रविवार, 8 दिसंबर 2013

बेसुरे राग / सुर मिलाओ बसपा के साथ आओ

चार राज्यों में सपा साफ, बसपा हुई हाफ

sp and bsp status after election result
समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी चार राज्यों के विधानसभा चुनावों में कोई करिश्मा नहीं दिखा पाईं। पिछले चुनाव की तुलना में न केवल उनकी सीटें घटीं, वोट प्रतिशत भी कम हो गया।
हालांकि जिन चार राज्यों के चुनावी नतीजे रविवार को घोषित हुए हैं उनमें दो में कांग्रेस और दो में भाजपा की सरकार थी।
मुख्य मुकाबला भी इन्हीं के बीच था लेकिन तीसरा कोण बनने के लिए सपा और बसपा ने पूरी ताकत झोंक दी थी।
यूपी के इन दोनों बड़े दलों के स्टार प्रचारकों ने इन राज्यों में कई सभाओं को संबोधित किया। पर चुनाव परिणाम से उन्हें झटका लगा है। नतीजों के प्रारंभिक विश्लेषण के मुताबिक दोनों दलों को पिछली बार से कम वोट मिले हैं।
नहीं खुला खाता, पंक्चर हुई साइकिल 
चार राज्यों के नतीजे सपा की उम्मीदों के मुताबिक नहीं रहे। मध्य प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में सपा का खाता भी नहीं खुल सका। पिछली बार सपा को मध्य प्रदेश और राजस्थान में एक-एक सीट मिली थी।
सपा ने भाजपा-कांग्रेस के तीसरे मोर्चे की ताकतों को मजबूत बनाने का आह्वान करते हुए चारों राज्यों में प्रत्याशी उतारे।
सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव चुनाव प्रचार के लिए गए। सपा नेता लगातार दावा कर रहे थे कि भाजपा और कांग्रेस शासित राज्यों में जनता की निगाहें तीसरे विकल्प पर हैं।
पढ़ें-आखिरी नतीजे! कौन जीता... कौन हारा
तीसरे मोर्चे का सबसे बड़ा दल होने के नाते सपा से लोगों को बहुत उम्मीदें हैं। चुनाव परिणाम ने साबित कर दिया कि वोटरों ने सपा को विकल्प मानना तो दूर खाता खोलने तक के लिए तरसा दिया।
2008 के विधानसभा चुनाव में सपा ने मध्यप्रदेश में 187 सीटों पर चुनाव लड़कर एक सीट जीती थी। इस बार भी सपा ने सौ से ज्यादा प्रत्याशी उतारे। डेढ़ दर्जन उम्मीदवार गंभीर माने जा रहे थे लेकिन उनमें से कोई भी खाता नहीं खोल पाया।
राजस्थान में पिछली बार सपा ने 64 उम्मीदवारों को चुनाव लड़ाया था। उसे एक सीट मिली थी। इस बार कोई सीट नहीं मिल पाई।
दिल्ली और छत्तीसगढ़ में भी उसका कोई प्रत्याशी नहीं जीत सका। जिन राज्यों में चुनाव हुए हैं, उनमें दो भाजपा और दो कांग्रेस शासित थे लेकिन सपा को गैर कांग्रेस-गैर भाजपा का नारा उछालने का कोई लाभ नहीं मिला।
17 से आठ सीटों पर ठिठका हाथी
यूपी में सत्ता से बेदखल होने के बाद बसपा को चार राज्यों के विधानसभा चुनाव में भी झटका लगा है।
लोकसभा चुनावों से पहले इन राज्यों में बेहतर प्रदर्शन कर कार्यकर्ताओं में उत्साह भरने की पार्टी की रणनीति कामयाब नहीं हो सकी।
दिल्ली, राजस्थान, मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ के पिछले विधानसभा चुनावों में पार्टी को 17 सीटें मिली थीं। इस बार सीटों का आंकड़ा आठ पर सिमट गया।
बसपा ने 2008 के विधानसभा चुनावों में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, दिल्ली और राजस्थान में सभी सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे। दिल्ली व छत्तीसगढ़ में पार्टी को दो-दो, मध्य प्रदेश में सात, राजस्थान में छह सीटें मिली थीं।
बाद में बसपा के सभी विधायक कांग्रेस में शामिल हो गए थे। राजस्थान में पार्टी को इस बार तीन सीटें ही मिलीं। मध्यप्रदेश में भी सीटें बढ़ने की जगह घटी हैं। बसपा यहां चार सीटों तक सिमट गई।
पार्टी को छत्तीसगढ़ में जरूर पिछली बार जितनी दो सीटें मिली हैं लेकिन दिल्ली में पार्टी पूरी तरह से साफ हो गई।
बसपा सुप्रीमो मायावती ने इन राज्यों में प्रदर्शन के लिए जोरदार प्रचार अभियान चलाया था। लोकसभा चुनाव से पहले बसपा राज्यों में अपने प्रदर्शन से बड़ा संदेश देना चाहती थी।
मगर विधानसभा चुनाव के नतीजों ने पार्टी की उम्मीदों पर पानी फेर दिया। कांग्रेस विरोधी लहर में वह दिल्ली के साथ ही दूसरे राज्यों में अपनी ताकत बढ़ाने की जगह घटा बैठी।

'नतीजे कांग्रेस व भाजपा के लिए एक सीख'

akhilesh yadav statement after election result

संबंधित ख़बरें

मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने चार राज्यों के चुनावी नतीजों को कांग्रेस के लिए सबक बताया है। उन्होंने कहा, चुनाव नतीजों में जो नई बातें निकलकर आई हैं, सपा भी उनका विश्लेषण करेगी।
बीबीडी बैडमिंटन एकेडमी में चुनावी नतीजों पर प्रतिक्रिया जताते हुए अखिलेश यादव ने कहा कि सपा अपने कार्यक्रमों, विकास योजनाओं के बारे में जनता को और ज्यादा जागरूक करेगी।
उन्होंने कहा, उत्तर प्रदेश बड़ा राज्य है इसलिए यहां चुनावी नतीजों के असर पर अभी से कुछ नहीं कह सकते। परिणामों से जो नई बातें निकलकर आई हैं, पार्टी उनकी समीक्षा करेगी।
सपा उन ताकतों का मुकाबला करने के लिए तैयार है जो चुनाव जीतकर आई हैं। उन्होंने भरोसा जताया कि प्रदेश की जनता ऐसी ताकतों का जवाब देने में उनका साथ देगी। उन्होंने नतीजों को कांग्रेस के लिए सबक देने वाला बताया। कहा कि कांग्रेस के लिए सोचने का वक्त है।
दिल्ली में आम आदमी पार्टी के जोरदार प्रदर्शन को उन्होंने अच्छे लोकतांत्रिक चुनाव परिणाम की मिसाल बताया और कहा, ये कांग्रेस और भाजपा दोनों के लिए एक सीख है।

'सत्तामद में चूर कांग्रेस ने नहीं मानी हमारी सलाह'

rajendra chaudhary statement after election result
समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता और कैबिनेट मंत्री राजेंद्र चौधरी ने कहा कि लोकतंत्र में जनादेश का सम्मान सभी को करना होता है लेकिन चार राज्यों के नतीजे चिंता और चिंतन का विषय हैं।
सांप्रदायिक ताकतों के उभार को देखते हुए लोकसभा चुनावों में तीसरे विकल्प की आवश्यकता है।
चौधरी ने कहा, जिन राज्यों में भाजपा को बढ़त मिली है, उनके पीछे कांग्रेस की कुनीतियां हैं। कांग्रेस ने केंद्र में अपने दो कार्यकालों में महंगाई और भ्रष्टाचार के रिकॉर्ड बनाए।
घोटालों ने देश की जनता को बहुत क्षुब्ध किया है। जिस तरह कांग्रेस ने जनविरोधी नीतियां थोपीं, उसकी प्रतिक्रिया में जनता ने कांग्रेस को नकारा है। दिल्ली में आम आदमी पार्टी का उदय कांग्रेस और भाजपा के प्रति जनविरोध का परिणाम है।
उन्होंने कहा कि देश में अब तीसरे विकल्प की और ज्यादा जरूरत है। मुलायम सिंह यादव इस दिशा में प्रयासरत हैं। उन्हीं के कारण यूपी में सांप्रदायिक ताकत (भाजपा) नहीं पनप सकी है।
आगामी लोकसभा चुनावों में जनता भाजपा-कांग्रेस को भाव न देकर एक नए राजनीतिक विकल्प को सत्ता में बिठाने का काम करेगी।
सपा ने धर्मनिरपेक्षता की बढ़ावा देने के लिए केंद्र की कांग्रेस सरकार से लगातार कहा लेकिन सत्तामद में चूर कांग्रेस ने सलाह नहीं मानी। जनता ने कांग्रेस के खाद्य सुरक्षा बिल को चुनावी स्टंट माना।

(बेसुरे राग मत अलापो चौधरी, ये जनता है सब कुछ देख रही है, नेता जी के गुणगान करो जिससे आप कि कुर्सी सुरक्षित और पिछड़ों का नाश होता रहे, आश्चर्य है आप सरीखे लोग सरकार "माननीय मंत्री जी" हो और सोच वही, आप कांग्रेस/आप के प्रति वफादार हो या सपा के प्रति- सुर मिलाओ बसपा के साथ आओ )

आजम के विभाग में नियुक्ति पर 'बड़ा खेल'

questions raised over appointments in azam khan dept
उत्तर प्रदेश सरकार के कद्दावर कैबिनेट मंत्री मोहम्मद आजम खां के विभाग में भी नियुक्ति में खेल उजागर हुआ है।
प्रतिनियुक्ति पर आए डूडा के सहायक परियोजना अधिकारी को ईओ की कुर्सी सौंप दी गई है, जो कि शासनादेश का खुला उल्लंघन है।
इस पर कमिश्नर ने तो पत्र लिखकर कड़ा ऐतराज किया ही है। नगर विकास विभाग के संयुक्त सचिव ने भी आपत्ति जताई है। दरअसल नगर पालिका अमरोहा में अधिशासी अधिकारी (ईओ) का पद करीब दस माह से रिक्त चल रहा है।
मुज्जफरनगर दंगाः बलात्कार के मामलों में नहीं मिले ‘सुबूत’ 
कुछ दिनों तक उपजिलाधिकारी नगेन्द्र शर्मा पर ईओ का कार्यभार था। लेकिन 24 सितंबर 13 को जिलाधिकारी भवनाथ ने एक आदेश जारी कर डूडा के सहायक परियोजना अधिकारी (एपीओ) राजकुमार को ईओ के पद पर अग्रिम आदेशों तक नियुक्ति के आदेश जारी कर दिए।
कारण यह बताया गया कि शहर में डेंगू आदि का प्रकोप है। इसीलिए तत्काल प्रभाव से इनकी इस पद पर अग्रिम आदेशों तक नियुक्ति की जा रही है।
तैनाती शासनादेश के विरुद्घ करार 
डीएम के आदेश पर हुई इस नियुक्ति के बाद 29 अक्तूबर को कमिश्नर मुरादाबाद ने इस तैनाती को शासनादेश के विरुद्घ करार दिया। उन्होंने पत्र में कहा कि एपीओ राजकुमार को नियमानुसार प्रतिनियुक्त पर कार्यरत होने के कारण अतिरिक्त नियमित कार्यभार देना नियत संगत नहीं है।
सपा की साइकिल पर बैठे माफिया अतीक अहमद 
17 अक्तूबर 2009 के शासनादेश का हवाला भी दिया गया और नियुक्ति रद करने को कहा। इतना ही नहीं नगर विकास विभाग के संयुक्त सचिव ने भी इस पर आपत्ति जताई।
लेकिन अभी तक एपीओ अधिशासी अधिकारी की कुर्सी पर जमे बैठे हैं। कैबिनेट मंत्री आजम खां को शायद इस खेल का पता नहीं हो लेकिन उनके विभाग के ही अधिकारी खेल रहे हैं।

सपा चुनाव जितने के लिए कुछ भी कर सकती है !

जानिए, सपा में क्यों आए माफिया अतीक

reason behind ateeq ahmad's entry in sp
बाहुबली अतीक अहमद पर चुनावी दांव लगाने के सपा के फैसले को पूर्वांचल में मुस्लिम कार्ड का रंग गहराने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है।
अतीक के बहाने सपा कई सीटों पर सियासी समीकरण साधना चाहती है।
समाजवादी पार्टी लोकसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों को बदलने का सिलसिला जारी रखे हुए है। सुल्तानपुर सीट पर हुआ ताजा बदलाव चौंकाने वाला जरूर है, लेकिन इसके गहरे राजनीतिक अर्थ निकाले जा रहे हैं।
मुस्लिम वोटों पर सपा की नजर
दरअसल, सपा की नजर मुस्लिम वोटों पर टिकी हुई हैं। इसके लिए उसे दागी और बागी दोनों ही तरह के नेता स्वीकार हैं। अतीक अहमद का इलाहाबाद और आसपास की कुछ सीटों पर असर है। वे इलाहाबाद पश्चिम से पांच बार विधायक रहे हैं।
वर्ष 2009 में जब वे अपना दल के टिकट पर प्रतापगढ़ लोकसभा सीट से चुनाव लड़े तो उन्हें 1.08 लाख वोट मिले थे।
भले ही इस चुनाव में अतीक चौथे नंबर पर रहे लेकिन 1.21 लाख वोट के साथ सपा को भी तीसरे पायदान पर पहुंचा दिया था।
इस सीट पर मुख्य मुकाबला कांग्रेस और बसपा के बीच हुआ था। तब कांग्रेस की रत्ना कुमारी सांसद चुनी गई थीं।
चुनाव से पहले सपा ऐसे मुस्लिम नेताओं पर डोरे डालना चाहती है जो अपने दमखम पर उसका चुनावी गणित बिगाड़ने की हैसियत रखते हैं। अतीक अहमद के बहाने सपा सुल्तानपुर ही नहीं, आसपास की सीटों पर भी मुस्लिम वोटों को साधना चाहती है।
सुल्तानपुर की स्थानीय राजनीति में सपा विधायक अबरार अहमद और पूर्व घोषित प्रत्याशी शकील अहमद के बीच 36 का आंकड़ा है।
मजबूत चेहरे की थी तलाश
इससे लोकसभा चुनाव में होने वाले नुकसान से बचने के लिए सपा को किसी मजबूत चेहरे की तलाश थी जो बाहुबली अतीक अहमद से पूरी हो गई। सपा ने विधानसभा चुनाव में भी शकील अहमद को प्रत्याशी बनाया था लेकिन बाद में उनका टिकट कट गया था।
इस बार खेमेबंदी की जंग में आजम खां के नजदीकी समझे जाने वाले विधायक अबरार उन पर फिर भारी पड़े हैं।
सपा इस नजरिये से भी सुल्तानपुर सीट को अहम मानती है कि विधानसभा चुनाव में यहां की सभी पांचों सीटों पर उसे कामयाबी मिली थी।
अब तक बदले 29 प्रत्याशी लखनऊ। समाजवादी पार्टी अब तक लोकसभा चुनाव के लिए घोषित 29 प्रत्याशियों को बदल चुकी है। सुल्तानपुर में शकील अहमद की जगह अतीक अहमद को उम्मीदवार बनाने के बाद और प्रत्याशियों में भी बदलाव की संभावना है।
सुल्तानपुर के पहले हाल के दिनों में जालौन (सुरक्षित), जौनपुर, कैसरगंज, गाजीपुर, देवरिया, संत कबीर नगर और लालगंज (सुरक्षित), फतेहपुर सीकरी आदि सीटों पर उम्मीदवार बदले जा चुके हैं।

शुक्रवार, 27 सितंबर 2013

वाह बेनी बाबू, नसे में हैं क्या ?

'सिर्फ मुलायम-डिंपल के जीतने के आसार'

only mulayam and dimple will win
उत्तर प्रदेश का शाहजहांपुर जिला कांग्रेस और सपा दोनों के लिए उपजाऊ राजनीतिक भूमि है। दोनों के ही एक-एक मंत्री बृहस्पतिवार को शहर में थे।

एक केंद्रीय मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा जो अपने बयानों को लेकर दिग्विजय सिंह की तरह चर्चा में रहते ही हैं। उन्होंने जो कुछ कहा, उसका जवाब लगे हाथ प्रदेश के कृषि मंत्री मनोज कुमार ने दे दिया।

सपा को यूपी में मिलेंगी लोकसभा की दो सीटें

बेढंगे और बिंदास बयानों के लिए सुर्खियों में रहने वाले केंद्रीय इस्पात मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा ने बृहस्पतिवार को यहां पत्रकारों से वार्ता करते हुए कहा कि अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में यूपी से समाजवादी पार्टी को सिर्फ दो सीटें मिलने के आसार हैं।

अपने ‘पुराने मित्र’ मुलायम पर सियासी फायदे के लिए भाजपा से मिलीभगत का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि मुजफ्फरनगर में दंगा मुलायम, मोदी और अमित शाह की साजिश का नतीजा हैं।

कांग्रेस हाईकमान द्वारा जिले के सांगठनिक मामलों का प्रभारी नामित किए जाने पर लोकसभा चुनाव के मद्देनजर पार्टी संगठन की समीक्षा और कार्यकर्ताओं की समस्याएं सुनने आए केंद्रीय इस्पात मंत्री ने कहा कि मुलायम से अतीत की नजदीकियों के कारण उनकी नस-नस से परिचित हैं।

मुलायम वर्ष 1990 से भाजपा के सहयोगी रहे हैं। वह यही चाहेंगे कि केंद्र में भाजपा और सूबे में सपा की सरकार बनी रहे। भाजपा से उनकी इसी नजदीकी का नतीजा है मुजफ्फरनगर का दंगा।

बेनी बाबू ने लोकसभा चुनाव में यूपी से कांग्रेस को पूर्ण बहुमत के साथ 50-60 सीटें मिलने का दावा किया। सपा का चुनावी भविष्य पूछे जाने पर तपाक से बोले कि यूपी में सिर्फ मुलायम और डिंपल की सीटें निकलने के आसार हैं। वह भी तब, जब इसके लिए वे सारी ताकत झोंकेंगे।

अगला चुनाव कांग्रेस के बजाय सीबीआई द्वारा लड़ने संबंधी गुजरात के मुख्यमंत्री का बयान याद दिलाने पर कहा कि यह मोदी नहीं, उनका पाप बोल रहा है।

यहीं पर बेनी बाबू नहीं चुपे। मुजफ्फरनगर के घटनाक्रम में सपा केवरिष्ठ नेता आजम खां का यह कहकर बचाव किया कि वह उनकेमित्र हैं। इस नाते कोई संदेह नहीं कि आजम को दंगे की प्लानिंग के बारे में जानकारी नहीं होगी।

अखिलेश भी दोषी नहीं, क्योंकि वे डमी मुख्यमंत्री हैं और सरकार मुलायम चला रहे हैं। बिहार के समानान्तर यूपी को विशेष राज्य का दर्जा नहीं देने की वजह पूछे जाने पर कहा कि यूपी को मुलायम ने गरीब किया।

राजस्थान रेगिस्तानी राज्य है, लेकिन वहां बिजली सरप्लस है। नेहरू के जमाने में यूपी की विकास दर सबसे अधिक और तमिलनाडु की सबसे कम थी, लेकिन अब विपरीत हालात हैं। राज्यों को उठाना-गिराना वहां की सरकारों का खेल है।

कांग्रेस बेनी के काटने का इलाज कराए: मनोज
प्रदेश के मंत्री मनोज कुमार ने यहां पत्रकारों से कहा कि बेनी प्रसाद वर्मा के काटने का इलाज कांग्रेस को कराना चाहिए। उन्होंने यह बात दोपहर को प्रेस वार्ता के दौरान बेनी के दिए गए बयान पर कही, जिसमें उन्होंने कहा था कि सपा सिर्फ दो ही सीटें जीतेगी।

मनोज कुमार ने वैसे तो बेनीप्रसाद के लिए बहुत कुछ कहा, मगर हम उतनी ही बात बता रहे हैं, जो उनके कहे का सार था। मनोज कुमार ने कहा कि बेनी प्रसाद जी बहुत अच्छे व्यक्ति रहे हैं, मगर वृद्धावस्था में उन्हें बीमारी हो गई है। वह चूंकि मानसिक रोगी हो गए हैं, इसलिए हमारी संवेदना भी उनके साथ है।

आपके शहर की ख़बरें

      गुरुवार, 19 सितंबर 2013

      ये जो कुछ कह रहे हैं 'किसी' नफे नुकसान के बतौर कह रहे हैं........

      मुलायम ने तोड़ा मुसलमानों का विश्वास : बुखारी

      Updated on: Wed, 18 Sep 2013 07:59 PM (IST)
      Samajwadi Party
      मुलायम ने तोड़ा मुसलमानों का विश्वास : बुखारी
      गाजियाबाद [जासं]। दिल्ली जामा मस्जिद के शाही इमाम अहमद बुखारी ने आरोप लगाया है कि सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव और प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मुसलमानों के विश्वास को तोड़ा है। केंद्र और प्रदेश सरकार मुसलमान को मात्र वोट समझती है।
      बुधवार को बुखारी जब मुजफ्फरनगर के दंगा पीड़ितों से मिलने जा रहे थे तभी पुलिस ने उन्हें यूपी गेट पर हिरासत में ले लिया। बाद में उन्हें वापस दिल्ली भेज दिया गया। वसुंधरा स्थित आवास विकास परिषद के अतिथि गृह में पत्रकार वार्ता में उन्होंने कहा कि वे मुजफ्फरनगर जाकर प्रदेश सरकार के उन दावों के बारे में पता लगाना चाहते थे जिन में कहा जा रहा है कि पीड़ितों को बेहतर सुविधा दी जा रही है। एक चैनल के स्ट्रिंग आपरेशन में प्रदेश सरकार के मंत्री आजम खां का नाम सामने आने के संबंध में पूछे जाने पर उन्होंने कहा है कि मैं ऐसे शख्स का नाम अपनी जुबान पर लेना ठीक नहीं समझता हूं। बुखारी ने दो टूक शब्दों में कहा है कि आजम खां को बेवजह मुसलमानों का वोट दिलाने वाला नेता समझ कर मुलायम सिंह और अखिलेश उसे सरकार में शामिल किए हुए हैं।
      बुखारी केंद्र और प्रदेश सरकार से इस कदर नाराज दिखे कि उन्होंने कह दिया कि अगर मुसलमान किसी हिंदू सेकुलर नेता से मदद और सम्मान की उम्मीद रखें तो बेहतर होगा। शाही इमाम का गुस्सा यहीं नहीं रुका, उन्होंने कहा कि प्रदेश की हुकूमत को सपा को दिलाने वाले लोग आज शर्मिंदा हो रहे हैं। प्रदेश सरकार ने मुसलमानों और जनता से जो वादे किए थे वह पूरी तरह से भूल चुकी है।
      बुखारी ने कहा कि प्रदेश सरकार ने 84 कोसी यात्रा को रोक कर सिर्फ विश्व हिंदू परिषद को ताकत प्रदान करने का काम किया। इतनी फोर्स व समझदारी दंगा काबू करने में दिखाती और अफसरों को ठीक प्रकार से कार्रवाई करने दी जाती तो अब तक प्रदेश के दंगों में मरने वालों की संख्या हजारों में नहीं पहुंचती।
      गौरतलब है कि मंगलवार को भाजपा नेता उमा भारती के पुलिस-प्रशासन को चकमा देकर निकलने की घटना के बाद पुलिस-प्रशासन ने बुधवार को शाही इमाम अहमद बुखारी के मुजफ्फरनगर जाने की सूचना के बाद इंदिरापुरम पुलिस और एलआइयू को जामा मस्जिद से बुखारी के काफिले के पीछे लगा दिया गया।

      शुक्रवार, 23 अगस्त 2013

      शायद सपा समझ नहीं रही है .

      सपा कहीं ''बीजेपी'' के लिए रास्ता तो नहीं तैयार कर रही है ;
      जिसपर चलकर ये कांग्रेस की मदद करना चाहते हों ;
      भाजपा की साम्प्रदायिक छवि तैयार करने के चक्कर में सपा कहीं अपने लिए बड़े खतरे न खड़े कर ले, वैसे भी यह पार्टी जिन लोगों के चंगुल में फास चुकी है वो अधिकाँश लोग उसी भाजपा और कांग्रेस की लाइन के सोच के ही लोग हैं.
      अखिलेश यादव के जिस युवा चरित्र और नए उर्जावान चहरे को लोगों ने देखने का भ्रम पाला था वह नक्कारखाने में टूटी हुयी आवाज़ के रूप में ही सामने आ रहा है, यदि भाजपा का अंतर्कलह उसे गच्चा नहीं दिया तो सपा अनचाहे इतना उलटा करेगी जो इन संघियों के बहुत काम आयेगा.
      भाजपा/कांग्रेस के जो लोग सपा के गर्भगृह में बैठे हैं उसका मूल कारण यह है की सपा कभी अपने इमानदार कैडर बनाती ही नहीं है, कहीं से वोट के हिसाब से महाभ्रष्ट, जातिवादी, साम्प्रदायिक तत्वों को अपने इर्दगिर्द रखती है जिससे इसकी नीतियाँ ही इसके खिलाफ जाती हैं.
      इस बार की सरकार जिस तरह, जिन कारणों से बनी है कौन नहीं जानता. ऐसे सुयोग्य अवसर को छोड़कर ये उन्ही हालातों में पहुँच गए हैं जहां से जनता किसी भी सरकार को बाहर कर देती है. प्रदेश अनेक संकटों से जल रहा है चरों तरफ हाहाकार मचा हुआ है पर इन्हें नज़र ही नहीं आ रहा है.
      मिशन २०१४ के चलते प्रदेश में केवल २०१४ के लोकसभा के चुनाव की तैयारियां चल रही हैं, प्रदेश का मुख्यमंत्री देश के प्रधानमंत्री बनाये जाने के सपा प्रमुख के लिए वोट के इंतजामात में 'अनाप सनाप फैसले' ले रहा है 'आरक्षण' की लम्बी लड़ाई का खात्मा कर रहा है, तुष्टिकरण के तमाम फैसले ले रहा है, अपनों और परायों के बीच का अंतर भूल गया है, यही साड़ी बातें हैं जो अंदर तक नुक्सान पहुंचाती/करती हैं.
      जिस कांग्रेस के इशारों पर सपा बसपा ,'थिरक' रही हैं राजनितिक विश्लेषक उस मर्म को समझते हैं और अब वे यह भी जान गए हैं की ये देश की सत्ता के विकल्प नहीं है बल्कि कांग्रेस के सहयोगी ही हैं. यह आश्चर्य देश की अवाम जिसे दलित और पिछड़े के रूप में पहचाना जाता है कब समझेगा.
      यही कारण है की नरेन्द्र के राष्ट्रवाद से कांग्रेस कत्तई भयभीत नहीं है, इसलिए भी की जिस हिंदुत्व का बुखार भाजपाई चढ़ाना चाहते हैं उसी हिन्दू में देश की 85 फीसदी अवाम  दलित और पिछड़े के रूप में मौजूद हैं जिसे ये अलमबरदार अपने अपने खांचे में जातियों के हिसाब से बाटेंगे.जिसका असर यह होगा की 'मोदी' का उभार भी दब जाएगा और  दलित और पिछड़े के रूप में बड़े समुदाय का भी हिसाब हो जाएगा.
      आधुनिक भारत को समझना अब उतना आसान नहीं है क्योंकि ये आधुनिकता ही उस पुरातन सोच के समापन के लिए आयात की गयी है जिसमें समाजवाद के सारे सपने डुबोये जा चुके हैं सामाजिक न्याय की अवधारणा के मायने बदल दिए गए हैं तभी तो  दलित और पिछड़े के पार्टी रूप में पहचान रखने वाली पार्टियाँ उनके हक और हकुकों के लिए काम कर रही हैं जो सदियों से सब कुछ कब्जियाये हुए हैं.
      मुझे लगता है जिस अस्मिता की रक्षा के लिए मुलायम सिंह ने सारी बदनामी ली उसी मस्जिद को नरसिंघा राव की कांग्रेस सरकार ने ध्वस्त करा दिया था. वो काम भी इन दोनों ने भाजपा के लिए ही किया था वैसे ही आज के आसार नज़र आ रहे हैं.
      आखिर विकल्प क्या है ;
      विकल्प है ; 
      आखिर विकल्प क्या है ? विकल्प है! पर इसपर चले कौन जिस समय लालू ने अडवानी के रथ को रोका था उस समय की रोक और आज की इस रोक में अंतर ये है की तब अवाम को मंडल का भुत सवार था और अडवानी कमंडल के बहाने मंडल का विरोध कर रहे थे, इस बात को लालू समझा पाने में कामयाब हुए थे. पर अब सरकार इस धार्मिक पाखण्ड को कैसे पहचानेगी, क्या नाम देगी इसे अपने हक़ में कैसे करेगी सब सवाल उसके पाले में ही है. (उत्तर तो इसके हैं पर देखना है सरकार क्या करती है.)
      -डॉ.लाल रत्नाकर    

      (निचे की खबरें अमर उजाला से साभार ली गयी हैं)

      13 कंपनी पीएसी, 368 पुलिस अधिकारी रोकेंगे परिक्रमा!

      लखनऊ/इंटरनेट डेस्क | अंतिम अपडेट 24 अगस्त 2013 2:16 AM IST पर
      akhilesh meeting for parikrma security84 कोसी परिक्रमा पर संतों से टकराव की आशंका के मद्देनजर गृह विभाग की तैयारियों के बारे में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पूछताछ के बाद चौकसी बढ़ा दी गई है।
      मुख्यमंत्री ने गुरुवार को गृह विभाग के आला अधिकारियों से इस बारे में की गई तैयारियों की जानकारी मांगी है। इसके बाद अयोध्या समेत संबंधित जिलों व राज्य की सीमाओं पर चौकसी एकाएक प्रभावी कर दी गई है।
      माना जा रहा है कि सीएम ने अफसरों को इस संबंध में किसी तरह की कोताही नहीं बरतने की सख्त हिदायत दी है।
      विश्व हिंदू परिषद पिछले दिनों राज्य सरकार को एक पत्र सौंप कर संतों द्वारा अयोध्या की 84 कोसी परिक्रमा करे जाने के प्रस्तावित कार्यक्रम से अवगत कराते हुए आवश्यक प्रबंध सुनिश्चित करने को कहा था।
      हालांकि, राज्य सरकार ने इसे नई परंपरा की शुरूआत होने की संज्ञा देते हुए परिक्रमा पर रोक लगा दी थी। संतों द्वारा राज्य सरकार के प्रतिबंध को मानने से मना कर दिया गया और हर हाल में परिक्रमा करने का ऐलान किए जाने के बाद अफसरों ने इसे रोकने के लिए सुरक्षा इंतजाम करने शुरू कर दिए थे।
      गुरुवार को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सुबह ही एनेक्सी पहुंच कर गृह विभाग समेत अन्य अधिकारियों को तलब कर उनसे परिक्रमा रोकने को लेकर किए जा रहे सुरक्षा प्रबंधों के बारे में जानकारी की।
      जानकारों के अनुसार मुख्यमंत्री ने तय प्रबंधों को और चौकस करने को कहा। इसके बाद अधिकारियों ने परिक्रमा से संबंधित छह जिलों में तैनात किए जा रहे अतिरिक्त बल व अधिकारियों की संख्या को बढ़ा दिया।
      आईजी कानून-व्यवस्था राज कुमार विश्वकर्मा ने बताया कि परिक्रमा फैजाबाद, बाराबंकी, गोंडा, अंबेडकरनगर, बस्ती व बहराइच से होकर अयोध्या पहुंचती है। लिहाजा इन छह जिलों में सतर्कता के खास इंतजाम किए गए हैं।
      आईजी ने बताया कि इन जिलों में दो एसपी, 16 एएसपी, 32 डीएसपी, 80 इंस्पेक्टर, 240 सब इंस्पेक्टर आदि की तैनाती की गई है। यह बल इन जिलों में पहले से तैनात बल के अतिरिक्त है। इसके अलावा पीएसी की 13 कंपनी और एक फ्लड कंपनी तैनात की गई है।
      आईज़ी ने बताया कि इस बल के अलावा आरएएफ भी तैनात की जा रही है। ईद के मौके पर आरएएफ की जो 12 कंपनी आई थी, उसकी अवधि 21 अगस्त को समाप्त हो गई। इसमें से एक कंपनी को रोका गया है जबकि दस कंपनी की मांग और की गई है।
      इसके लिए यह आग्रह किया गया है कि आरएएफ का जो बल यहां आया हुआ है उसमें से वांछित बल के रोकने की अवधि 13 सितंबर तक (परिक्रमा समाप्त होने की प्रस्तावित तिथि) बढ़ दी जाए। आईजी ने कहा कि इससे राज्य को सुरक्षा प्रबंधों के लिए आरएएफ की 11 कंपनी हासिल होंगी।
      --------------84 कोसी परिक्रमा में शामिल होने जा रहे 83 संत गिरफ्तार
      आगरा/ चित्रकूट/ब्यूरो | अंतिम अपडेट 24 अगस्त 2013 2:06 AM IST पर
      fourteen saints arrested
      यूपी बॉर्डर में घुसते ही पुलिस ने 66 संतों को गिरफ्तार कर लिया गया है। संतों का यह काफिला अयोध्या की चौरासी कोस परिक्रमा को राजस्थान से चला था।
      गिरफ्तारी के बाद संतों को पुलिस अभिरक्षा में आगरा पुलिस लाइन लाया गया। उधर, चित्रकूट से अयोध्या जा रहे 17 संतों को सातमील के पास पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।
      प्रदेश सरकार के प्रतिबंध के बावजूद ये लोग 25 अगस्त से प्रस्तावित चौरासी कोसी परिक्रमा के लिए अयोध्या जा रहे थे।
      अयोध्या में चौरासी कोस परिक्रमा में शामिल होने के लिए करीब डेढ़ सौ संत राजस्थान के जयपुर से निकले। आगरा से गुजरती हुई संतों की यह यात्रा अयोध्या पहुंचनी थी।
      संतों के आगमन की भनक लगते ही पुलिस हरकत में आ गई। प्रदेश की प्रवेश सीमा पर भारी संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिया गया।
      तय कार्यक्रम के मुताबिक संतों की टोली राजस्थान बार्डर से पार होकर चौमा शाहपुर गांव पहुंची। यहां पर पहले से ही मुस्तैद पुलिस ने काफिले को रोकते हुए 66 संतों को गिरफ्तार कर लिया।
      हालांकि एसडीएम किरावली राधा एस चौहान के मुताबिक 45 संत ही गिरफ्तार किए गए हैं। उधर, चित्रकूट के हुसेनगंज थाना क्षेत्र के सातमील के पास चेकिंग में जुटी पुलिस ने 17 संतों को गिरफ्तार कर लिया।
      थाना एसओ जितेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि पिकअप से अयोध्या जा रहे 17 संत पकड़े गए हैं। उनके खिलाफ शांति भंग की कार्रवाई की जा रही है। सीओ निवेश कटियार ने बताया कि कानून व्यवस्था के साथ किसी को खिलवाड़ नहीं करने दिया जाएगा।
      गिरफ्तार संतों को शनिवार को एसडीएम कोर्ट में पेश किया जाएगा।...................

      पहली पारी में सपा-भाजपा दोनों कामयाब

      लखनऊ/अखिलेश वाजपेयी | अंतिम अपडेट 24 अगस्त 2013 12:08 AM IST पर

      benefits of parikramaसपा सरकार को कानून-व्यवस्था सहित अन्य मुद्दों पर मिल रही बदनामी से फिलहाल निजात मिल गई है। भाजपा को इस बदनामी से निजात मिली है कि वह सूबे में कहीं लड़ाई में ही नहीं है।

      परिक्रमा करने और रोकने को लेकर शुरू हुई कवायद के बाद मुलायम सिंह यादव एक बार फिर मुसलमानों के मसीहा और धर्मनिरपेक्षता के रक्षक के रूप में खड़े दिखाई दे रहे हैं।

      वहीं, प्रदेश में हाशिए पर खड़ी भाजपा को विहिप और संघ की बदौलत हिंदुओं के बीच यह दावा करने का मौका मिल गया कि उनके हित की बात उनके अलावा दूसरा कोई नहीं उठाने वाला।

      आगे क्या होगा? दोनों में कौन अपने मकसद में कितना कामयाब होगा, यह तो भविष्य केगर्भ में है। पर, फिलहाल तो दोनों ही खेमे यूपी में अपने मकसद में फौरी तौर पर कामयाब होते हुए दिख रहे हैं। परिक्रमा पर प्रतिबंध के बहाने सियासी गलियारों में अयोध्या एक बार फिर चर्चा में है।

      समाजवादी पार्टी की सरकार धर्मनिरपेक्षता की रक्षा के दावे के साथ परिक्रमा पर प्रतिबंध लगा चुकी है। परिक्रमा की जिद दिखा रहे विहिप और हिंदू नेताओं को अयोध्या से दूर रहने की और न मानने पर गिरफ्तारी की चेतावनी दी जा रही है।

      जवाब में भगवा खेमे की तरफ से सरकार के इस कदम को हिंदू विरोधी नीति करार देकर हिंदुओं से मुस्लिम हितैषी राजनीतिक दलों व सरकारों को सबक सिखाने का आह्वान शुरू हो गया है।

      राजनीतिक विश्लेषकों का निष्कर्ष है कि इस खेल के पीछे लोकसभा के आने वाले चुनाव में वोटों के इंतजाम को सपा व संघ परिवार की मिलीभगत है।

      पर, सपा और संघ परिवार दोनों ही इसे अपने-अपने सिद्धांतों की रक्षा के लिए संघर्ष करार दे रहे है। माहौल कुछ वैसा ही बनाने की कोशिश है, जैसे 1990 में अक्टूबर से पहले दिखाई दे रहा था।