जानिए, सपा में क्यों आए माफिया अतीक
बाहुबली अतीक अहमद पर चुनावी दांव लगाने के सपा के फैसले को पूर्वांचल में मुस्लिम कार्ड का रंग गहराने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है।
अतीक के बहाने सपा कई सीटों पर सियासी समीकरण साधना चाहती है।
समाजवादी पार्टी लोकसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों को बदलने का सिलसिला जारी रखे हुए है। सुल्तानपुर सीट पर हुआ ताजा बदलाव चौंकाने वाला जरूर है, लेकिन इसके गहरे राजनीतिक अर्थ निकाले जा रहे हैं।
अतीक के बहाने सपा कई सीटों पर सियासी समीकरण साधना चाहती है।
समाजवादी पार्टी लोकसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों को बदलने का सिलसिला जारी रखे हुए है। सुल्तानपुर सीट पर हुआ ताजा बदलाव चौंकाने वाला जरूर है, लेकिन इसके गहरे राजनीतिक अर्थ निकाले जा रहे हैं।
मुस्लिम वोटों पर सपा की नजर
दरअसल, सपा की नजर मुस्लिम वोटों पर टिकी हुई हैं। इसके लिए उसे दागी और बागी दोनों ही तरह के नेता स्वीकार हैं। अतीक अहमद का इलाहाबाद और आसपास की कुछ सीटों पर असर है। वे इलाहाबाद पश्चिम से पांच बार विधायक रहे हैं।
वर्ष 2009 में जब वे अपना दल के टिकट पर प्रतापगढ़ लोकसभा सीट से चुनाव लड़े तो उन्हें 1.08 लाख वोट मिले थे।
भले ही इस चुनाव में अतीक चौथे नंबर पर रहे लेकिन 1.21 लाख वोट के साथ सपा को भी तीसरे पायदान पर पहुंचा दिया था।
इस सीट पर मुख्य मुकाबला कांग्रेस और बसपा के बीच हुआ था। तब कांग्रेस की रत्ना कुमारी सांसद चुनी गई थीं।
चुनाव से पहले सपा ऐसे मुस्लिम नेताओं पर डोरे डालना चाहती है जो अपने दमखम पर उसका चुनावी गणित बिगाड़ने की हैसियत रखते हैं। अतीक अहमद के बहाने सपा सुल्तानपुर ही नहीं, आसपास की सीटों पर भी मुस्लिम वोटों को साधना चाहती है।
सुल्तानपुर की स्थानीय राजनीति में सपा विधायक अबरार अहमद और पूर्व घोषित प्रत्याशी शकील अहमद के बीच 36 का आंकड़ा है।
मजबूत चेहरे की थी तलाश
इससे लोकसभा चुनाव में होने वाले नुकसान से बचने के लिए सपा को किसी मजबूत चेहरे की तलाश थी जो बाहुबली अतीक अहमद से पूरी हो गई। सपा ने विधानसभा चुनाव में भी शकील अहमद को प्रत्याशी बनाया था लेकिन बाद में उनका टिकट कट गया था।
इस बार खेमेबंदी की जंग में आजम खां के नजदीकी समझे जाने वाले विधायक अबरार उन पर फिर भारी पड़े हैं।
सपा इस नजरिये से भी सुल्तानपुर सीट को अहम मानती है कि विधानसभा चुनाव में यहां की सभी पांचों सीटों पर उसे कामयाबी मिली थी।
अब तक बदले 29 प्रत्याशी लखनऊ। समाजवादी पार्टी अब तक लोकसभा चुनाव के लिए घोषित 29 प्रत्याशियों को बदल चुकी है। सुल्तानपुर में शकील अहमद की जगह अतीक अहमद को उम्मीदवार बनाने के बाद और प्रत्याशियों में भी बदलाव की संभावना है।
सुल्तानपुर के पहले हाल के दिनों में जालौन (सुरक्षित), जौनपुर, कैसरगंज, गाजीपुर, देवरिया, संत कबीर नगर और लालगंज (सुरक्षित), फतेहपुर सीकरी आदि सीटों पर उम्मीदवार बदले जा चुके हैं।
दरअसल, सपा की नजर मुस्लिम वोटों पर टिकी हुई हैं। इसके लिए उसे दागी और बागी दोनों ही तरह के नेता स्वीकार हैं। अतीक अहमद का इलाहाबाद और आसपास की कुछ सीटों पर असर है। वे इलाहाबाद पश्चिम से पांच बार विधायक रहे हैं।
वर्ष 2009 में जब वे अपना दल के टिकट पर प्रतापगढ़ लोकसभा सीट से चुनाव लड़े तो उन्हें 1.08 लाख वोट मिले थे।
भले ही इस चुनाव में अतीक चौथे नंबर पर रहे लेकिन 1.21 लाख वोट के साथ सपा को भी तीसरे पायदान पर पहुंचा दिया था।
इस सीट पर मुख्य मुकाबला कांग्रेस और बसपा के बीच हुआ था। तब कांग्रेस की रत्ना कुमारी सांसद चुनी गई थीं।
चुनाव से पहले सपा ऐसे मुस्लिम नेताओं पर डोरे डालना चाहती है जो अपने दमखम पर उसका चुनावी गणित बिगाड़ने की हैसियत रखते हैं। अतीक अहमद के बहाने सपा सुल्तानपुर ही नहीं, आसपास की सीटों पर भी मुस्लिम वोटों को साधना चाहती है।
सुल्तानपुर की स्थानीय राजनीति में सपा विधायक अबरार अहमद और पूर्व घोषित प्रत्याशी शकील अहमद के बीच 36 का आंकड़ा है।
मजबूत चेहरे की थी तलाश
इससे लोकसभा चुनाव में होने वाले नुकसान से बचने के लिए सपा को किसी मजबूत चेहरे की तलाश थी जो बाहुबली अतीक अहमद से पूरी हो गई। सपा ने विधानसभा चुनाव में भी शकील अहमद को प्रत्याशी बनाया था लेकिन बाद में उनका टिकट कट गया था।
इस बार खेमेबंदी की जंग में आजम खां के नजदीकी समझे जाने वाले विधायक अबरार उन पर फिर भारी पड़े हैं।
सपा इस नजरिये से भी सुल्तानपुर सीट को अहम मानती है कि विधानसभा चुनाव में यहां की सभी पांचों सीटों पर उसे कामयाबी मिली थी।
अब तक बदले 29 प्रत्याशी लखनऊ। समाजवादी पार्टी अब तक लोकसभा चुनाव के लिए घोषित 29 प्रत्याशियों को बदल चुकी है। सुल्तानपुर में शकील अहमद की जगह अतीक अहमद को उम्मीदवार बनाने के बाद और प्रत्याशियों में भी बदलाव की संभावना है।
सुल्तानपुर के पहले हाल के दिनों में जालौन (सुरक्षित), जौनपुर, कैसरगंज, गाजीपुर, देवरिया, संत कबीर नगर और लालगंज (सुरक्षित), फतेहपुर सीकरी आदि सीटों पर उम्मीदवार बदले जा चुके हैं।
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