शुक्रवार, 23 अगस्त 2013

शायद सपा समझ नहीं रही है .

सपा कहीं ''बीजेपी'' के लिए रास्ता तो नहीं तैयार कर रही है ;
जिसपर चलकर ये कांग्रेस की मदद करना चाहते हों ;
भाजपा की साम्प्रदायिक छवि तैयार करने के चक्कर में सपा कहीं अपने लिए बड़े खतरे न खड़े कर ले, वैसे भी यह पार्टी जिन लोगों के चंगुल में फास चुकी है वो अधिकाँश लोग उसी भाजपा और कांग्रेस की लाइन के सोच के ही लोग हैं.
अखिलेश यादव के जिस युवा चरित्र और नए उर्जावान चहरे को लोगों ने देखने का भ्रम पाला था वह नक्कारखाने में टूटी हुयी आवाज़ के रूप में ही सामने आ रहा है, यदि भाजपा का अंतर्कलह उसे गच्चा नहीं दिया तो सपा अनचाहे इतना उलटा करेगी जो इन संघियों के बहुत काम आयेगा.
भाजपा/कांग्रेस के जो लोग सपा के गर्भगृह में बैठे हैं उसका मूल कारण यह है की सपा कभी अपने इमानदार कैडर बनाती ही नहीं है, कहीं से वोट के हिसाब से महाभ्रष्ट, जातिवादी, साम्प्रदायिक तत्वों को अपने इर्दगिर्द रखती है जिससे इसकी नीतियाँ ही इसके खिलाफ जाती हैं.
इस बार की सरकार जिस तरह, जिन कारणों से बनी है कौन नहीं जानता. ऐसे सुयोग्य अवसर को छोड़कर ये उन्ही हालातों में पहुँच गए हैं जहां से जनता किसी भी सरकार को बाहर कर देती है. प्रदेश अनेक संकटों से जल रहा है चरों तरफ हाहाकार मचा हुआ है पर इन्हें नज़र ही नहीं आ रहा है.
मिशन २०१४ के चलते प्रदेश में केवल २०१४ के लोकसभा के चुनाव की तैयारियां चल रही हैं, प्रदेश का मुख्यमंत्री देश के प्रधानमंत्री बनाये जाने के सपा प्रमुख के लिए वोट के इंतजामात में 'अनाप सनाप फैसले' ले रहा है 'आरक्षण' की लम्बी लड़ाई का खात्मा कर रहा है, तुष्टिकरण के तमाम फैसले ले रहा है, अपनों और परायों के बीच का अंतर भूल गया है, यही साड़ी बातें हैं जो अंदर तक नुक्सान पहुंचाती/करती हैं.
जिस कांग्रेस के इशारों पर सपा बसपा ,'थिरक' रही हैं राजनितिक विश्लेषक उस मर्म को समझते हैं और अब वे यह भी जान गए हैं की ये देश की सत्ता के विकल्प नहीं है बल्कि कांग्रेस के सहयोगी ही हैं. यह आश्चर्य देश की अवाम जिसे दलित और पिछड़े के रूप में पहचाना जाता है कब समझेगा.
यही कारण है की नरेन्द्र के राष्ट्रवाद से कांग्रेस कत्तई भयभीत नहीं है, इसलिए भी की जिस हिंदुत्व का बुखार भाजपाई चढ़ाना चाहते हैं उसी हिन्दू में देश की 85 फीसदी अवाम  दलित और पिछड़े के रूप में मौजूद हैं जिसे ये अलमबरदार अपने अपने खांचे में जातियों के हिसाब से बाटेंगे.जिसका असर यह होगा की 'मोदी' का उभार भी दब जाएगा और  दलित और पिछड़े के रूप में बड़े समुदाय का भी हिसाब हो जाएगा.
आधुनिक भारत को समझना अब उतना आसान नहीं है क्योंकि ये आधुनिकता ही उस पुरातन सोच के समापन के लिए आयात की गयी है जिसमें समाजवाद के सारे सपने डुबोये जा चुके हैं सामाजिक न्याय की अवधारणा के मायने बदल दिए गए हैं तभी तो  दलित और पिछड़े के पार्टी रूप में पहचान रखने वाली पार्टियाँ उनके हक और हकुकों के लिए काम कर रही हैं जो सदियों से सब कुछ कब्जियाये हुए हैं.
मुझे लगता है जिस अस्मिता की रक्षा के लिए मुलायम सिंह ने सारी बदनामी ली उसी मस्जिद को नरसिंघा राव की कांग्रेस सरकार ने ध्वस्त करा दिया था. वो काम भी इन दोनों ने भाजपा के लिए ही किया था वैसे ही आज के आसार नज़र आ रहे हैं.
आखिर विकल्प क्या है ;
विकल्प है ; 
आखिर विकल्प क्या है ? विकल्प है! पर इसपर चले कौन जिस समय लालू ने अडवानी के रथ को रोका था उस समय की रोक और आज की इस रोक में अंतर ये है की तब अवाम को मंडल का भुत सवार था और अडवानी कमंडल के बहाने मंडल का विरोध कर रहे थे, इस बात को लालू समझा पाने में कामयाब हुए थे. पर अब सरकार इस धार्मिक पाखण्ड को कैसे पहचानेगी, क्या नाम देगी इसे अपने हक़ में कैसे करेगी सब सवाल उसके पाले में ही है. (उत्तर तो इसके हैं पर देखना है सरकार क्या करती है.)
-डॉ.लाल रत्नाकर    

(निचे की खबरें अमर उजाला से साभार ली गयी हैं)

13 कंपनी पीएसी, 368 पुलिस अधिकारी रोकेंगे परिक्रमा!

लखनऊ/इंटरनेट डेस्क | अंतिम अपडेट 24 अगस्त 2013 2:16 AM IST पर
akhilesh meeting for parikrma security84 कोसी परिक्रमा पर संतों से टकराव की आशंका के मद्देनजर गृह विभाग की तैयारियों के बारे में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पूछताछ के बाद चौकसी बढ़ा दी गई है।
मुख्यमंत्री ने गुरुवार को गृह विभाग के आला अधिकारियों से इस बारे में की गई तैयारियों की जानकारी मांगी है। इसके बाद अयोध्या समेत संबंधित जिलों व राज्य की सीमाओं पर चौकसी एकाएक प्रभावी कर दी गई है।
माना जा रहा है कि सीएम ने अफसरों को इस संबंध में किसी तरह की कोताही नहीं बरतने की सख्त हिदायत दी है।
विश्व हिंदू परिषद पिछले दिनों राज्य सरकार को एक पत्र सौंप कर संतों द्वारा अयोध्या की 84 कोसी परिक्रमा करे जाने के प्रस्तावित कार्यक्रम से अवगत कराते हुए आवश्यक प्रबंध सुनिश्चित करने को कहा था।
हालांकि, राज्य सरकार ने इसे नई परंपरा की शुरूआत होने की संज्ञा देते हुए परिक्रमा पर रोक लगा दी थी। संतों द्वारा राज्य सरकार के प्रतिबंध को मानने से मना कर दिया गया और हर हाल में परिक्रमा करने का ऐलान किए जाने के बाद अफसरों ने इसे रोकने के लिए सुरक्षा इंतजाम करने शुरू कर दिए थे।
गुरुवार को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सुबह ही एनेक्सी पहुंच कर गृह विभाग समेत अन्य अधिकारियों को तलब कर उनसे परिक्रमा रोकने को लेकर किए जा रहे सुरक्षा प्रबंधों के बारे में जानकारी की।
जानकारों के अनुसार मुख्यमंत्री ने तय प्रबंधों को और चौकस करने को कहा। इसके बाद अधिकारियों ने परिक्रमा से संबंधित छह जिलों में तैनात किए जा रहे अतिरिक्त बल व अधिकारियों की संख्या को बढ़ा दिया।
आईजी कानून-व्यवस्था राज कुमार विश्वकर्मा ने बताया कि परिक्रमा फैजाबाद, बाराबंकी, गोंडा, अंबेडकरनगर, बस्ती व बहराइच से होकर अयोध्या पहुंचती है। लिहाजा इन छह जिलों में सतर्कता के खास इंतजाम किए गए हैं।
आईजी ने बताया कि इन जिलों में दो एसपी, 16 एएसपी, 32 डीएसपी, 80 इंस्पेक्टर, 240 सब इंस्पेक्टर आदि की तैनाती की गई है। यह बल इन जिलों में पहले से तैनात बल के अतिरिक्त है। इसके अलावा पीएसी की 13 कंपनी और एक फ्लड कंपनी तैनात की गई है।
आईज़ी ने बताया कि इस बल के अलावा आरएएफ भी तैनात की जा रही है। ईद के मौके पर आरएएफ की जो 12 कंपनी आई थी, उसकी अवधि 21 अगस्त को समाप्त हो गई। इसमें से एक कंपनी को रोका गया है जबकि दस कंपनी की मांग और की गई है।
इसके लिए यह आग्रह किया गया है कि आरएएफ का जो बल यहां आया हुआ है उसमें से वांछित बल के रोकने की अवधि 13 सितंबर तक (परिक्रमा समाप्त होने की प्रस्तावित तिथि) बढ़ दी जाए। आईजी ने कहा कि इससे राज्य को सुरक्षा प्रबंधों के लिए आरएएफ की 11 कंपनी हासिल होंगी।
--------------84 कोसी परिक्रमा में शामिल होने जा रहे 83 संत गिरफ्तार
आगरा/ चित्रकूट/ब्यूरो | अंतिम अपडेट 24 अगस्त 2013 2:06 AM IST पर
fourteen saints arrested
यूपी बॉर्डर में घुसते ही पुलिस ने 66 संतों को गिरफ्तार कर लिया गया है। संतों का यह काफिला अयोध्या की चौरासी कोस परिक्रमा को राजस्थान से चला था।
गिरफ्तारी के बाद संतों को पुलिस अभिरक्षा में आगरा पुलिस लाइन लाया गया। उधर, चित्रकूट से अयोध्या जा रहे 17 संतों को सातमील के पास पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।
प्रदेश सरकार के प्रतिबंध के बावजूद ये लोग 25 अगस्त से प्रस्तावित चौरासी कोसी परिक्रमा के लिए अयोध्या जा रहे थे।
अयोध्या में चौरासी कोस परिक्रमा में शामिल होने के लिए करीब डेढ़ सौ संत राजस्थान के जयपुर से निकले। आगरा से गुजरती हुई संतों की यह यात्रा अयोध्या पहुंचनी थी।
संतों के आगमन की भनक लगते ही पुलिस हरकत में आ गई। प्रदेश की प्रवेश सीमा पर भारी संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिया गया।
तय कार्यक्रम के मुताबिक संतों की टोली राजस्थान बार्डर से पार होकर चौमा शाहपुर गांव पहुंची। यहां पर पहले से ही मुस्तैद पुलिस ने काफिले को रोकते हुए 66 संतों को गिरफ्तार कर लिया।
हालांकि एसडीएम किरावली राधा एस चौहान के मुताबिक 45 संत ही गिरफ्तार किए गए हैं। उधर, चित्रकूट के हुसेनगंज थाना क्षेत्र के सातमील के पास चेकिंग में जुटी पुलिस ने 17 संतों को गिरफ्तार कर लिया।
थाना एसओ जितेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि पिकअप से अयोध्या जा रहे 17 संत पकड़े गए हैं। उनके खिलाफ शांति भंग की कार्रवाई की जा रही है। सीओ निवेश कटियार ने बताया कि कानून व्यवस्था के साथ किसी को खिलवाड़ नहीं करने दिया जाएगा।
गिरफ्तार संतों को शनिवार को एसडीएम कोर्ट में पेश किया जाएगा।...................

पहली पारी में सपा-भाजपा दोनों कामयाब

लखनऊ/अखिलेश वाजपेयी | अंतिम अपडेट 24 अगस्त 2013 12:08 AM IST पर

benefits of parikramaसपा सरकार को कानून-व्यवस्था सहित अन्य मुद्दों पर मिल रही बदनामी से फिलहाल निजात मिल गई है। भाजपा को इस बदनामी से निजात मिली है कि वह सूबे में कहीं लड़ाई में ही नहीं है।

परिक्रमा करने और रोकने को लेकर शुरू हुई कवायद के बाद मुलायम सिंह यादव एक बार फिर मुसलमानों के मसीहा और धर्मनिरपेक्षता के रक्षक के रूप में खड़े दिखाई दे रहे हैं।

वहीं, प्रदेश में हाशिए पर खड़ी भाजपा को विहिप और संघ की बदौलत हिंदुओं के बीच यह दावा करने का मौका मिल गया कि उनके हित की बात उनके अलावा दूसरा कोई नहीं उठाने वाला।

आगे क्या होगा? दोनों में कौन अपने मकसद में कितना कामयाब होगा, यह तो भविष्य केगर्भ में है। पर, फिलहाल तो दोनों ही खेमे यूपी में अपने मकसद में फौरी तौर पर कामयाब होते हुए दिख रहे हैं। परिक्रमा पर प्रतिबंध के बहाने सियासी गलियारों में अयोध्या एक बार फिर चर्चा में है।

समाजवादी पार्टी की सरकार धर्मनिरपेक्षता की रक्षा के दावे के साथ परिक्रमा पर प्रतिबंध लगा चुकी है। परिक्रमा की जिद दिखा रहे विहिप और हिंदू नेताओं को अयोध्या से दूर रहने की और न मानने पर गिरफ्तारी की चेतावनी दी जा रही है।

जवाब में भगवा खेमे की तरफ से सरकार के इस कदम को हिंदू विरोधी नीति करार देकर हिंदुओं से मुस्लिम हितैषी राजनीतिक दलों व सरकारों को सबक सिखाने का आह्वान शुरू हो गया है।

राजनीतिक विश्लेषकों का निष्कर्ष है कि इस खेल के पीछे लोकसभा के आने वाले चुनाव में वोटों के इंतजाम को सपा व संघ परिवार की मिलीभगत है।

पर, सपा और संघ परिवार दोनों ही इसे अपने-अपने सिद्धांतों की रक्षा के लिए संघर्ष करार दे रहे है। माहौल कुछ वैसा ही बनाने की कोशिश है, जैसे 1990 में अक्टूबर से पहले दिखाई दे रहा था।