बुधवार, 4 जून 2014

बोलने भी नहीं देंगे !


जाटव साहब !
आप बोलने भी नहीं देंगे !
जो कुछ हो रहा है उसे वे 'मज़ाक' बनाकर रख दिए है "दबंगों" के साथ रहने में यही खतरा रहता है सरकार नियति नहीं नीति से चलती है, नीति ही जब दबे कुचलों के उत्थान की नहीं होगी, तो उन्हें क्या फरक पड़ता है जो इन्हे रथ की डोर का भ्रम कराते रहते हैं "उन्ही के चक्कर में बहन जी ० पर आ गयी और ये अपने परिवार में ही सिमट गए !"
अब इन्हे कौन बताये की मोदी पिछड़ों के नाम पर दलितों के नामपर 'गुरूजी' के लिए इतना बहुमत सौंप दिए है अब 5 साल 'फ़नफ़नाईये' पं. िनरिपेन्द्र मिसिर जी' सब इंतज़ाम कर देंगे ! 
जो अच्छे दिन आये हैं तो कुछ अच्छे काम भी हो जाएँ !
आखिर यही तो बहादुरी है जो अब तक दलित और पिछड़े दिखाते आये हैं।

ये खबरें क्या कहती हैं ?


लखनऊ. बदायूं गैंग रेप में दो पुलिस कर्मियों का नाम सामने आने के बाद पुलिस प्रशासन की साख पर बट्टा लगा है। इनकी करतूत ने पूरे देश को शर्मिंदा कर दिया है। हर तरफ एक ही आवाज उठ रही है, 'बदायूं की बेटियों हम शर्मिंदा हैं, क्योंकि तुम्हारे कातिल अभी जिंदा हैं।'
पुलिस के हर अक्षर के मायने हैं। इसका पालन करना हर पुलिसकर्मी का धर्म है, लेकिन हकीकत कुछ और ही है। खाकी पहनते ही सत्ता से जुड़े पुलिसवाले यही मानते हैं कि उन्हें अपराध करने का लाइसेंस मिल गया है। लूट, हत्या, रेप जैसे संगीन जर्म में अब इनकी संलिप्तता आम हो गई है। 
 
खाकी ने किया शर्मसार
 
बदायूं में दो बहनों की रेप के बाद दबंगों ने उनकी हत्या कर दी और पुलिस तमाशबीन बनी रही। बुलंदशहर के पहासू थाने में शुक्रवार को पुलिस के उत्पीड़न से आहत एक व्यक्ति ने थाना परिसर के टॉयलेट फांसी लगा ली। 
 इसके अलावा बस्ती जिले में किशोरी को दबंगों ने मिट्टी का तेल डालकर जला दिया। इन घटनाओं से साफ है कि अब अपराधियों में पुलिस का खौफ नहीं रहा। लोगों का पुलिस पर भरोसा दिन पर दिन खत्म होता जा रहा है।
 
क्या है POLICE का मतलब
 
पुलिस की स्पेलिंग में पांच अक्षर हैं।  इसका मतलब इस प्रकार से है-
P- पोलाइट (विनम्र)
O- ओबिडियंट (आज्ञाकारी)
L- लॉयल (नैतिक)
I- इंटेलीजेंट (बुद्धिमान)
C- करेजियस (साहसी)
E- एफिसिएंट (क्षमतावान)
हालांकि, यूपी पुलिस में इनमें से एक भी गुण नजर नहीं आते।

आगे पढ़िए क्या है हकीकत...
क्या कर रही है पुलिस
 
खाकी पहनकर दबंगों के साथ घूमने में ये पुलिसकर्मी अपना शान समझते हैं। सत्ता के करीब रहकर मनचाही तैनाती के फार्मूले बनाने में भी ये माहिर हैं। अपनी ड्यूटी निभाने से ज्यादा वे जुगाड़ के समीकरण को तवज्जो देते हैं। खाकी पहनकर दूसरे गोरखधंधों में भी इनकी खासा दखल है। 
हत्यारों को पनाह देने के साथ ही इनकी वर्दी पर खुद के कारनामों की भी कई छींटे हैं। बीते महीने अपराधियों से सांठगांठ के चलते गोरखपुर की एसओजी तक को भंग कर दिया गया। 
 
लखनऊ में कब-कब खाकी हुई दागदार
 
2006 में क्राइम ब्रांच ने आशियाना इलाके में एक व्यापारी से लाखों का सोना लूट लिया था। इसी साल गोमतीनगर से प्रॉपर्टी डीलर लोकनाथ के अपहरण के बाद हत्या के मामले में एक पुलिस अधिकारी की संलिप्तता सामने आई। मार्च 2007 में हजरतगंज के जनपथ मार्केट में सिपाही मो. अब्बास ने महिलाओं से छेड़खानी की। 
इस मामले में उन्हें बर्खास्त किया गया। इसी साल 28 अप्रैल को नाका के सिपाही सुभाषचंद्र ने आलमबाग में बरेली के दरोगा की पत्नी से छेड़खानी की। इसी साल भू-माफिया लल्लू यादव से करीबियों के चलते तालकटोरा थाना प्रभारी को सस्पेंड किया गया।
एडीजी (कानून-व्यवस्था) मुकुल गोयल का कहना है कि पुलिसकर्मियों को बेहतर कार्य के लिए समय-समय पर ट्रेनिंग दी जाती है। अपराधियों से निपटने के लिए उन्हें दिशा- निर्दश भी जारी किए जाते हैं। साथ ही पुलिस लाइन में कैंप लगाकर उनकी समस्याओं को सुलझाया भी जाता है। 
बावजूद इसके यदि किसी भी पुलिसकर्मी की कानून-व्यवस्था खराब करने में संलिप्तता पाई जाती है, तो उसे किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा। दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

लखनऊ. यूपी में रेप की घटनाएं बदस्तूर जारी हैं। बदायूं गैंगरेप कांड के बाद जहां लोग सहमे हुए हैं, वहीं इंटरनेशनल फोरम पर इस घटना की निंदा की जा चुकी है। राज्य में बिजली और पानी को लेकर हाहाकार मचा हुआ है। बिगड़ती कानून-व्यवस्था पर सीएम को राज्‍यपाल ने तलब किया तो गृहमंत्री ने भी क्लास लगाई। यूपी के गवर्नर बीएल जोशी से पीएम नरेंद्र मोदी ने भी मुलाकात की। इतना ही नहीं, केंद्र सरकार के साथ हाईकोर्ट ने भी सरकार के सामने इन मुद्दों से जुड़े सवालों की लंबी फेहरि‍स्त रख दी। 
 
यूपी की जनता सड़कों पर उतर आई। अपनी सरकार से जवाब मांगने लगी। अभी करारी हार के गम से सपा सरकार उबर भी नहीं पाई थी, ऐसे में चौतरफा हमलों से उनकी बौखलाहट और बढ़ गई। आनन-फानन में सीएम ने आला अफसरों को हटाकर ऑल-इज-वेल का मैसेज देना चाहा। मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव गृह और वित्त की बलि ली गई। 
 
महकमे में हड़कंप मच गया। घबराई सरकार सड़कों पर उतर आई। माननीयों (राजनेता) को देख मानिंद (अफसर) भी हरकत में आ गए। सीएम से लेकर डीएम तक जमीन पर दिखने लगे। इसका नतीजा भी सामने आया। नए नियम बने और पुराने नियम में फिट नहीं बैठने वाले और लापरवाही बरतने वाले अफसर सस्पेंड कर दिए गए।
 
मुख्य सचिव आलोक रंजन की तरह चार्ज संभालते ही प्रमुख सचिव गृह दीपक सिंघल भी हरकत में आ गए। उन्होंने कहा कि‍ अब पुलिस अधिकारि‍यों के साथ मिलकर गृह विभाग के अफसर भी प्रदेश का दौरा करेंगे। वे कानून-व्यवस्था संबंधी समस्याओं के लिए जनता से मुलाकात करेंगे।
 
जघन्य अपराध होने पर एसपी और एडिशनल एसपी को मौके पर जाना होगा और जो नहीं जाएगा, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। जघन्य अपराधों की रोकथाम के लिए जिलास्तर और मुख्यालय स्तर पर दो कमेटियां बनाई गई हैं। साथ ही बड़े मामले के लिए तीन महिला सदस्‍यों की कमेटी बनाई गई है।
 
लखनऊ के डीएम राजशेखर ने भी बुधवार को शहर के बलरामपुर अस्‍पताल का औचक निरीक्षण कि‍या। उन्होंने डॉक्टरों का अटेंडेंस रजिस्टर चेक किया। इस दौरान गैरहाजिर डॉक्टरों के मामले में अस्पताल प्रशासन से जवाब-तलब किया। वहां मरीजों से बात की और रजि‍स्‍ट्रेशन रजिस्टर चेक किया।
 
इसके बाद डीएम सुपर स्पेशिएलिटी विंग के आउटडोर में गए। कई मरीजों से हालचाल पूछा। उन्‍होंने उनसे पूछा कि‍ यहां दवाई मिलती है या नहीं। इसके बाद वे दूसरे वार्ड में जाकर मरीजों से उनकी हालचाल और परेशानियों के बारे में भी जानकारी ली।
 

यूपी में फिर रेप: सपा नेता बोले- संबंध जगजाहिर हो जाता है तो उसे बलात्‍कार का नाम दे देते हैं

bhaskar.com|Jun 04, 2014, 18:52PM IST
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यूपी में फिर रेप: सपा नेता बोले- संबंध जगजाहिर हो जाता है तो उसे बलात्‍कार का नाम दे देते हैं
नई दिल्ली. यूपी में बलात्‍कार के और मामले सामने आए हैं। सीतापुर में बदायूं जैसा ही एक मामला सामने आया है तो संभल में बुधवार को नाबालिग युवती के साथ तमंचे की नोक पर रेप का सनसनीखेज मामला सामने आया है। लगातार सामने आ रही ऐसी घटनाओं के बीच सपा नेता रामगोपाल यादव ने बुधवार को अजीबोगरीब बयान दिया। उन्‍होंने कहा, 'कई जगह लड़के-लड़की का संबंध जगजाहिर हो जाता है तो इसे बलात्‍कार का नाम दे दिया जाता है। बहुत सारी जगहों पर लड़का शादी करने को तैयार होता है, लेकिन ऑनर किलिंग हो जाती है। सबसे अफसोसनाक और गंभीर बात यह है कि इस तरह की घटनाएं रुक नहीं रही हैं। ऐसी वारदात दूसरी जगहों पर भी होती हैं, लेकिन वे सुर्खियों में नहीं आतीं।'
 
मीडिया पर हमला
यादव ने मीडिया पर उत्‍तर प्रदेश की ऐसी घटनाओं को 'जान-बूझ कर प्रचारित करने' का आरोप लगाया। उन्‍होंने यह भी कहा कि जब तक समाज समग्र रूप से एकजुट होकर काम नहीं करेगा, तब तक ऐसी घटनाओं पर पूरी तरह लगाम नहीं लगाया जा सकता। उन्‍होंने कहा कि आजकल ऐसा भी सुनने में आता है कि बाप ने बेटी का बलात्‍कार कर दिया। ऐसा मानसिक दिवालिएपन का नतीजा है, और कुछ नहीं।
 
केंद्र सरकार हुई सख्त
मंगलवार को उत्‍तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव ने भी कहा था कि ऐसा बार-बार देखा जा चुका है कि मीडिया यूपी की ऐसी घटनाओं को खूब छापता-दिखाता है, जबकि ऐसी घटनाएं बाकी राज्‍यों में भी होती हैं। सीएम के इस नजरिए पर केंद्र सरकार ने बुधवार को सख्‍त रुख दिखाया। गृह राज्‍य मंत्री किरण रिजिजु ने अखिलेश को नसीहत दी कि ऐसी घटनाओं को गिनती के आधार पर कम कया ज्‍यादा नहीं आंका जा सकता। उन्‍होंने कहा, 'सो हमें उम्‍मीद है कि उत्‍तर प्रदेश सरकार इस तरह के अपराधों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगी।' संसद भवन के बाहर पत्रकारों से बातचीत में किरण ने इस सवाल के जरिए यूपी सरकार को एक्‍शन लेने का संकेत दिया कि आखिर ऐसी घटनाएं क्‍यों नहीं रोकी जा सकती?' उन्‍होंने कहा कि यूपी में जो हालात हैं उससे राज्‍य सरकर को सख्‍ती से निपटना ही होगा। 
 
मुलायम भी देते रहे हैं विवादित बयान 
बलात्‍कार की बढ़ती घटनाओं को लेकर समाजवादी पार्टी के नेताओं द्वारा अजीबोगरीब बयान देने का सिलसिला नया नहीं है। चुनाव प्रचार के दौरान सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने भी कहा था, 'लड़के हैं, लड़कियों से गलतियां हो जाती हैं। तो क्‍या इसके लिए उन्‍हें फांसी दे दी जाए?'

उत्तर प्रदेश में एक नाबालिग  युवती का बंदूक की नोक पर कथित तौर पर रेप करने का मामला सामने आया है। घटना संभल जिले के नखासा क्षेत्र की है।
पुलिस के मुताबिक,  नखासा क्षेत्र के फिरोजपुर गांव में बुधवार को 15 साल की एक लड़की अपने खेत के पास गोबर के उपले बना रही थी, तभी गांव के ही कासिम नाम के शख्स ने उसे बंदूक से डराकर रेप किया। पुलिस ने मामले में आरोपी के खिलाफ मुकदमा दर्ज करके जांच शुरू कर दी है।
 
सीतापुर में भी बदायूं जैसी घटना 
वहीं, यूपी के ही सीतापुर में भी बदायूं जैसी सी ही घटना सामने आई है। यहां एक नाबालिग लड़की की हत्या कर शव को पेड़ से लटका दिया गया। नाबालिग के पिता ने आरोप लगाया है कि गांव का ही एक लड़का उनकी बेटी के साथ शादी का दबाव बना रहा था, लेकिन जब उन्‍होंने इससे इनकार कर दिया तो उसने उनकी बेटी की हत्‍या कर दी। आरोपी पीडि़ता का फुफेरा भाई बताया जा रहा है। 
पिता ने आरोप लगाया है कि आरोपी ने अपने दोस्‍तों के साथ मिलकर नाबालिग से गैंगरेप भी किया। मामले की जानकारी मिलते ही मौके पर पहुंची पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। मामले में छह लोगों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया गया है। परिजनों का आरोप है कि पुलिस ने हत्‍या का मामला तो दर्ज कर लिया, लेकिन गैंगरेप का मामला नहीं दर्ज किया।

अखिलेश बोले- बाकी जगहों के रेप नहीं दिखा रहा है मीडिया

dainikbhaskar.com|Jun 04, 2014, 12:24PM IST
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अखिलेश बोले- बाकी जगहों के रेप नहीं दिखा रहा है मीडिया
लखनऊ. बदायूं गैंगरेप के बाद चौतरफा आलोचना झेल रही यूपी सरकार सबक लेने के बजाय दूसरे प्रदेशों की घटनाओं का हवाला दे रही है। प्रदेश में बिगड़ती कानून-व्यवस्था पर जब उनसे सवाल पूछा गया, वह मीडिया पर ही भड़क गए और पक्षपात का आरोप लगाया। मुख्यमंत्री ने राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक के बाद कहा, ‘बदायूं की घटना या प्रदेश में कोई घटना अगर हुई है तो हमने कड़ी कार्रवाई की है। बदायूं में हम जो-जो कदम उठा सकते थे, हमने उठाए। सीबीआई की जांच होगी। प्रदेश में कहीं भी कोई घटना हुई तो उसमें कार्रवाई की गई है। मैंने कई बार कहा कि घटना का प्रचार होता है। ऐसी घटनाएं सिर्फ उत्तर प्रदेश में नहीं होती।’ उन्होंने कहा, ‘बेंगलूर में घटना हुई, क्या वह चैनलों पर दिखी... मध्य प्रदेश में लगातार घटना हो रही है। वहां के बड़े मंत्री के परिवार की सदस्य की चेन उनके घर के पास ही खींच ली गई । राजस्थान की हालत आपके सामने है। सिर्फ उत्तर प्रदेश ही जानबूझकर दिखाई दे रहा है।’ 
 
जनता और भाजपा पर फोड़ा ठीकरा 
बिजली संकट पर बोलते हुए अखिलेश ने कहा कि यूपी की जनता ने जो जनादेश दिया है, उसका ही नतीजा है कि सूबे को 16 घंटे भी बिजली नहीं दी जा पा रही है। सीएम ने भाजपा सरकार पर भी निशाना साधते हुए कहा कि ये बहुत चालू लोग हैं। अखिलेश ने कहा, 'केंद्र सरकार कम से कम यूपी को उसके कोटे की बिजली तो दे दे। जब तक केंद्र ऐसा नहीं करता, हम बिजली कहां से दें। उन्होंने कहा, 'केंद्र एक साल के लिए हमें कोयला उधार ही दे दे, हम उसे 2016 में लौटा देंगे। तब तक यहां कई बिजली परियोजनाएं शुरू हो जाएंगी।'
 
अखिलेश ने कैबिनेट मीटिंग के दौरान कई अहम और बड़े फैसले लिए। प्रदेश में नई तबादला नीति को भी मंजूरी दे दी ,जो मंगलवार से ही लागू हो गई है। अब मंत्री और एचओडी 10 फीसदी तबादले कर सकेंगे।

जानकारी के मुताबिक, महंगाई कम करने के लिए भी ‌कुछ रिजर्व फंड बनाने की योजना को मंजूरी मिली है। खबर यह भी आ रही है कि हो सकता है कि यूपी सरकार लैपटॉप वितरण योजना को ठंडे बस्ते में डाल दे। हालांकि, अभी तक इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हो सकी है।
 

अखिलेश बोले- बाकी जगहों के रेप नहीं दिखा रहा है मीडिया

dainikbhaskar.com|Jun 04, 2014, 12:24PM IST
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अखिलेश बोले- बाकी जगहों के रेप नहीं दिखा रहा है मीडिया
वर्तमान राजनीति की जो हालत है, उसमें कई ऐसे नेता है जिन्‍हें असफल की श्रेणी में रखा जा सकता है। एक तरफ राहुल गांधी हैं, जिनके नेतृत्‍व में पार्टी को ऐतिहासिक हार का सामना करना पड़ा। इस श्रेणी में लेफ्ट पार्टियों के नेता भी हैं, जिनके सामने हालिया नतीजों के बाद पार्टी के अस्तित्‍व को बनाए रखने की चुनौती है। पूर्व पीएम मनमोहन भी हैं जो चाहे-अनचाहे यूपीए के भ्रष्‍टाचार के खामोश चेहरे बन गए। इनके अलावा, किसी और नेता को इस जमात में शामिल करना हो तो वह निश्चित तौर पर यूपी के मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव होंगे। जानकार मानते हैं कि अखिलेश सरकार की छवि यूपीए-2 से भी खराब हो चली है और नाकाम राजनेताओं की लिस्‍ट में वह मनमोहन सिंह से भी ऊपर आ चुके हैं।

अखिलेश और मनमोहन में कई समानता 
यूपी में अखिलेश यादव और पूर्व की मनमोहन सिंह सरकार के बीच कई तरह की समानताएं हैं। मनमोहन सिंह की तरह ही अखिलेश भी विदेश में पढ़े हैं। दोनों, अपने यहां सबसे उच्‍च पद पर आसीन होने के बावजूद असली पावर सेंटर नहीं हैं। मनमोहन सिंह के जमाने में 7आरसीआर पर 10 जनपथ के हावी होने की बातें सामने आती रही हैं। ठीक, वैसे ही अखिलेश यादव की सरकार में उनके चाचाओं और कुछ दूसरे सीनियर नेताओं की दखल की खबरें भी काफी आम हैं। इसके अलावा, दोनों ही महत्‍वूर्ण मुद्दों पर तुरंत फैसले लेने में नाकाम दिखते हैं।

और कारण भी हैं यूपी सरकार की नाकामी के 
यूपी के मुख्‍यमंत्री एक बार फिर गलत वजह से मीडिया में विलेन बने हुए हैं। उनके चचेरे भाई धमेंद्र यादव के संसदीय क्षेत्र में दो दलित लड़कियों के साथ गैंगरेप और बाद में फांसी दिए जाने के मामले में उनकी और ज्‍यादा किरकिरी हो रही है। अखिलेश ने शपथ लेते वक्‍त कहा था कि कानून-व्यवस्‍था ही प्रदेश सरकार की प्राथमिकता होगी। आज के हालात में उनका यह दावा खोखला नजर आता है। देखा जाए तो कानून-व्यवस्‍था ही अखिलेश सरकार की सबसे बड़ी कमजोरी साबित हुई है। उनके राज में सिर्फ 2012 में ही सौ से ज्यादा दंगे हुए।

टूट गई उम्‍मीदें 
अखिलेश का युवा होना भी शुरुआत में लोगों के मन में कुछ भरोसा जगा गया। लोगों को लगा कि अब यूपी में गुंडाराज वाला माहौल बदलेगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। अभी तो फिलहाल दो ही साल हुए हैं, लेकिन अगर ऐसा ही रहा तो उनका कार्यकाल खत्‍म होने तक उनके पास दिखाने के लिए कोई खास उपलब्धि नहीं होगी। 

यूपी में बिगड़ती कानून व्यवस्था पर गृहमंत्री ने राज्यपाल से की मुलाकात

dainikbhaskar.com|Jun 04, 2014, 01:24AM IST
यूपी में बिगड़ती कानून व्यवस्था पर गृहमंत्री ने राज्यपाल से की मुलाकात
लखनऊ. प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति लगातार बद से बदतर होती जा रही है। ऐसे में सोमवार को राज्यपाल बीएल जोशी ने सीएम अखिलेश को तलब कर जवाब मांगा था। मंगलवार को देश के गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने यूपी के राज्यपाल को दिल्ली बुलाकर उनसे मुलाकात की और राज्य में बदतर होती कानून व्यवस्था पर चर्चा की। बताते चलें कि केंद्र सरकार ने कानून व्यवस्था के मुद्दे पर राज्यपाल बीएल जोशी से रिपोर्ट तलब की थी। 
 
दरअसल, बदायूं कांड के बाद लगातार बलात्कार की घटनाएं यूपी में हो रही हैं और प्रदेश सरकार इनको रोकने की बजाय इन घटनाओं को दिखाने का ठीकरा मीडिया पर फोड़ रहा है। अखिलेश यादव सार्वजानिक रूप से बदायूं केस का गुस्सा मीडिया पर निकाल रहे हैं। ऐसे में यूपी के राज्यपाल बीएल जोशी की गृहमंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात के कई मायने निकाले जा रहे हैं। 
 
माना जा रहा है कि राज्य की कानून व्यवस्था के साथ प्रदेश की राजनीति में चल रही उठापटक की जानकारी राजनाथ सिंह ने राज्यपाल से ली है। 
 
गौरतलब है कि बदायूं गैंगरेप कांड को लेकर भाजपा लगातार प्रदेश सरकार पर दबाव बना रही है। इसको लेकर भाजपा कार्यकर्ताओं ने जहां मुख्यमंत्री कार्यालय का घेराव किया, वहीं पूरे प्रदेश में बलात्कार की घटनाओं को लेकर प्रदर्शन किया था।

नोट ; मैं प्रवक्ता के नाते नहीं बल्कि स्पष्ट तौर पर 'निरपेक्ष नागरिक' के नाते यह कह सकता हूँ की उत्तर प्रदेश के मुखिया के पास दृष्टि()नहीं है जिससे उनके राज्य की अभिबृद्धि हो दुश्मन दमित (शांत हों) और अवाम 'खुश गवार' हो !
हज़ारों उदहारण हैं जिनसे स्पष्ट दीखता है की सत्ता के इर्द गिर्द "सता के दुश्मनों का बसेरा है" अमर सिंह की विदाई के लिए 'लड़ते हुए' बहुतेरे शहीद हुए थे जो आज भी लगभग सत्तासीनों की नज़र में अविश्वसनीय हो गए हैं !


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