गुरुवार, 26 जुलाई 2012

मायावती की मूर्ति को पहुंचा नुकसान रामदत्त त्रिपाठी बीबीसी संवाददाता, लखनऊ गुरुवार, 26 जुलाई, 2012 को 19:10 IST तक के समाचार Facebook Twitter शेयर करें मित्र को भेजें प्रिंट करें अंबेडकर पार्क में लगी मायावती की ये आदमकद मूर्ति संगमरमर के पत्थरों से बनाई गई थी लखनऊ के अंबेडकर स्मारक में लगी पूर्व मुख्यमंत्री मायावती की आदमकद प्रतिमा को क्षतिग्रस्त कर दिया गया है. अज्ञात हमलावरों ने संगमरमर से बनी मायावती की इस आदमकद प्रतिमा का सिर और हाथ तोड़कर अलग कर दिया है. इससे जुड़ी ख़बरें राष्ट्रपति चुनाव: ममता-मुलायम ने उछाला मनमोहन का नाम अब खजूर में अटकी मायावती मायावती के ख़िलाफ़ सीबीआई जाँच ख़ारिज इसी विषय पर और पढ़ें भारत उत्तर प्रदेश के डीजीपी एसी शर्मा ने कहा है कि इस मामले में दो फोटोग्राफर और एक पीआर एजेंसी के प्रमुख को गिरफ्तार किया गया है. शर्मा का कहना था, '' ये लोग राज्य में सामाजिक शांति भंग करना चाहते थे. इसी षडयंत्र में इन्हें गिरफ्तार किया गया है. फोटोग्राफरों और पीआर वालों ने ही उन लोगों का प्रेस कांफ्रेंस करवाया था जिन्होंने मूर्ति तोड़ी.'' घटनास्थल पर यूपी नवनिर्माण सेना नाम की एक अनजान संगठन के लिखे पर्चे भी मिले हैं, जिसमें मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मायावती की सभी मूर्तियों को हटाने की मांग की गयी है. पार्क की सुरक्षा में तैनात एक गार्ड राम-बचन राम ने पत्रकारों को बताया कि दोपहर करीब डेढ़ बजे, "चार युवक मीडिया के लोगों के साथ आये और उसके मना करने के बावजूद इन लोगों ने मूर्ति की फोटो खींची फिर झटपट लाल टोपी पहनकर प्रतिमा पर चढ़ गए और हथौड़े से उसका सिर और हाथ तोड़ डाला." गार्ड का कहना है कि जब तक वह अपने अन्य साथियों को बुलाता तब तक हमलावर युवक भाग गए. इस घटना से कुछ ही देर पहले ही नवनिर्माण सेना के नेता अमित जानी ने प्रेस क्लब में प्रेस कॉफ्रेंस करके आरोप लगाया था कि यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव मायावती की मूर्तियों को हटाने का अपना चुनावी वादा ठीक उसी तरह भूल गए हैं जिस तरह से भाजपा सत्ता में आने के बाद राम-मंदिर बनाने के अपने वादे को भूल गई थी. इसलिए अब ये काम नव-निर्माण सेना के कार्यकर्ता पूरा करेंगे. निंदा बहुजन समाज पार्टी के कार्यकर्ताओं ने घटनास्थल पर पहुंच कर विरोध प्रदर्शन किया और मायावती की प्रतिमा तोड़े जाने की निंदा की. कानपुर, ख्वाजापुर और अन्य कई जिलों में भी विरोध-प्रदर्शन किए गए. विधान-सभा में विपक्षी दल बहुजन-समाज पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्या ने घटनास्थल पर पत्रकारों से बातचीत में आरोप लगाया कि बीएसपी नेता की मूर्ति सत्ताधारी समाजवादी पार्टी के इशारे पर तोड़ी गयी है. बीएसपी नेताओं ने पार्टी कार्यकर्ताओं से संयम बरतने और कानून को हाथ में ना लेने की अपील की है. मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने एक बयान में सुश्री मायावती की मूर्ति तोड़ने की निन्दा करते हुए इसे प्रदेश के सौहार्दपूर्ण माहौल को दूषित करने का सुनियोजित प्रयास बताया है. "चार युवक मीडिया के लोगों के साथ आये और उसके मना करने के बावजूद इन लोगों ने मूर्ति की फोटो खींची फिर झटपट लाल टोपी पहनकर प्रतिमा पर चढ़ गए और हथौड़े से उसका सिर और हाथ तोड़ डाला." रामबचन राम, गार्ड, अंबेडकर पार्क. उन्होंने अभियुक्तों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई करने तथा टूटी मूर्तियों को तुरन्त ठीक कराने के निर्देश दे दिए हैं. घटनास्थल पर बड़ी संख्या में पुलिस-बल को भी तैनात कर दिया गया है और क्षतिग्रस्त प्रतिमा को नीले कपड़े से ढंक दिया गया है. लखनऊ के जिला मजिस्ट्रेट अनुराग यादव ने कहा कि दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जायेगी और प्रतिमा ठीक कराकर दोबारा उसी जगह पर लगायी जाएगी. पुलिस उप-महानिरीक्षक आशुतोष पांडे ने कहा कि कथित संगठन नव-निर्माण सेना और उसके नेता अमित जानी और प्रतिमा तोड़ने के अपराध में शामिल कथित मीडियाकर्मियों के बारे में भी जल्द पता लगा लिया जाएगा.


मायावती की मूर्ति को पहुंचा नुकसान

 गुरुवार, 26 जुलाई, 2012 को 19:10 IST तक के समाचार
मूर्ति
अंबेडकर पार्क में लगी मायावती की ये आदमकद मूर्ति संगमरमर के पत्थरों से बनाई गई थी
लखनऊ के अंबेडकर स्मारक में लगी पूर्व मुख्यमंत्री मायावती की आदमकद प्रतिमा को क्षतिग्रस्त कर दिया गया है.
अज्ञात हमलावरों ने संगमरमर से बनी मायावती की इस आदमकद प्रतिमा का सिर और हाथ तोड़कर अलग कर दिया है.
उत्तर प्रदेश के डीजीपी एसी शर्मा ने कहा है कि इस मामले में दो फोटोग्राफर और एक पीआर एजेंसी के प्रमुख को गिरफ्तार किया गया है.
शर्मा का कहना था, '' ये लोग राज्य में सामाजिक शांति भंग करना चाहते थे. इसी षडयंत्र में इन्हें गिरफ्तार किया गया है. फोटोग्राफरों और पीआर वालों ने ही उन लोगों का प्रेस कांफ्रेंस करवाया था जिन्होंने मूर्ति तोड़ी.''
घटनास्थल पर यूपी नवनिर्माण सेना नाम की एक अनजान संगठन के लिखे पर्चे भी मिले हैं, जिसमें मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मायावती की सभी मूर्तियों को हटाने की मांग की गयी है.
पार्क की सुरक्षा में तैनात एक गार्ड राम-बचन राम ने पत्रकारों को बताया कि दोपहर करीब डेढ़ बजे, "चार युवक मीडिया के लोगों के साथ आये और उसके मना करने के बावजूद इन लोगों ने मूर्ति की फोटो खींची फिर झटपट लाल टोपी पहनकर प्रतिमा पर चढ़ गए और हथौड़े से उसका सिर और हाथ तोड़ डाला."
गार्ड का कहना है कि जब तक वह अपने अन्य साथियों को बुलाता तब तक हमलावर युवक भाग गए.
इस घटना से कुछ ही देर पहले ही नवनिर्माण सेना के नेता अमित जानी ने प्रेस क्लब में प्रेस कॉफ्रेंस करके आरोप लगाया था कि यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव मायावती की मूर्तियों को हटाने का अपना चुनावी वादा ठीक उसी तरह भूल गए हैं जिस तरह से भाजपा सत्ता में आने के बाद राम-मंदिर बनाने के अपने वादे को भूल गई थी.
इसलिए अब ये काम नव-निर्माण सेना के कार्यकर्ता पूरा करेंगे.

निंदा

बहुजन समाज पार्टी के कार्यकर्ताओं ने घटनास्थल पर पहुंच कर विरोध प्रदर्शन किया और मायावती की प्रतिमा तोड़े जाने की निंदा की. कानपुर, ख्वाजापुर और अन्य कई जिलों में भी विरोध-प्रदर्शन किए गए.
विधान-सभा में विपक्षी दल बहुजन-समाज पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्या ने घटनास्थल पर पत्रकारों से बातचीत में आरोप लगाया कि बीएसपी नेता की मूर्ति सत्ताधारी समाजवादी पार्टी के इशारे पर तोड़ी गयी है.
बीएसपी नेताओं ने पार्टी कार्यकर्ताओं से संयम बरतने और कानून को हाथ में ना लेने की अपील की है.
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने एक बयान में सुश्री मायावती की मूर्ति तोड़ने की निन्दा करते हुए इसे प्रदेश के सौहार्दपूर्ण माहौल को दूषित करने का सुनियोजित प्रयास बताया है.
"चार युवक मीडिया के लोगों के साथ आये और उसके मना करने के बावजूद इन लोगों ने मूर्ति की फोटो खींची फिर झटपट लाल टोपी पहनकर प्रतिमा पर चढ़ गए और हथौड़े से उसका सिर और हाथ तोड़ डाला."
रामबचन राम, गार्ड, अंबेडकर पार्क.
उन्होंने अभियुक्तों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई करने तथा टूटी मूर्तियों को तुरन्त ठीक कराने के निर्देश दे दिए हैं.
घटनास्थल पर बड़ी संख्या में पुलिस-बल को भी तैनात कर दिया गया है और क्षतिग्रस्त प्रतिमा को नीले कपड़े से ढंक दिया गया है.
लखनऊ के जिला मजिस्ट्रेट अनुराग यादव ने कहा कि दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जायेगी और प्रतिमा ठीक कराकर दोबारा उसी जगह पर लगायी जाएगी.
पुलिस उप-महानिरीक्षक आशुतोष पांडे ने कहा कि कथित संगठन नव-निर्माण सेना और उसके नेता अमित जानी और प्रतिमा तोड़ने के अपराध में शामिल कथित मीडियाकर्मियों के बारे में भी जल्द पता लगा लिया जाएगा.

बुधवार, 25 जुलाई 2012

यह खेल बंद होना चाहिए रूठना और मनाना !


आजम खां ने की इस्तीफे की पेशकश

लखनऊ/अमर उजाला ब्यूरो
Story Update : Thursday, July 26, 2012    12:42 AM
Azam Khan offer to resign
मेरठ के प्रभारी मंत्री को पद से हटाए जाने से खफा नगर विकास मंत्री आजम खां ने गाजियाबाद व मुजफ्फरनगर के प्रभारी मंत्री का पद छोड़ दिया है। उन्होंने मंत्री पद से भी इस्तीफे की पेशकश की है।

आजम ने मुख्यमंत्री अखिलेश सिंह यादव को पत्र भेजकर कहा है कि उनसे ज्यादा योग्यता रखने वालों को गाजियाबाद व मुजफ्फरनगर की जिम्मेदारी सौंपी दी जाए। वह खुद को इस जिम्मेदारी से अलग कर रहे हैं। मुख्यमंत्री उनके काम से संतुष्ट नहीं हैं तो उन्हें मंत्रिमंडल से भी हटा सकते हैं। आजम के इस रुख से सपा की अंदरूनी सियासत के फिर गरमाने के आसार हैं।

मालूम हो कि तीन दिन पहले आजम को मेरठ के प्रभारी मंत्री पद से हटाकर सहारनपुर का दायित्व संभाल रहे पंचायती राज मंत्री बलराम यादव को वहां का प्रभार सौंप दिया गया था। सपा की स्थानीय राजनीति के चलते आजम से मेरठ का प्रभार लिया गया और उन्हें पीलीभीत की अतिरिक्त जिम्मेदारी सौंप दी गई। इससे नाराज आजम ने मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर गाजियाबाद व मुजफ्फरनगर का प्रभार भी छोड़ने की पेशकश कर दी।

बुधवार देर रात अमर उजाला से बातचीत में आजम ने पत्र भेजने की पुष्टि की और बताया कि उन्होंने मुख्यमंत्री से कहा है कि अगर उनके काम से संतुष्ट नहीं हैं तो ज्यादा सलाहियत रखने वालों को गाजियाबाद व मुजफ्फरनगर की जिम्मेदारी सौंप दी जाए। अगर मुख्यमंत्री संतुष्ट नहीं हैं तो उन्हें मंत्रिमंडल से भी हटा सकते हैं। स्थानीय सपा नेताओं के साथ विवाद के बारे उनका कहना है कि उनके पास न तो इसके लिए वक्त है और न इन मसलों में कोई दिलचस्पी है। जनता का काम करने में ही उनका सारा वक्त निकल जाता है।

ये है नाराजगी की वजह
नगर विकास मंत्री आजम खां को मेरठ के प्रभारी मंत्री पद से हटाया जाना इसलिए भी नागवार गुजरा क्योंकि मुख्यमंत्री के इस फैसले को उनके विरोधियों की कामयाबी के तौर पर देखा जा रहा है। रोजगार राज्यमंत्री शाहिद मंजूर से आजम खां के 36 का रिश्ता माना जाता है।

कहा जाता है कि जिस दौरान आजम खां सपा से निलंबित थे, शाहिद मंजूर ने पार्टी के भीतर उनके खिलाफ माहौल बनाने की भरपूर कोशिश की थी। शाहिद जामा मसजिद के इमाम बुखारी के भी करीबी बताए जाते हैं। मेरठ जिले का प्रभारी मंत्री रहते हुए आजम खां ने स्थानीय नेता और विधान परिषद सदस्य सरोजनी अग्रवाल को अधिक तवज्जो दी। वह मेरठ में दौरे के दौरान अग्रवाल के घर पर ही अफसरों को बुलाते और बातचीत करते रहे हैं।

अग्रवाल के घर पर उन्होंने प्रेस कांफ्रेस भी की है। स्थानीय स्तर पर सरोजनी अग्रवाल के बढ़ते प्रभाव की वजह से शाहिद मंजूर खेमा खुद को उपेक्षित महसूस करता था और माना जा रहा है कि अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर उन्होंने मुख्यमंत्री को इस फैसले के लिए भरोसे में लिया।

मंगलवार, 24 जुलाई 2012

कुछ नया करने का मन है डिम्पल यादव का

कुछ नया करने का मन है डिम्पल यादव का तो करना चाहिए पर ध्यान रहे ये देश की संसद है उत्तर प्रदेश की विधान सभा नहीं, यहाँ उतने ही खतरे भी हैं . यहाँ का महिला मंडल बहुत ही शातिर है, कम्युनिष्टों ने लम्बे समय तक नेता जी का इस्तेमाल किया है विभिन्न मुद्दों पर कहीं उन्होंने ही तो नहीं समझाया है यह ध्यान रखना चाहिए यदि हो सके तो महिला शशक्तिकरण के लिए आगे आने में कोई बुराई नहीं है -
डॉ.लाल रत्नाकर 
पेंटिंग ; डॉ.लाल रत्नाकर 


डिंपल यादव ने महिला आरक्षण पर जगाई उम्मीद

नई दिल्ली/अमर उजाला ब्यूरो
Story Update : Wednesday, July 25, 2012    12:08 AM
Dimple Yadav hopes raised on women reservation
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव ने सासंद चुने जाने के बाद महिला आरक्षण को लेकर ताल ठोक दी है। महिला आरक्षण के मामले में सपा की नकारात्मक छवि के बीच डिंपल ने अब नई उम्मीद जगाई है। डिंपल ने कहा है कि सपा महिला आरक्षण के विरोध में नहीं है और प्रदेश में महिलाओं के उत्थान के लिए कई योजनाएं भी बनाई जा रही है।

सांसद बनने के बाद पहली बार मीडिया से खुलकर बातचीत करते हुए उन्होंने उद्योग संगठन फिक्की के लेडिज विंग (एफएलओ) के एक कार्यक्रम में अपने पारिवारिक जीवन के कई पहलुओं की जानकारी भी दी। डिंपल ने कहा कि उन्होंने राजनीति में आने के बारे में पहले कभी नहीं सोचा था। लेकिन मौका मिलने पर वे इस क्षेत्र में आ गई।

उन्होंने कहा कि उनके पति अखिलेश काफी समझदार हैं और वे उनके साथ बेहतर तालमेल बैठा कर आगे बढ़ रही हैं। सभी बच्चों की तरह उनके बच्चों को भी कार्टून देखने का शौक है। वे डोरोमॉन जैसे कार्टून चरित्र को देखना पसंद करते हैं। वह निजी शिक्षक से ट्यूशन भी पढते हैं। डिंपल बच्चों को गांव भी ले जाती हैं और नखरे करने पर उन्हें खाने के लिए मनाती भी हैं। चर्चा के दौरान अखिलेश ने कहा कि बच्चों को हमारी बहुमूल्य संस्कृति के बारे में जानना चाहिए। इसलिए वे बच्चों को रामायण पढ़ने के लिए भी प्रेरित करते हैं।

राज्य में महिलाओं की स्थिति में सुधार को लेकर चर्चा करते हुए अखिलेश यादव ने कहा कि कन्याओं की बेहतर शिक्षा के लिए प्रदेश के सरकारी स्कूल व कॉलेजों में पहले पूरी पढ़ाई मुफ्त में हुआ करती थी। राज्य सरकार अब फिर से ऐसा करने जा रही है।

राज्य की ओर से 12वीं पास लड़कियों की आगे की पढ़ाई की व्यवस्था के लिए विद्याधन योजना के तहत सहायता मुहैया कराई जाएगी। इसके लिए 400 करोड़ रुपए खर्च करने की योजना है। जबकि 10वीं पास लड़कियों के आगे की शिक्षा जारी रखने के लिए एक योजना बनाई जा रही है।

इस योजना पर करीब 300 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है। उल्लेखनीय है कि यूपी में 10वीं उत्तीर्ण छात्रों के लिए टैबलेट कंप्यूटर और 12वीं उत्तीर्ण विद्यार्थियों को लैपटाप देने की प्रक्रिया पहले ही शुरू हो चुकी है।

शुक्रवार, 13 जुलाई 2012

सूबे में कौन सुरक्षित

यह हाल  है-

तो फिर सूबे में कौन सुरक्षित

Updated on: Sat, 14 Jul 2012 02:26 AM (IST)


- सदन से लेकर गृह विभाग तक माननीयों की गुहार
- विशेष श्रेणी की सुरक्षा स्टेटस सिंबल
आनन्द राय
लखनऊ : गोरखपुर से तीसरी बार चुने गये भाजपा विधायक डॉ. राधा मोहन दास अग्रवाल ने कई साल पहले अपने सुरक्षाकर्मी को यह कहकर वापस कर दिया कि जनता के लिए काम करने वाले व्यक्ति को सुरक्षा की कोई जरूरत नहीं। आज भी डॉ. अग्रवाल सुरक्षाकर्मी के बिना चलते हैं, लेकिन सूबे के सभी माननीय ऐसे नहीं हैं। कई तो अपनी सुरक्षा को लेकर कभी विधानसभा में फरियाद करते नजर आए और कभी विशेष श्रेणी की सुरक्षा के लिए गृह विभाग में। सवाल उठना लाजिमी है कि जब माननीय ही असुरक्षित हैं तो फिर सूबे में कौन सुरक्षित है।
वाई श्रेणी की सुरक्षा के लिए डेढ़ सौ विधायकों ने अर्जी लगाई है। शासन पशोपेश में है कि किसे -किसे विशेष श्रेणी की सुरक्षा प्रदान करे। पिछले दिनों सदन में बलिया जिले के भाजपा विधायक उपेन्द्र तिवारी ने प्रदेश सरकार के एक मंत्री से अपनी जान का खतरा बताते हुए विधानसभा अध्यक्ष से सुरक्षा की मांग की। पूर्वाचल के बाहुबली बृजेश सिंह के भतीजे और दबंग निर्दल विधायक सुशील सिंह भी खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। बसपा एमएलसी मुकुल उपाध्याय ने तो अदालत में पैरवी कर अपने लिए वाई श्रेणी की सुरक्षा का आदेश हासिल किया, जबकि कांग्रेस विधान मंडल दल के नेता प्रदीप माथुर और विधान परिषद में नेता नसीब पठान ने भी पहल कर वाई श्रेणी की सुरक्षा हासिल कर ली। विपक्ष की बात छोड़िए, सत्ता पक्ष के ही अधिकांश विधायक खुद को असुरक्षित समझ रहे हैं। चाहे इलाहाबाद के महेश नारायण सिंह हों या सीतापुर जिले के सपा विधायक अनूप गुप्ता। सपा के बहुतायत विधायकों की वाई और एक्स श्रेणी की सुरक्षा की अर्जी गृह विभाग में पड़ी है। बहुत से लोग वाई श्रेणी की सुरक्षा में चल रहे हैं। कुछ ऐसे भी माननीय हैं, जिन्हें दो -दो गनर दिए गये हैं। पूछने पर प्रमुख सचिव गृह आरएम श्रीवास्तव ने सुरक्षा मांगने वाले विधायकों का नाम बताने से इंकार कर दिया। उन्होंने यह जरूर कहा कि माननीयों की सुरक्षा को लेकर जिला और राज्य स्तर पर नियम पूर्वक बैठक होती और गंभीरता पूर्वक विचार किया जाता है।
सवाल यह भी है कि क्या वाकई इन माननीयों को जान का खतरा सता रहा है, या गनर और शैडो उनका स्टेटस सिंबल हैं। पिछली बसपा सरकार में कई प्रभावशाली नेता थे, जिनको जेड श्रेणी की सुरक्षा हासिल थी। गौर करें तो कई बार राजनीति प्रतिस्पर्धा में भी माननीय जान के खतरे का शिगूफा छोड़ते हैं। अब सांसद धनंजय सिंह का ही उदाहरण लें। बसपा में थे तो मायावती उनकी आदर्श थीं, लेकिन जब पार्टी से बाहर किये गये तो उन्होंने मायावती से अपनी जान का खतरा बता दिया। खुद मायावती ने भी सरकार गिरते ही समाजवादी पार्टी से अपनी जान के खतरे का मुद्दा गरमा दिया। समाजशास्त्री डॉ. सुधीर कुमार कहते हैं कि कुछ माननीय भले परिस्थितिवश असुरक्षित महसूस कर रहे हों, लेकिन बहुत से अपराधियों ने भी सियासी चोला पहन लिया है। ऐसे दागी लोगों को पल-पल खतरा बना रहता है। 

बुधवार, 4 जुलाई 2012

25 लाख विद्यार्थियों के साथ मजाक

यह सब अच्छा नहीं हो रहा है, व्यवस्था को मनमाने ढंग से थोपने से 'अवाम में' अच्छा सन्देश नहीं जाता है, ऐसा लगता है की शिक्षा विभाग सामान्य और सहज बातों को भी नहीं समझ रहा है।


25 लाख विद्यार्थियों के साथ मजाक, बिना जानकारी बदला सिलेबस

इलाहाबाद/अमर उजाला ब्यूरो
Story Update : Thursday, July 05, 2012    12:51 AM
25 lakh students career fun without information changed syllabus
माध्यमिक शिक्षा विभाग ने राष्ट्रीय पाठ्यक्रम लागू करने के नाम पर यूपी बोर्ड के इंटर के छात्रों के साथ बड़ा मजाक किया है। विभाग ने शिक्षकों को नए पाठ्यक्रम की जानकारी दिए बिना ही नए शैक्षिक सत्र से बदला पाठ्यक्रम लागू कर दिया है।

माध्यमिक शिक्षा विभाग की ओर से इंटरमीडिएट के भौतिकी, रसायन, गणित, जुलॉजी, बाटनी, हिन्दी और अंग्रेजी का पाठ्यक्रम पूरी तरह से बदल दिया है जबकि कुछ विषयों के पाठ्यक्रम में आंशिक बदलाव किया गया है। यूपी बोर्ड के स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षकों को नए पाठ्यक्रम की जानकारी नहीं होने से नए शैक्षिक सत्र में पढ़ाई-लिखाई ठप पड़ जाएगी।

यूपी बोर्ड के पाठ्यक्रम को राष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार्य बनाने के लिए इस बदलाव को लागू तो कर दिया गया लेकिन बदले पाठ्यक्रम में क्या शामिल किया गया है, इस बात की जानकारी शिक्षकों को नहीं है। राष्ट्रीय पाठ्यक्रम की गाइड लाइन जारी करने से पहले यह सलाह दी गई थी कि इसे पढ़ाने से पहले शिक्षकों को बदले पाठ्यक्रम की जानकारी दी जाएगी।

पी बोर्ड से जुड़े स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षक 15 से 20 साल पहले पुराने पाठ्यक्रम से पढ़ाई की है। नए कोर्स शामिल कुछ चैप्टर के बारे में इन शिक्षकों को कोई जानकारी नहीं है। बदलाव के बारे में शिक्षकों को प्रशिक्षण नहीं दिए जाने से चालू शैक्षिक सत्र में पठन-पाठन पर असर पड़ना निश्चित है। यह शिक्षक ऐसे में कक्षा में किस प्रकार से पढ़ाएंगे शिक्षा विभाग के अधिकारियों को समझना होगा।

शिक्षकों को ही बदले पाठ्यक्रम की जानकारी नहीं होने से यूपी बोर्ड के विद्यार्थी सीबीएसई सहित देश के अन्य बोर्ड जहां बदला पाठ्यक्रम लागू है से पिछड़ जाएंगे। सरकार की मंशा के अनुरूप पूरी बोर्ड भले ही परीक्षा में छात्रों को बेहिसाब नंबर बांट दे लकिन यह प्रयोग आईआईटी, एआईईईई, मेडिकल जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं में सफल होने वाला नहीं है। यूपी बोर्ड के विद्यार्थी इन परीक्षाओं में फिसड्डी ही साबित होंगे।

वाह 'गृहमंत्री' जी !


‘अगर मुठभेड़ में निर्दोष मारे गए तो क्षमाप्रार्थी हूं’

नई दिल्ली/अमर उजाला ब्यूरो
Story Update : Thursday, July 05, 2012    12:27 AM
Chidambaram told if any innocent person killed in encounter i deeply sorry
गृह मंत्री पी चिदंबरम ने कहा है कि अगर छत्तीसगढ़ के बीजापुर में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की मुठभेड़ में निर्दोष लोग मारे गए हैं तो इसके लिये वह क्षमाप्रार्थी हैं।

गृह मंत्री ने बुधवार को यहां एक संवाददाता सम्मेलन में पूछे गए सवाल के जवाब में कहा कि सीआरपीएफ की जो कार्रवाई हुई, उसके बारे में सारी जानकारियां सबके सामने हैं। सीआरपीएफ के पास छिपाने के लिए कुछ भी नहीं है। वैसे, चिदंबरम ने कहा कि इस मुठभेड़ में मारे गए पांच लोगों के आपराधिक रिकॉर्ड रहे हैं।

गौरतलब है कि इस मुठभेड़ को लेकर विवाद खडे़ हो गए हैं। एक तरफ पुलिस दावा कर रही है कि मारे गए लोग नक्सली थे, जबकि विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि सुरक्षा बलों ने निर्दोष आदिवासियों और नाबालिगों को भी मारा है। कांग्रेस के जांच दल ने घटना की सीबीआई से तफ्तीश कराने की भी मांग की है।

केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री चरण दास महंत ने भी यह बयान देकर राज्य सरकार की मुश्किल बढ़ा दी है कि बीजापुर मुठभेड़ मे निर्दोष आदिवासी भी मारे गए हैं और राज्य सरकार ने इस मामले में चिदंबरम को गुमराह किया है।

‘फसीह को भारत लाने के लिए हर कदम उठाएंगे’
गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा है कि बंगलूरू और दिल्ली धमाके के आरोपी फसीह मोहम्मद को देश वापस लाने के लिए सरकार हरसंभव कदम उठाएंगी। उन्होंने कहा, ‘फसीह सऊदी अरब में है। उसे वहां हिरासत में लिया गया है। उसे भारत लाने के पूरे प्रयास किए जाएंगे। इस संबंध में एक रेड कार्नर नोटिस पहले ही जारी किया जा चुका है। फसीह कई मामलों में वांछित है।’