आजम खां ने की इस्तीफे की पेशकश | |||
लखनऊ/अमर उजाला ब्यूरो | |||
Story Update : Thursday, July 26, 2012 12:42 AM | |||
मेरठ के प्रभारी मंत्री को पद से हटाए जाने से खफा नगर विकास मंत्री आजम खां ने गाजियाबाद व मुजफ्फरनगर के प्रभारी मंत्री का पद छोड़ दिया है। उन्होंने मंत्री पद से भी इस्तीफे की पेशकश की है।
आजम ने मुख्यमंत्री अखिलेश सिंह यादव को पत्र भेजकर कहा है कि उनसे ज्यादा योग्यता रखने वालों को गाजियाबाद व मुजफ्फरनगर की जिम्मेदारी सौंपी दी जाए। वह खुद को इस जिम्मेदारी से अलग कर रहे हैं। मुख्यमंत्री उनके काम से संतुष्ट नहीं हैं तो उन्हें मंत्रिमंडल से भी हटा सकते हैं। आजम के इस रुख से सपा की अंदरूनी सियासत के फिर गरमाने के आसार हैं। मालूम हो कि तीन दिन पहले आजम को मेरठ के प्रभारी मंत्री पद से हटाकर सहारनपुर का दायित्व संभाल रहे पंचायती राज मंत्री बलराम यादव को वहां का प्रभार सौंप दिया गया था। सपा की स्थानीय राजनीति के चलते आजम से मेरठ का प्रभार लिया गया और उन्हें पीलीभीत की अतिरिक्त जिम्मेदारी सौंप दी गई। इससे नाराज आजम ने मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर गाजियाबाद व मुजफ्फरनगर का प्रभार भी छोड़ने की पेशकश कर दी। बुधवार देर रात अमर उजाला से बातचीत में आजम ने पत्र भेजने की पुष्टि की और बताया कि उन्होंने मुख्यमंत्री से कहा है कि अगर उनके काम से संतुष्ट नहीं हैं तो ज्यादा सलाहियत रखने वालों को गाजियाबाद व मुजफ्फरनगर की जिम्मेदारी सौंप दी जाए। अगर मुख्यमंत्री संतुष्ट नहीं हैं तो उन्हें मंत्रिमंडल से भी हटा सकते हैं। स्थानीय सपा नेताओं के साथ विवाद के बारे उनका कहना है कि उनके पास न तो इसके लिए वक्त है और न इन मसलों में कोई दिलचस्पी है। जनता का काम करने में ही उनका सारा वक्त निकल जाता है। ये है नाराजगी की वजह नगर विकास मंत्री आजम खां को मेरठ के प्रभारी मंत्री पद से हटाया जाना इसलिए भी नागवार गुजरा क्योंकि मुख्यमंत्री के इस फैसले को उनके विरोधियों की कामयाबी के तौर पर देखा जा रहा है। रोजगार राज्यमंत्री शाहिद मंजूर से आजम खां के 36 का रिश्ता माना जाता है। कहा जाता है कि जिस दौरान आजम खां सपा से निलंबित थे, शाहिद मंजूर ने पार्टी के भीतर उनके खिलाफ माहौल बनाने की भरपूर कोशिश की थी। शाहिद जामा मसजिद के इमाम बुखारी के भी करीबी बताए जाते हैं। मेरठ जिले का प्रभारी मंत्री रहते हुए आजम खां ने स्थानीय नेता और विधान परिषद सदस्य सरोजनी अग्रवाल को अधिक तवज्जो दी। वह मेरठ में दौरे के दौरान अग्रवाल के घर पर ही अफसरों को बुलाते और बातचीत करते रहे हैं। अग्रवाल के घर पर उन्होंने प्रेस कांफ्रेस भी की है। स्थानीय स्तर पर सरोजनी अग्रवाल के बढ़ते प्रभाव की वजह से शाहिद मंजूर खेमा खुद को उपेक्षित महसूस करता था और माना जा रहा है कि अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर उन्होंने मुख्यमंत्री को इस फैसले के लिए भरोसे में लिया। |
बदलाव....... सभी दलों से दलित पिछड़े खींचे चले आयेंगे जो नहीं आये तो जनता उन्हें धकेल कर किनारे कर देगी . बदलाव के प्रासेस में स्वाभाविक है मेरी बात नेताओं को भी ठीक न लगे पर है ये जरूरी, इसे आम आदमी से लेकर सारे बुद्धिजीवी पसंद करेंगे . आइये इन्हें लागू कराने के लिए एकजूट हों और नेत्रित्व को तैयार करें .
बुधवार, 25 जुलाई 2012
यह खेल बंद होना चाहिए रूठना और मनाना !
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