शुक्रवार, 28 सितंबर 2012

क्या ऐसी योजना है मुख्यमंत्री की



यूपी पढ़ेगा तभी देश बढ़ेगा

Sep 28, 12:25 pm
नई दिल्ली। हा, उत्तर प्रदेश पढ़ेगा, तभी देश बढ़ेगा। वह जमाना गया, जब हम महज इसलिए खुश हो लेते थे कि हमारे पास महामना का बीएचयू है। सर सैय्यद का एएमयू है। देश-दुनिया में नाम कमा रहा है आइआइटी-कानपुर है। तब से अब तक वैश्विक स्तर की ऊंची पढ़ाई में रोज-ब-रोज क्रांति हो रही है। ऐसे में देश के सबसे बड़े सूबे में उच्च शिक्षा के संस्थानों की भरमार, शोध में वृद्धि, निजी क्षेत्र से हाथ मिलाना और उद्योग आधारित पाठ्यक्रम आदि में अब चुके तो देश पिछड़ जाएगा। साफ है, पहल उत्तर प्रदेश को ही करनी होगी।
सच तो यह है कि यह सब हमें बहुत पहले करना था। नहीं कर सके। देश के ही दूसरे राज्य को दूसरी नजरों से देख रहे हैं। आज महज साढ़े सात करोड़ की आबादी वाले राज्य तमिलनाडु में सरकारी व निजी मिलाकर कुल 59 विश्वविद्यालय हैं। जबकि, 20 करोड़ की आबादी वाले उत्तर प्रदेश में सिर्फ 58 विश्वविद्यालय हैं। उनमें भी चार केंद्रीय, बाकी राज्य सरकार व निजी क्षेत्र के हैं। इसी तरह महज 11 करोड़ की आबादी वाले महाराष्ट्र में 4631 कालेज हैं तो उसकी दोगुनी आबादी वाले उत्तर प्रदेश में 3859 कॉलेज हैं।
तस्वीर के दूसरे रुख को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। स्कूली शिक्षा की जरूरतों को पूरा करना लाजिमी है। 5.14 करोड़ निरक्षरों वाले इस प्रदेश में 3.12 लाख शिक्षकों की कमी की अनेदखी नहीं की जा सकती। वह भी तब, जब हर साल लगभग 12 हजार शिक्षक रिटायर हो रहे हैं। 254 स्कूल बिना भवन के चल रहे हैं। 887 स्कूलों में पीने का पानी नहीं है। 2022 तक 50 करोड़ लोगों को स्किल्ड बनाने के लिए 1500 आइटीआइ की जरूरत है। जबकि, 458 असेवित ब्लाकों में कोई आइटीआइ है ही नहीं। नौ मंडल मुख्यालयों पर कोई विश्वविद्यालय ही नहीं है।
यह स्थितिया निश्चित तौर पर उत्तर प्रदेश के लिए एक बड़ा सबक हैं, लेकिन इसे बदला जा सकता है। शिक्षाविदों का मानना है कि संसाधनों के विस्तार को निजी क्षेत्र से हाथ मिलाने में उदारता दिखानी होगी। शोध व इनोवेशन को बढ़ावा देने के लिए मौजूदा विश्वविद्यालयों को अतिरिक्त मदद की जरूरत है। विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम स्थानीय उद्योगों की जरूरत के लिहाज से तैयार हों तो शोध को और गति मिलेगी। विश्वविद्यालयों से बेहतर नतीजों के लिए उनका पाच साल की प्रगति का खाका तैयार होना चाहिए। यह पहले से तय हो कि वे पाच साल बाद कहा होंगे। साथ ही समय-समय पर उनकी प्रगति की समीक्षा भी जरूरी है।
पारदर्शिता के मद्देनजर हर विश्वविद्यालय व कॉलेज की सफलता की दर को उनकी वेबसाइट पर खुलासा होना चाहिए। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का सवाल अहम् है। लिहाजा, शिक्षकों की नौकरी के दौरान हर विश्वविद्यालय में उनके नियमित प्रशिक्षण का केंद्र खोला जा सकता है।
शिक्षा की राह में धन की कमी एक बड़ी बाधा है। सामाजिक दायित्वों की रोशनी में राज्य सरकार उसके लिए शिक्षा उपकर [सेस] का रास्ता भी तलाश सकती है। केंद्र सरकार का मानना है कि एक दशक में देश को लगभग 400 और विश्वविद्यालयों और लगभग 30 हजार नये कालेजों की जरूरत पड़ेगी। जाहिर है इसमें उत्तर प्रदेश को बड़ी भूमिका निभानी पड़ेगी।
लिहाजा, जो कल करना है, उसे आज से ही शुरु कर देने में प्रदेश ही नहीं, बल्कि देश की भी भलाई है। क्योंकि इस प्रदेश के पिछड़ने का असर देश पर पड़ता है। ऐसे में सच यही है कि उत्तर प्रदेश पढ़ेगा तो देश बढ़ेगा।
[राजकेश्वर सिंह]

यूपी चमका तो मिटेगा अज्ञान का अंधकार                      Sep 28, 12:25 pm

नई दिल्ली। देश-दुनिया में अपनी मेधा का लोहा मनवाते रहे उत्तर प्रदेश की यह उलटबासी नहीं तो और क्या है कि उसकी सबसे कमजोर नब्ज शिक्षा ही है।
देश की 74 फीसदी साक्षरता दर के मुकाबले 20 करोड़ की आबादी वाले उत्तर प्रदेश में प्रति 100 व्यक्तियों में 70 लोग ही साक्षर हैं। कुल मिलाकर देश के 27 करोड़ अनपढ़ों में इस उत्तर प्रदेश से ही सवा पाच करोड़ निरक्षर आते हैं। यह शर्मनाक आंकड़ा मायूस करने वाला है, लेकिन दूसरा पहलू यह है कि थोड़े से प्रयास उत्तर प्रदेश न सिर्फ अपना, बल्कि पूरे देश की साक्षरता की तस्वीर बदल सकता है।
यह कोरी उम्मीद नहीं, तथ्य है। थोड़े से प्रयासों के जो नतीजे आए हैं,उससे उत्तर प्रदेश के भी हर बच्चे को शिक्षा का अधिकार मिलने की उम्मीदें जवान हुई हैं। शिक्षा की तरफ लोगों की जागरूकता बढ़ी है। अब जिम्मेदारी सरकार व समाज के दूसरे सबल व सक्षम तबकों की है। चुनौती बड़ी है, लेकिन वास्तव में उम्मीद की किरण इस तथ्य से पैदा होती है कि दाखिले के बाद अब 80 फीसदी बच्चे स्कूल में टिकने लगे हैं। वरना पहले स्थिति बहुत ज्यादा खराब थी।
हालांकि, इस मामले में गौतमबुद्धनगर, रायबरेली, सुलतानपुर समेत 30 जिलों में स्थिति अब भी बदतर है। प्रदेश सरकार का ध्यान इस तरफ गया है तो नतीजे बदलने की उम्मीद की जानी चाहिए। बीच में पढ़ाई छोड़ने की स्थिति में सुधार भी बेहतरी की तरफ इशारा कर रहा है। प्राइमरी में अभी 11.06 प्रतिशत बच्चे बीच में पढ़ाई छोड़ रहे हैं। जबकि, पहले 16.71 प्रतिशत बच्चे दाखिला तो लेते थे, लेकिन मंजिल तक नहीं पहुंचते थे। इधर, तीन लाख से अधिक अतिरिक्त क्लासरूम बनाए जा चुकें हैं। इस साल 15 हजार से अधिक और बनेंगे। साथ ही प्रदेश सरकार ने शहरों में स्कूलों से वंचित बच्चों की पहचान के लिए लखनऊ, कानपुर, आगरा, इलाहाबाद, वाराणसी में सर्वे कराने का भी फैसला भी किया है।
हालाकि, चुनौती अभी बहुत बड़ी है। बीस करोड़ की आबादी वाले इस राज्य में लगभग तीन करोड़ बीस लाख बच्चे स्कूलों में हैं। छह से चौदह साल के महज एक लाख बच्चों को ही स्कूल तक पहुंचाने की चुनौती सामने है। उसमें भी प्रदेश के सीतापुर, हरदोई, महराजगंज, मिर्जापुर और फतेहपुर जिलों में सबसे ज्यादा फोकस करने की जरूरत है। वैसे राज्य सरकार के प्रस्ताव पर केंद्र ने प्रदेश के लिए दस हजार से अधिक प्राइमरी, एक हजार से अधिक अपर प्राइमरी और लगभग सवा सौ कंपोजिट स्कूलों को खोलने की मंजूरी दे रखी है।
खुद, केंद्र सरकार अकेले बूते शिक्षा के लिए सब कुछ कर पाने में हाथ खड़ा कर चुकी है। वह निजी क्षेत्र की ओर निहार रही है। जाहिर है उत्तर प्रदेश को भी इसकी दरकार है। प्रदेश में सपा की सरकार बनने के बाद से ही मुख्यमंत्री अखिलेश यादव विकास परियोजनाओं के लिए सार्वजनिक-निजी क्षेत्र भागीदारी [पीपीपी] की पैरवी लगातार कर रहे हैं। बावजूद इसके जरूरतमंदों में शिक्षा की पहुंच बढ़ाने के लिए ही प्रदेश सरकार शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में 70 आवासीय स्कूल अपने बूते खोलना चाहती है। शिक्षा का अधिकार कानून के तहत स्कूल तक जाने-आने के साधनों की दिशा में कदम उठे हैं। प्रदेश सरकार ने शिक्षा के बजट में लगभग 11 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी की है। 13वें वित्त आयोग ने भी चालू वित्तीय वर्ष में प्रारंभिक शिक्षा के लिए 1027 करोड़ की मंजूरी दी है। इसमें केंद्र व राज्य मिलकर सहयोग करेंगे।
स्कूली शिक्षा प्रगति रिपोर्ट एक नजर-
-खर्च [मार्च-2012 तक] उपलब्ध धन का 87 प्रतिशत
सर्वशिक्षा अभियान- 13वें वित्त आयोग के अनुदान में राज्य ने अपने हिस्से का 871 करोड़ जारी किया
सिविल कार्य- 26 प्रतिशत कार्य पूरा
सामाजिक सहभागिता- 370 विकलाग लड़कियों का कस्तूरबा गाधी बालिका विद्यालयों में दाखिला
राजकेश्वर सिंह

रविवार, 9 सितंबर 2012

रोजगार भी देगी यूपी सरकार

बेरोजगारी भत्ता ही नहीं रोजगार भी देगी यूपी सरकार

लखनऊ/ब्यूरो
Story Update : Monday, September 10, 2012    2:03 AM
akhilesh launches unemployment allowance scheme
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि सपा सरकार भत्ता ही नहीं बेरोजगारों को रोजगार भी देगी। यूपी के 25 से 40 वर्ष तक के युवाओं को जब तक रोजगार नहीं मिलेगा, भत्ता दिया जाता रहेगा। भत्ते के लिए यदि जरूरी हुआ तो बजट बढ़ा दिया जाएगा पर किसी बेरोजगार को निराश नहीं होने दिया जाएगा। सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने कहा कि हमने काफी सोच समझकर घोषणा पत्र तैयार किया है। इसे पांच साल के अंदर ही पूरा कर देंगे।

राजधानी के काल्विन कॉलेज तालुकेदार मैदान पर रविवार को आयोजित बेरोजगारी भत्ता वितरण कार्यक्रम में मुख्यमंत्री व सपा मुखिया ने मंच पर 50 बेरोजगारों को भत्ते का चेक प्रदान किया। इसके अलावा कार्यक्रम में मौजूद सात जिलों कानपुर, उन्नाव, रायबरेली, लखनऊ, सीतापुर, हरदोई व लखीमपुर खीरी के 10 हजार 338 बेरोजगारों को भी भत्ता बांटा गया।

मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि सपा मुखिया ने 2006 में जो योजना शुरू की थी, उसे पिछली सरकार ने बंद कर दिया। सपाइयों और युवाओं के संघर्ष से हम सत्ता में आए हैं इसलिए बेरोजगारी भत्ते की शुरुआत फिर से की गई है। सूबे में सबसे अधिक किसान और बेरोजगार परेशान हैं। सपा की पिछली सरकार ने उद्योग को बढ़ावा दिया। कई बड़े औद्योगिक घराने आए, लेकिन पिछली सरकार ने उन्हें खदेड़ दिया। इससे यूपी का जितना विकास होना चाहिए, नहीं हुआ।

उन्होंने कहा, सरकार दूध और बिजली के क्षेत्र में काम करना चाहती है। ऊर्जा के क्षेत्र में जितना काम होना चाहिए, नहीं हुआ। विद्युत आपूर्ति के नाम पर घपले और घोटाले हुए। भरोसा दिलाता हूं कि बिजली की समस्या का जल्द समाधान हो जाएगा। सरकार नौजवानों के साथ किसान और बुनकर को भी फायदा देगी। सरकार को अभी मात्र छह माह ही हुए हैं, पर सभी वादे पूरे किए जाएंगे।

किसानों को नहर से पानी भी मुफ्त
सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने कहा कि 1957 में राम मनोहर लोहिया ने जो नारा दिया था वह पूरा हो रहा है। लोहिया जी ने नारा दिया था कि रोजगार दो या बेरोजगारी भत्ता दो। विशाल यूपी में सपा ने अपने दम पर सरकार बनाई। हमने घोषणा पत्र काफी सोचने के बाद मात्र 24 पेज का तैयार कराया। इन वादों को पांच साल के अंदर पूरा किया जाएगा।

अन्य दलों के लंबे चौड़े घोषणा पत्र से किसी का भला होने वाला नहीं है। वादे के मुताबिक किसानों को नहर और ट्यूबवेल से मुफ्त पानी दिया जाएगा। सरकार सभी वर्गों को साथ लेकर चल रही है। प्रमोशन में आरक्षण के मुद्दे पर सदन में विरोध करने पर अखबारों में छपा की मुलायम अकेले पड़ गए हैं। उन्होंने कहा कि हम अकेले भले ही पड़ गए हैं, लेकिन हमारा मुद्दा अकेला नहीं है।

फिसली जुबान, कहा-नहीं मिलेगा भत्ता
मुलायम सिंह यादव बेरोजगारी भत्ता बांटने के बाद जब लोगों को संबोधित कर रहे थे तो उनकी जुबान फिसल गई। उनके मुंह से निकल गया कि अगले साल नहीं मिलेगा 30 हजार। इसके आगे बोले कि तीन माह में मिलेगा 90 हजार। मुख्यमंत्री अखिलेश के समझाने पर गलती सुधारी तो कहा कि साल में 12 हजार मिलेगा भत्ता। कहा कि भत्ता खाते में ही रखना। पिता को शराब पीने के लिए मत देना। जब वे मांगें तो कहना कि यह हमारी पूंजी है। फिर मुलायम को समझाया गया कि भत्ता तो ऑनलाइन खाते में ही दिया जाएगा, इसके बाद वह शांत हुए।

सरकार प्रयास करेगी कि नए उद्योग लगें और लोगों को रोजगार मिले। भत्ता तो एक छोटी सी मदद है। इसी तरह लड़कियों की पढ़ाई को बढ़ावा देने के लिए कन्या विद्या धन योजना की शुरुआत की गई है। अल्पसंख्यक छात्राओं के लिए भी योजना शुरू कर दी गई है। जिस भरोसे पर सरकार बनी है, उसे जरूर पूरा किया जाएगा।

इन्हें मिला मुख्यमंत्री के हाथों चेक
लखनऊ: अर्शी बनो, शबाना शेख, जिया खानम, शहाना खान, तहसीन अख्तर, उपमा यादव, किरन देवी, राम सिंह, वीरेंद्र कुमार, अजय कुमार, अशद रजा, श्रीराज गौतम, मो. अफसरोज, बंदना यादव।
सीतापुर: विजय कुमार यादव, मो. आरिफ खान, रमेश कुमार मिश्र, महशर जहां, अफसाना खातून, प्रेमलता गुप्ता।
हरदोई: शाहिन खातून, मंजू सैनी, रोशन आरा, नुजहत फातिमा, वीर प्रताप सिंह, रामजी कटियार, संतोष कुमार सिंह।
लखीमपुर खीरी: सर्वेश कुमार मिश्रा, अवधेश कुमार, अतुल मोहन बीरू, राजकमल वर्मा, वसी अहमद, शाहिनी।
रायबरेली: लोकनाथ यादव, नासिर रजा, सुनील कुमार यादव, अन्नपूर्णा श्रीवास्तव, सीमा परवीन, इंदू यादव।
उन्नाव: नौशाबा नाजिश, माधूरी, अफसाना बेगम, संतोष कुमार, संजीव कुमार अवस्थी, मो. कलीम खान।
कानपुर नगर: आशीष कुमार पांडेय, योगेंद्र कुमार दीक्षित, बीना, शबनम फात्मा व सीता देवी कोरी।

शनिवार, 8 सितंबर 2012

उत्‍तर प्रदेश में होगी 25 हजार पुलिस कांस्टेबलों की भर्ती

आज की खबर से एक संभावना प्रबल हो गयी है कि  कहीं यह पुरानी हरकतें न कर बैठें पुलिस कान्सटेबलों की भरतीयों  में इसलिए  हो सकता है की  यह सरकार इन बातों पर विशेष ध्यान रखे की पिछली बार की भारतियों की तरह इनके मंत्री 'भरतीं की दूकान न खोल लें'
डॉ.लाल  रत्नाकर 

उत्‍तर प्रदेश में होगी 25 हजार पुलिस कांस्टेबलों की भर्ती

मुरादाबाद/ब्यूरो
Story Update : Sunday, September 09, 2012    12:23 AM
35 thousand constable recruitment in uttar pradesh
बेरोजगार युवकों के लिए खुशखबरी। तैयारियां शुरू कर दो। जमकर दौड़ो, डंड बैठक लगाओ। तैयारियों के लिए बस तीन से चार महीने का वक्त बचा है। यूपी में फिर दूसरा बड़ा भर्ती मेला लगने जा रहा है। नवंबर या दिसंबर से प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। प्रदेश सरकार पच्चीस हजार कांस्टेबलों की भर्ती करने जा रही है।

पिछली सरकार में पैंतीस हजार कांस्टेबलों की भर्ती हुई थी। इसमें प्रदेश के 102 ट्रेनिंग सेंटरों पर प्रशिक्षण दिलाया गया। अब मौजूदा सरकार भी पच्चीस हजार कांस्टेबलों की भर्ती करने जा रही है। हालांकि अभी कोई तारीख या महीना घोषित नहीं हुआ है लेकिन जिस तरह से तैयारियां चल रही हैं, उससे माना जा रहा है कि नवंबर या दिसंबर से प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।

इस बार भर्ती प्रक्रिया में कुछ बदलाव भी किया जा रहा है। जो दौड़ है, उसे इस तरह से कराया जाएगा, कि पहले पहुंचने वालों को पहला नंबर दिया जाए। कुल मिलाकर नंबरिंग की तैयारी हो रही है। फिजिकल में कुछ दूसरे बदलाव की भी कवायद चल रही है। ट्रेनिंग मुख्यालय ने सभी प्रशिक्षण केंद्रों को चौकस कर दिया है। मौजूदा समय में सभी जगह दारोगाओं की ट्रेनिंग चल रही है। दारोगाओं का छह माह का प्रशिक्षण पूरा होने के बाद कांस्टेबलों की ट्रेनिंग कराई जाएगी।

श्वेत क्रांति के जनक


श्वेत क्रांति के जनक वर्गीज कुरियन का निधन

 रविवार, 9 सितंबर, 2012 को 07:18 IST तक के समाचार
वर्गीज़ कुरियन लंबे समय से बीमार चल रहे थे.
भारत में श्वेत क्रांति के जनक माने जाने वाले वर्गीज़ कुरियन की मृत्यु हो गई है. वो 90 वर्ष के थे.
केरल में जन्मे कुरियन को गुजरात के आनन्द शहर में सहकारी डेरी विकास के एक सफल मॉडल की स्थापना करने और भारत को दुनिया का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश बनाने के लिए जाना जाता है.
वर्ष 1973 में उन्होंने गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फ़ेडरेशन (जीसीएमएमएफ़) की स्थापना की और 34 साल तक इसके अध्यक्ष रहे.
जीसीएमएमएफ़ ही वो संस्था है जो अमूल के नाम से डेयरी उत्पाद बनाती है.
11 हज़ार से अधिक गाँवों के 20 लाख से अधिक किसानों की सदस्यता वाली इस संस्था ने, सहकारिता के क्षेत्र में दूध और अन्य उत्पादों के लिए एक इतिहास रचा है.

पद्म पुरस्कारों से सम्मानित

कुरियन के जीवनकाल में भारत सरकार ने उन्हें पद्म श्री, पद्म भूषण और पद्म विभूषण से सम्मानित किया.
वर्ष 1965 में उन्हें रेमन मैगसायसाय पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया.
वर्गीस कुरियन आणंद के इंस्टिट्यूट ऑफ़ रुरल मैनेजमेंट (आईआरएमए) के अध्यक्ष भी रहे हैं.
इसी हफ्ते मुंबई में इंफोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति ने डॉ.कुरियन के जीवन पर आधारित एक ऑडियो बुक का अनावरण किया था.
‘द मैन हू मे़ द एलिफैंट डांस’ नाम की ये ऑडियो बुक, वर्ष 2005 में छपी उनकी जीवनी, ‘आई टू हैड ए ड्रीम’ पर आधारित है.
इसका अनावरण करते हुए नारायण मूर्ति ने कहा था, “एक सभ्य समाज वही है जो किसी के महत्वपूर्ण योगदान का आभार व्यक्त करे, अगर हमारा देश डॉ. कुरियन को भारत रत्न से सम्मानित नहीं करता तो मुझे नहीं समझ आता कि और कौन इस सम्मान के योग्य है.”

सिब्बल ने बांधे अखिलेश की तारीफ के पुल

लखनऊ/ब्यूरो
Story Update : Sunday, September 09, 2012    1:18 AM
kapil sibal praised akhilesh yadav
साक्षर भारत महोत्सव के अंतर्गत शनिवार को आयोजित पुरस्कार वितरण समारोह में मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पर खासे मेहरबान दिखे। इस दौरान न केवल उन्होंने अखिलेश की तारीफ के पुल बांधे बल्कि महोत्सव के लिए यूपी के चयन की खास वजह भी अखिलेश की मौजूदगी को ही बताई।

कपिल सिब्बल ने कहा कि अभी तक साक्षरता समारोह दिल्ली में ही होते रहे हैं। हम दिल्ली से बाहर निकले और पहले आंध्र प्रदेश और अब यूपी में आए हैं, क्योंकि यहां एक ऐसे मुख्यमंत्री हैं जो यूपी को आगे ले जाना चाहते हैं। योजना में 66 जिले यूपी के हैं। ऐसे में यूपी शिक्षित होगा तो हिंदुस्तान शिक्षित होगा।

सिब्बल ने फिर कहा कि यहां के सीएम प्रदेश के लिए सपना देखते हैं और उसे पूरा करने की तमन्ना भी रखते हैं। हालांकि मुख्यमंत्री जब उद्बोधन के लिए खड़े हुए तो उन्होंने सिब्बल की चुटकी लेने का मौका नहीं छोड़ा। अखिलेश ने कहा कि सिब्बल ने दिल्ली से निकलकर उत्तर प्रदेश देखा और यहां तक आए, इसके लिए हम उनके आभारी हैं। वरना अभी तक वह दिल्ली को ही साक्षार बनाने में लगे हुए थे। साथ ही उन्होंने आश्वस्त किया कि यहां से निकला जागरुकता का संदेश पूरे देश में प्रसारित होगा।

दस साल मौका मिला तो पूरा प्रदेश होगा साक्षर
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने दावा किया कि यदि समाजवादी सरकार को दस साल काम करने का मौका मिल गया तो पूरा प्रदेश साक्षर होगा। उन्होंने कहा कि कन्या विद्या धन योजना, अल्पसंख्यक बालिकाओं के लिए सहायता योजना, लैपटाप-टैबलेट वितरण आदि योजनाएं साक्षरता को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाएंगी।

अनपढ़ों को साक्षर बनाना समाज की जिम्मेदारी
उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने कहा है कि कोई अपनी मर्जी से अनपढ़ नहीं होता है। हालात उसे अनपढ़ बनाते हैं। समाज का फर्ज है कि जो किसी वजह से पढ़ाई नहीं कर सके उनको साक्षर बनाएं और अपने पैरों पर खड़ा होने का आत्मविश्वास दें। जिस दिन यह हो जाएगा, हमें पीछे नहीं देखना पड़ेगा। देश विकास के पथ पर दौड़ेगा।

मंगलवार, 4 सितंबर 2012

अब मंत्री जी क्या करें ?


आजम खां के सामने सोफे पर बैठा इंस्पेक्‍टर, अफसरों में हड़कंप

मुरादाबाद/ब्यूरो
Story Update : Wednesday, September 05, 2012    2:03 AM
inspector sitting in front of azam khan officers scattering
कैबिनेट मंत्री आजम खां के सामने सोफे पर बैठने वाले इंस्‍पेक्टर के खिलाफ प्रोटोकाल तोड़ने की जांच बैठ गई है। पुलिस कप्तान ने एसपी सिटी को पूरे मामले की जांच सौंपी है। वहीं अफसरों को हिदायत दी गई है कि वह हर हाल में प्रोटोकाल का ख्याल रखें।

नगर विकास मंत्री आजम खां रामपुर हाईवे किनारे स्थित एक एक्सपोर्ट फर्म में आए थे। कार्यक्रम की सूचना पाकर सपा के नेता भी यहां पहुंचे। पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी भी मौजूद रहे। अफसरों के साथ कैबिनेट मंत्री की कई मुद्दों पर गुफ्तगू भी होती रही। आजम खां उस वक्त उखड़े जब इंस्‍पेक्टर अनिल कुमार सिंह यादव उनके पास पहुंचे और सैल्यूट करने के बाद कैबिनेट मंत्री के सामने सोफे पर बैठ गए।

इंस्‍पेक्टर के बैठते ही मंत्री खड़े हो गए। उन्होंने जब नाराजगी व्यक्त की तो सपा के एक नेता ने इंस्पेक्टर को अपना रिश्तेदार बताते हुए बचाव किया। इस पर कैबिनेट मंत्री और बिगड़ गए और वहां से उठकर चले गए। इससे अफसरों में हड़कंप मच गया था। अफसर सकते में आ गए। एसएसपी विजय सिंह मीना ने बताया कि इस पूरे मामले की जांच एसपी सिटी महेंद्र सिंह यादव को सौंपी गई है। सभी अफसरों से कहा गया है कि वह प्रोटोकाल का ख्याल रखें।