जाटव साहब !
आप बोलने भी नहीं देंगे !
जो कुछ हो रहा है उसे वे 'मज़ाक' बनाकर रख दिए है "दबंगों" के साथ रहने में यही खतरा रहता है सरकार नियति नहीं नीति से चलती है, नीति ही जब दबे कुचलों के उत्थान की नहीं होगी, तो उन्हें क्या फरक पड़ता है जो इन्हे रथ की डोर का भ्रम कराते रहते हैं "उन्ही के चक्कर में बहन जी ० पर आ गयी और ये अपने परिवार में ही सिमट गए !"
अब इन्हे कौन बताये की मोदी पिछड़ों के नाम पर दलितों के नामपर 'गुरूजी' के लिए इतना बहुमत सौंप दिए है अब 5 साल 'फ़नफ़नाईये' पं. िनरिपेन्द्र मिसिर जी' सब इंतज़ाम कर देंगे !
जो अच्छे दिन आये हैं तो कुछ अच्छे काम भी हो जाएँ !
आखिर यही तो बहादुरी है जो अब तक दलित और पिछड़े दिखाते आये हैं।
ये खबरें क्या कहती हैं ?
लखनऊ. बदायूं गैंग रेप में दो पुलिस कर्मियों का नाम सामने आने के बाद पुलिस प्रशासन की साख पर बट्टा लगा है। इनकी करतूत ने पूरे देश को शर्मिंदा कर दिया है। हर तरफ एक ही आवाज उठ रही है, 'बदायूं की बेटियों हम शर्मिंदा हैं, क्योंकि तुम्हारे कातिल अभी जिंदा हैं।'
पुलिस के हर अक्षर के मायने हैं। इसका पालन करना हर पुलिसकर्मी का धर्म है, लेकिन हकीकत कुछ और ही है। खाकी पहनते ही सत्ता से जुड़े पुलिसवाले यही मानते हैं कि उन्हें अपराध करने का लाइसेंस मिल गया है। लूट, हत्या, रेप जैसे संगीन जर्म में अब इनकी संलिप्तता आम हो गई है।
खाकी ने किया शर्मसार
बदायूं में दो बहनों की रेप के बाद दबंगों ने उनकी हत्या कर दी और पुलिस तमाशबीन बनी रही। बुलंदशहर के पहासू थाने में शुक्रवार को पुलिस के उत्पीड़न से आहत एक व्यक्ति ने थाना परिसर के टॉयलेट फांसी लगा ली।
इसके अलावा बस्ती जिले में किशोरी को दबंगों ने मिट्टी का तेल डालकर जला दिया। इन घटनाओं से साफ है कि अब अपराधियों में पुलिस का खौफ नहीं रहा। लोगों का पुलिस पर भरोसा दिन पर दिन खत्म होता जा रहा है।
क्या है POLICE का मतलब
पुलिस की स्पेलिंग में पांच अक्षर हैं। इसका मतलब इस प्रकार से है-
P- पोलाइट (विनम्र)
O- ओबिडियंट (आज्ञाकारी)
L- लॉयल (नैतिक)
I- इंटेलीजेंट (बुद्धिमान)
C- करेजियस (साहसी)
E- एफिसिएंट (क्षमतावान)
हालांकि, यूपी पुलिस में इनमें से एक भी गुण नजर नहीं आते।
आगे पढ़िए क्या है हकीकत...
क्या कर रही है पुलिस
खाकी पहनकर दबंगों के साथ घूमने में ये पुलिसकर्मी अपना शान समझते हैं। सत्ता के करीब रहकर मनचाही तैनाती के फार्मूले बनाने में भी ये माहिर हैं। अपनी ड्यूटी निभाने से ज्यादा वे जुगाड़ के समीकरण को तवज्जो देते हैं। खाकी पहनकर दूसरे गोरखधंधों में भी इनकी खासा दखल है।
हत्यारों को पनाह देने के साथ ही इनकी वर्दी पर खुद के कारनामों की भी कई छींटे हैं। बीते महीने अपराधियों से सांठगांठ के चलते गोरखपुर की एसओजी तक को भंग कर दिया गया।
लखनऊ में कब-कब खाकी हुई दागदार
2006 में क्राइम ब्रांच ने आशियाना इलाके में एक व्यापारी से लाखों का सोना लूट लिया था। इसी साल गोमतीनगर से प्रॉपर्टी डीलर लोकनाथ के अपहरण के बाद हत्या के मामले में एक पुलिस अधिकारी की संलिप्तता सामने आई। मार्च 2007 में हजरतगंज के जनपथ मार्केट में सिपाही मो. अब्बास ने महिलाओं से छेड़खानी की।
इस मामले में उन्हें बर्खास्त किया गया। इसी साल 28 अप्रैल को नाका के सिपाही सुभाषचंद्र ने आलमबाग में बरेली के दरोगा की पत्नी से छेड़खानी की। इसी साल भू-माफिया लल्लू यादव से करीबियों के चलते तालकटोरा थाना प्रभारी को सस्पेंड किया गया।
एडीजी (कानून-व्यवस्था) मुकुल गोयल का कहना है कि पुलिसकर्मियों को बेहतर कार्य के लिए समय-समय पर ट्रेनिंग दी जाती है। अपराधियों से निपटने के लिए उन्हें दिशा- निर्दश भी जारी किए जाते हैं। साथ ही पुलिस लाइन में कैंप लगाकर उनकी समस्याओं को सुलझाया भी जाता है।
बावजूद इसके यदि किसी भी पुलिसकर्मी की कानून-व्यवस्था खराब करने में संलिप्तता पाई जाती है, तो उसे किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा। दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
लखनऊ. यूपी में रेप की घटनाएं बदस्तूर जारी हैं। बदायूं गैंगरेप कांड के बाद जहां लोग सहमे हुए हैं, वहीं इंटरनेशनल फोरम पर इस घटना की निंदा की जा चुकी है। राज्य में बिजली और पानी को लेकर हाहाकार मचा हुआ है। बिगड़ती कानून-व्यवस्था पर सीएम को राज्यपाल ने तलब किया तो गृहमंत्री ने भी क्लास लगाई। यूपी के गवर्नर बीएल जोशी से पीएम नरेंद्र मोदी ने भी मुलाकात की। इतना ही नहीं, केंद्र सरकार के साथ हाईकोर्ट ने भी सरकार के सामने इन मुद्दों से जुड़े सवालों की लंबी फेहरिस्त रख दी।
यूपी की जनता सड़कों पर उतर आई। अपनी सरकार से जवाब मांगने लगी। अभी करारी हार के गम से सपा सरकार उबर भी नहीं पाई थी, ऐसे में चौतरफा हमलों से उनकी बौखलाहट और बढ़ गई। आनन-फानन में सीएम ने आला अफसरों को हटाकर ऑल-इज-वेल का मैसेज देना चाहा। मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव गृह और वित्त की बलि ली गई।
महकमे में हड़कंप मच गया। घबराई सरकार सड़कों पर उतर आई। माननीयों (राजनेता) को देख मानिंद (अफसर) भी हरकत में आ गए। सीएम से लेकर डीएम तक जमीन पर दिखने लगे। इसका नतीजा भी सामने आया। नए नियम बने और पुराने नियम में फिट नहीं बैठने वाले और लापरवाही बरतने वाले अफसर सस्पेंड कर दिए गए।
मुख्य सचिव आलोक रंजन की तरह चार्ज संभालते ही प्रमुख सचिव गृह दीपक सिंघल भी हरकत में आ गए। उन्होंने कहा कि अब पुलिस अधिकारियों के साथ मिलकर गृह विभाग के अफसर भी प्रदेश का दौरा करेंगे। वे कानून-व्यवस्था संबंधी समस्याओं के लिए जनता से मुलाकात करेंगे।
जघन्य अपराध होने पर एसपी और एडिशनल एसपी को मौके पर जाना होगा और जो नहीं जाएगा, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। जघन्य अपराधों की रोकथाम के लिए जिलास्तर और मुख्यालय स्तर पर दो कमेटियां बनाई गई हैं। साथ ही बड़े मामले के लिए तीन महिला सदस्यों की कमेटी बनाई गई है।
लखनऊ के डीएम राजशेखर ने भी बुधवार को शहर के बलरामपुर अस्पताल का औचक निरीक्षण किया। उन्होंने डॉक्टरों का अटेंडेंस रजिस्टर चेक किया। इस दौरान गैरहाजिर डॉक्टरों के मामले में अस्पताल प्रशासन से जवाब-तलब किया। वहां मरीजों से बात की और रजिस्ट्रेशन रजिस्टर चेक किया।
इसके बाद डीएम सुपर स्पेशिएलिटी विंग के आउटडोर में गए। कई मरीजों से हालचाल पूछा। उन्होंने उनसे पूछा कि यहां दवाई मिलती है या नहीं। इसके बाद वे दूसरे वार्ड में जाकर मरीजों से उनकी हालचाल और परेशानियों के बारे में भी जानकारी ली।
यूपी में फिर रेप: सपा नेता बोले- संबंध जगजाहिर हो जाता है तो उसे बलात्कार का नाम दे देते हैं
bhaskar.com|Jun 04, 2014, 18:52PM IST
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