यह सब अच्छा नहीं हो रहा है, व्यवस्था को मनमाने ढंग से थोपने से 'अवाम में' अच्छा सन्देश नहीं जाता है, ऐसा लगता है की शिक्षा विभाग सामान्य और सहज बातों को भी नहीं समझ रहा है।
25 लाख विद्यार्थियों के साथ मजाक, बिना जानकारी बदला सिलेबस | |||
इलाहाबाद/अमर उजाला ब्यूरो | |||
Story Update : Thursday, July 05, 2012 12:51 AM | |||
माध्यमिक शिक्षा विभाग ने राष्ट्रीय पाठ्यक्रम लागू करने के नाम पर यूपी बोर्ड के इंटर के छात्रों के साथ बड़ा मजाक किया है। विभाग ने शिक्षकों को नए पाठ्यक्रम की जानकारी दिए बिना ही नए शैक्षिक सत्र से बदला पाठ्यक्रम लागू कर दिया है।
माध्यमिक शिक्षा विभाग की ओर से इंटरमीडिएट के भौतिकी, रसायन, गणित, जुलॉजी, बाटनी, हिन्दी और अंग्रेजी का पाठ्यक्रम पूरी तरह से बदल दिया है जबकि कुछ विषयों के पाठ्यक्रम में आंशिक बदलाव किया गया है। यूपी बोर्ड के स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षकों को नए पाठ्यक्रम की जानकारी नहीं होने से नए शैक्षिक सत्र में पढ़ाई-लिखाई ठप पड़ जाएगी। यूपी बोर्ड के पाठ्यक्रम को राष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार्य बनाने के लिए इस बदलाव को लागू तो कर दिया गया लेकिन बदले पाठ्यक्रम में क्या शामिल किया गया है, इस बात की जानकारी शिक्षकों को नहीं है। राष्ट्रीय पाठ्यक्रम की गाइड लाइन जारी करने से पहले यह सलाह दी गई थी कि इसे पढ़ाने से पहले शिक्षकों को बदले पाठ्यक्रम की जानकारी दी जाएगी। पी बोर्ड से जुड़े स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षक 15 से 20 साल पहले पुराने पाठ्यक्रम से पढ़ाई की है। नए कोर्स शामिल कुछ चैप्टर के बारे में इन शिक्षकों को कोई जानकारी नहीं है। बदलाव के बारे में शिक्षकों को प्रशिक्षण नहीं दिए जाने से चालू शैक्षिक सत्र में पठन-पाठन पर असर पड़ना निश्चित है। यह शिक्षक ऐसे में कक्षा में किस प्रकार से पढ़ाएंगे शिक्षा विभाग के अधिकारियों को समझना होगा। शिक्षकों को ही बदले पाठ्यक्रम की जानकारी नहीं होने से यूपी बोर्ड के विद्यार्थी सीबीएसई सहित देश के अन्य बोर्ड जहां बदला पाठ्यक्रम लागू है से पिछड़ जाएंगे। सरकार की मंशा के अनुरूप पूरी बोर्ड भले ही परीक्षा में छात्रों को बेहिसाब नंबर बांट दे लकिन यह प्रयोग आईआईटी, एआईईईई, मेडिकल जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं में सफल होने वाला नहीं है। यूपी बोर्ड के विद्यार्थी इन परीक्षाओं में फिसड्डी ही साबित होंगे। |
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