधिक शिक्षा)
--सवित्री बाई फुले बालिका शिक्षा मदद योजना (व्यावसायिक शिक्षा)
--सवित्री बाई फुले बालिका शिक्षा मदद योजना (माध्यमिक शिक्षा )
--मान्यवर श्री कांशीराम शहरी समग्र विकास योजना के तहत रोजगार स़ृजन
--डॉ. अंबेडकर गांवों में सीसी रोड व केसी ड्रेन का निर्माण
--संपूर्ण स्वच्छता अभियान केतहत विशेष प्रोत्साहन
--डॉ. अंबेडकर ग्राम सभा विकास योजना
--छात्रावासों का निर्माण
--अनुसूचित जाति छात्रवृत्ति योजना
--कोल जातियों को एकीकृत विकास
--अंबेडकर सामुदायिक विकास केंद्रों का निर्माण
--मान्यता प्राप्त अनुसूचित बाहुल्य प्राथमिक विद्यालयों को एकमुश्त सहायता
--कांशीराम शहरी गरीब आवास योजना के तहत मार्गों को पुनर्निर्माण
--डॉ. अंबेडकर ग्राम सभा विकास योजना केतहत सड़कों का निर्माण
--डॉ. भीमराव अंबेडकर नलकूप योजना
--डॉ. भीमराव अंबेडकर सामूहिक नलकूप योजना

रविवार, 20 मई 2012

सदन की अनदेखी नहीं की जाएगी


न सत्र छोटा होगा और न चर्चा कम होगी: अखिलेश

लखनऊ/ब्यूरो
Story Update : Monday, May 21, 2012    12:45 AM
At the session will be short and will not discuss Akhilesh
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने विधायकों को आश्वस्त किया है कि अब न तो विधानसभा का सत्र छोटा होगा और न चर्चा में कटौती की जाएगी। सत्र लंबा चलेगा और सदस्यों को बोलने का मौका दिया जाएगा। विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय ने कहा कि बजट सत्र 28 मई से प्रारंभ होकर जुलाई के दूसरे सप्ताह तक चलेगा।

सदन की अनदेखी नहीं की जाएगी
उत्तर प्रदेश की 16वीं विधानसभा के नए विधायकों के प्रबोधन कार्यक्रम के दूसरे दिन रविवार को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव सदस्यों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि प्रदेश की मौजूदा सरकार समाज, प्रदेश और देश के विकास में सदनों की सार्थकता को भलीभांति जानती है इसलिए सदन की अनदेखी नहीं की जाएगी। उन्होंने सदस्यों को सदन में ज्यादा समय देने की सलाह दी और कहा कि अच्छी छवि इसी से बनेगी।

मुख्यमंत्री ने आश्वस्त किया कि इस बार विधानसभा का माहौल बदला हुआ दिखेगा। सदस्यों को अपनी बात कहने का पूरा मौका दिया जाएगा पर सदस्यों से अनुरोध है कि वह भी पूरी तैयारी करके आए, जिससे बहस को सार्थक बनाया जा सके। वहीं विधानसभा अध्यक्ष ने अपने संबोधन में कहा कि सोलहवीं विधानसभा के पहले सत्र के दौरान ही विधायकों को अपनी बात कहने और क्षेत्र की समस्याओं को सदन के समक्ष रखने का भरपूर समय मिलेगा। उन्होंने कहा, कोशिश होगी कि सत्र अधिक से अधिक दिन तक चले।

उत्तर प्रदेश


यूपी में अब एसी बस घोटाला

May 21, 12:57 am
लखनऊ। सूबे में नई सरकार के गठन के बाद घोटालों की श्रृंखला खुलने लगी है। अब परिवहन निगम में भी घोटाले की परत खुल रही है। 200 सीएनजी बसों के निर्माण में गुणवत्ता घटिया होने के मामले को आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन ने जांच के रडार पर ले लिया है। परिवहन निगम में लक्जरी कारों की खरीद से लेकर अतिथि गृहों में भारी खर्च से बेमतलब की हुई सजावट सहित कई मामलों की पड़ताल शुरू हो गई है।
आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन ने परिवहन निगम में हुई अनियमितताओं को लेकर जांच के दस बिंदु निर्धारित किए हैं। सबसे पहला बिंदु बाहरी माध्यमों से सीएनजी बसों का निर्माण कराने का ही है। बाहरी माध्यम से बसों की सीटें बनवाए जाने को भी जांच के दायरे में लाया गया है। एसी बसों के किराए में पीक सीजन के दौरान 20 फीसद छूट देने के मौखिक आदेश के कारण व निहितार्थ, दोनों खंगाले जा रहे हैं। यात्री सुविधा धन के दुरुपयोग की शिकायतों की जांच हो रही है। जांच एजेंसी की दिलचस्पी इस बात में भी है कि बस अड्डों का निर्माण परिवहन विभाग ने खुद करने की बजाय जल निगम के बाहरी पेटी ठेकेदारों से क्यों कराया।
आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन ने कैसरबाग बस अड्डे को तोड़कर दोबारा बनाए जाने को भी जांच के दायरे में ले लिया है। इसकी पड़ताल की जा रही है कि 50 लाख रुपये से अधिक की अत्याधुनिक कारों की खरीद किस विधि से की गई। इसके अलावा टायर रीट्रीडिंग मैटीरियल के लिए सहारनपुर के एक व्यक्ति को अलग-अलग कई नामों से खरीद का आदेश जारी करने, बीते तीन वर्षों में निगम में खरीदे गए एअर कंडीशनर व कारों का उपयोग व उनका भौतिक सत्यापन सुनिश्चित करने तथा परिवहन निगम के अतिथि गृहों की साज-सज्जा पर अनावश्यक किए गए खर्च को भी जांच के दायरे में शामिल किया गया है।
तलब की जानकारी
आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन ने परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक से विभिन्न कार्यों से जुड़े रहे अधिकारियों की जानकारी तलब की है। प्रबंधन से पूछा है कि सभी बिंदुओं से संबंधित कार्य निगम के किस विभाग से कराये गए। इन कार्यों से जुड़े अधिकारियों के नाम और पदनाम भी मांगे गए हैं। इन विभागों के पर्यवेक्षण अधिकारियों के भी नाम और पदनाम तलब किए गए हैं। इन कार्यों के समय निगम में अपर प्रबंध निदेशक के पद पर कार्यरत रहे एक अधिकारी की हर बार तैनाती का पूर्ण विवरण मांगा गया है। साथ ही जांच को समय पर पूरा करने के लिए निगम से एक ऐसा नोडल अधिकारी नियुक्त करने को कहा गया है, जिसे तथ्यों की जानकारी हो। इस बाबत निगम के प्रबंध निदेशक आलोक कुमार से संपर्क किया गया, लेकिन उनसे बात नहीं हो सकी।